शिमला। प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन शोकोदगार प्रस्ताव पेश कर आज सदन ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और विधानसभा के मुख्य सचेतक रहे नरेंद्र बरागटा को श्रद्धाजंजि अर्पित की । इस दौरान सदन ने वीरभद्र सिंह को आधुनिक हिमाचल का निर्माता करार दिया।नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री से लेकर आशा कुमारी तक ने कहा कि अगर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार प्रदेश के निर्माता थे तो वीरभद्र सिंह आधुनिक हिमाचल के निर्माता रहे है। जबकि सदन के नेता और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि वीरभद्र सिंह के प्रदेश को दिए गए योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस मौके पर बजट सत्र और इस सत्र के बीच जिन अन्य तीन पूर्व विधायकों का निधन हुआ डन्हें भी सदन ने श्रद्धासुमन अर्पित किए। इसके अलावा दूसरी लहर के दौरान कोरोना से मारे गए मरीजों और मानसून के दौरान अलग-अलग हादसों में मारे गए लोगों को भी सदन ने श्रद्धाजंलि अर्पित की व उनके परिवार वालों को अपनी संवेदनाएं भेजी।
आज दोपहर बाद विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हुआ और विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने सभी सदस्यों से सदन को चलाने में उनका सहयोग मांगा व कोरोना नियमों का पालन करने का आग्रह किया। इसके बाद सदन के नेता जयराम ठाकुर ने सदन में शोकोदगार प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि सदन ने छह दशकों तक प्रदेश की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने वाले एक बड़े नेता को खो दिया है।
जयराम ने कहा कि वीरभद्र सिंह एक जीवंत नेता थे। उन्हें जो करना होता था वो कर देते थे और जो नहं करना होता था वह नहीं करते थे। सभी को उनसे सीख लेनी चाहिए राजनीतिक व्यक्ति को क्या कहना चाहिए और क्या नहीं कहना चाहिए। वह अपनी बात बेबाकी से रखते थे और सरल व सहज तरीके से अपनी बात रखते थे। लोगेां को कैसे बांधे रखना रखना है यह वह बाखूबी जानते थे और व्यंग्य में अपनी बात बेहतरीन तरीके से कहते थे। उन्होंने कहा कि वैचारिक दृष्टि से उनका मत उनसे अलग था लेकिन आदमी को करीब लाना, आदमी को जोड़ना और आदमी को साथ चलाना बेहतर तरीके से जानते थे।
उन्होने कहा कि कांग्रेस के सदन में बैठे विधायकों ने उनकी अंगुली पकड़कर राजनीति सीखी है। उन्होंने राजनीति में कई लड़ाई लड़ी लेकिन जमीन कभी नहीं छोड़ी । इस दौरान उन्होंने कुछ संस्मरण भी सुनाएं और कहा कि वीरभद्र सिंह ने लोगों के दिलों पर राज किया।
उन्होंने जुब्बल कोटखाई से विधायक रहे नरेंद्र बरागटा के योगदान को भी याद किया और कहा कि उन्होंने प्रदेश में बागवानी को बड़े मुकाम तक पहुंचाया। उन्होंने इस मौके पर पूर्व विधायक राम सिंह, मोहन लाल और अमर सिंह चौधरी को भी श्रद्धाजंजि अर्पित की ।
प्रतिपक्ष की ओर से मुकेश् अग्निहोत्री ने कहा कि वीरभद्र सिंह के योगदान को याद करते हुए सरकार से आग्रह किया रिज मैदान पर उनकी प्रतिमा को लगाया जाए। उन्होंने कहा कि वह दलगत राजनीति से ऊपर के शख्सियत थे। 1962 से लेकर अब तक उन्होंने 14 बार चुनाव जीते । वह देश के ऐसे पहले नेता है जो इतने लंबे समय तक चुनावी राजनीति में रहे और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अब तक रहे सभी प्रधानमंत्रियों के साथ उन्होंने काम किया था। वह 9 बार विधायक, पांच बार सांसद, छह बार मुख्यमंत्री ,चार बार केंद्रीय मंत्री और चार बार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। मुकेश ने कहा कि उन्होंने क्षेत्रवाद की खाई पाटने का पूरा प्रयास किया व उनका हर नेता माना । वह पपहले मुख्यमत्री थे जिन्होंने भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर मुख्यमंत्री को भी लोकायुक्त के दायरे में लाया
।उन्होंने वन माफिया के खिलाफ जंग लड़ी।र्ध्मातरंण का कानून वह लाए। जब हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भजन लाल ने प्रदेश के पंजाब व हरियाणा में 7.19 की हिस्सेदारी को लेकर यह कहा कि जिस तरह पाकिस्तान कश्मीर पर अपना दावा करता है उसी तरह हिमाचल भी अपनी हिस्से दारी मांगता है। मुकेश ने कहा कि उन्होंने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में हिस्सेदारी को लेकर मुकदमा दायर कर दिया जबकि केंद्र व बाकी जगहों पर कांग्रेस की सरकार होती थी। आखिर में सुप्रीम कोर्ट से प्रदेश के पक्ष्ज्ञ में फैसला आया । अब तीन चार हजार करोड़ रुपया प्रदेया को मिलना है । उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इस दिशा में जरूर कोई काम कर रहे होंगे। उन्होंने कहा कि ऊर्जा राज्य बनाने में उनका बड़ा योगदान रहा। उन्होंने इस मौके पर नरेंद्र बरागटा व अन्य तीन पूर्व विधायकों को भी श्रद्धाजंलि अर्पित की।
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारदवाज ने कहा कि उनका तो जन्म ही हालीलाज में हुआ था। कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने कहा कि वीरभद्र सिंह उनके सगे मौसा थे व जन्म के बाद वह उन्हीं के घर रहीं। उन्होंने राजनीति ही नहीं चलना भी उनकी अंगुली पकड़ कर सीखा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा को वह बहुत बढ़ावा देते थे। जब वह पहली प्राथमिक शिक्षा मंत्री बनी और उन्होंने सदन में प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण को लेकर विधेयक लाया तो वीरभद्र सिंह ने एक ही झटके में प्रदेश में 32 सौ स्कूल खोलने का एलान कर दिया और डेढ साल में ये स्कूल चल भी पड़े थे।
उन्होंने भी कई संस्मरण सदन में सुनाए। आशा कुमारी ने कहा कि हिमाचल के गठन को लेकर तत्कालीन तीन सदस्यीय आयोग में अल्पसंख्यक सदस्य जस्टिस फजल अली ने ही हिमाचल को अलग राज्य का दर्जा देने की सिफारिश की थी। नेहरू ने इस सिफारिश को मंजूर किया था । आशा कुमारी ने दावा किया कि उस समय प्रदेश में 48 या 58 विधानसभा हलके बनाए जा रहे थे लेकिन तब वीरभद्र सिंह ने जोर दिया कि कम से 68 विधानसभा हलके तो होने ही चाहिए। आशा कुमारी ने कहा कि वीरभद्र सिंह को इसलिए भी जाना जाना चाहिए।
कांग्रेस विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि उनका वीरभद्र सिंह से लगातर टकराव व मन मुटाव चलता रहा लेकिन उन्होंनेउनसे बहुत कुछ सीखा ।
उप मुख्य सचेतक व भाजपा विधायक कमलेश कुमारी ने तत्कालीन मेवा के पूर्व विधायक अमर सिंह चौधरी को लेकर कहा कि वह दो बार विधायक रहे। एक बार मेवा में मेला लगा था जिसका उदघाटन करने तत्कालीन मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार आए थे। उस समय अचानक उनकी नजर चूडि़यों की दुकान पर पड़ी तो उन्होंने वहां पर अमर सिंह चौधरी को चूडि़यां यां बेचते हुए देखा। उन्होंने अमर सिंह से पूछा कि वह यहां कर रहे है तो अमर सिंह जवाब दिया कि वह मेलों में चूडि़यां बेचकर परिवार चलााते हैं। यह देखकर परमार का मन भर आया और उन्होंने विधायकों के लिए पैंशन की योजना शुरू की।
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