शिमला। विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन आज वीरवार को सदन में प्रश्नकाल के दौरान विधायकों ने न्यू पेंशन योजना व प्रदेश में सीमेंट के बढ़ते दामों की गूंज सुनाई दी। प्रश्नकाल के बाद कांग्रेस विधायकों ने बीती रात को पूर्व कंद्रीय मंत्री पी चिंदबरम की सीबीआइ द्वारा की गई गिरफारी के विरोध में सदन में हंगामा किया और नारेबाती करते हुए वाकआउट कर दिया।
प्रश्नकाल में माकपा विधायक राकेश सिंघा के प्रश्न का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि संसाधनों की कमी की वजह से ओल्ड पैंशन स्कीम को लागू करना संभव नहीं है। न्यू पेंशन स्कीम को एक राज्य पश्चिमी बंगाल को छोड़ कर देश के सभी राज्यों ने लागू कर लिया है।
वामपंथी विधायक सिंघा ने कहा कि यह संसाधनों का नहीं संवेदनाओं का मामला है। जो कर्मचारी 40 फीसद तक दिव्यांग हो गए है और जिनका नौकरी के दौरान निधन हो गया है को पेंशन का प्रावधान होना चाहिए ।परिवार पेंशन भी समाप्त हो गई व ग्रेच्यूटी का प्रावधान भी खत्म कर दिया था। केंद्र सरकार ने ग्रेच्यूटी के प्रावधान को 2004 से बहाल कर दिया लेकिन हिमाचल ने 2017 से इसे लागू किया है। सिंघा ने कहा कि केंद्र सरकार ने कर्मचारियों की इन मांगों को मान लिया है। ऐसे में प्रदेश सरकार भी एक निशान-एक विधान व एक प्रधान की तर्ज पर प्रदेश के कर्मचारियों को ये लाभ दें। सिंघा ने कहा कि 2003 से लेकर 2017 के बीच नियुक्त हुए कर्मचारी ग्रेच्यूटी से वंचित हो जाएंगे जबकि ये उनका अधिकार है। उन्होंने कहा कि अब तो प्रदेश व केंद्र में भाजपा की ही डब्बल इंजन की सरकार है,ऐसे में सरकार संसाधानों की आड़ नहीं ले सकती । सिंघा ने कहा कि दिव्यांग व जिनका निधन हो गया है,ऐसे कर्मचारी ज्यादा नहीं है।ज्यादा बजट भी नहीं लगेगा। ऐसे में सरकार को इस दिशा में कदम उठाने चाहिए।
मुख्यमंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि संसाधनों व संवेदनाओं को अलग नहीं किया जा सकता। पेंशन के मामले में प्रदेश सरकार केंद्र सरकार के पैटर्न को अपनाती है जबकि वेतन आयोग के मामले में पंजाब के पैटर्न को अपनाती है। जयराम ठाकुर ने कहा कि न्यू पेंशन स्कीम के तहत सरकार ने कंट्रीब्यूटरी पैंशन में सरकार के हिस्से को एक अप्रैल 2019 से दस फीसद से बढ़ाकर 14 फीसद कर दिया है। इससे 80 हजार कर्मचारयिों को लाभ पहुंचा है और सरकार पर 175 करोड़ रुपए का वितीय बोझ पड़ा है। उन्होंने कांग्रेस विधायकों को निशाने पर लेते हुए कहा कि केंद्र में न्यू पेंशन स्कीम 2004 में शुरू हुई लेकिन हिमाचल में तब की कांग्रेस सरकार ने एक साल पहले ही इसे लागू कर दिया।
जो कर्मचारी 40 फीसद तक दिव्यांग हो गए है और जिनका नौकरी के दौरान निधन हो गया है,उनकी पेंशन के मसले को केंद्र के समक्ष उठाया गया था। केंद्र ने राज्य सरकार को बताया था कि कि अभी इस बावत नियम बनाना विचाराधीन है। जयराम ठाकुर ने कहा कि अगर केंद्र सरकार की ओर से नियम में कोई बदलाव होता है तो प्रदेश सरकार खुले मन से विचार करेगी।
इस बीच नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि इस स्कीम को अटल विहारी वाजपेयी की केंद्र की तत्कालीन सरकार लाई थी। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से कहा कि वह सुविधा की राजनीति न करे। जब भाजपा विपक्ष में थी तो ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने के बड़े बड़े भाषण देती थी आज सरकार में है तो इस पर अमल भी करे।
इस दौरान मुकेश अग्निहोत्री व संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज के बीच हलकी नोकझोंक भी हो गई। भारद्वाज ने बीच में टोकते हुए कहा कि मुकेश मूल प्रश्न को कमजोर कर रहे है। इस पर मुकेश ने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री को पढ़कर आना चाहिए।ये उन्हीं का मूल प्रश्न है।आखिर में मुख्यमंत्री ने कहा कि संवेदना तो बहुत है पर संसाधन इजाजत नहीं देते।
प्रश्न काल शुरू होने से पहले विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल ने वीआइपी दीर्घा में बैठे उड़ीसा विधानसभा के अध्यक्ष सूर्य नारायण पात्रों और अन्य विधायकों का सदन से परिचय कराया व उनका अभिनंदन किया। इसके बाद इन सभी सदस्यों का मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी अभिनंदन किया।
प्रश्नकाल में पूर्व परिवहन मंत्री गोबिंद ठाकुर ने कांग्रेस काल में 498 परिचालकों की भर्तियों की जांच कराने का एलान किया। भाजपा विधायक रमेश ध्वाला ने प्रश्न पूछा था कि एक ही विधानसभा हलके से अधिकांश भर्तियां हुई थी। ऐसा संभव नहीं हो सकता।
प्रश्नकाल के दौरान विधायक पवन काजल ने मुख्यमंत्री लोकभवन योजना के तहत हर विधानसभा में बनने वाले सामुदायिक भवनों का निर्माण शुरू न होने पर सरकार से जवाब मांगा। उनके प्रश्न का जवाब देते हुए ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि सितंबर महीने में अधिकांश भवनों का काम शुरू हो जाएगा व मार्च 2020 से पहले सभी विधानसभा हलाकों मं ये भवन बना दिए जाएंगे। मंत्री वीरेंेद्र कंवर ने कहा कि इन भवनों को पंचायतों की ओर से बनासया जाएगा। इस पर विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल यह कहने से नहीं चूके कि पंचायतों की ओर डाले जाने वाले लेंटर तीन साल में तबाह हो जाते है। ऐसे में यह सही रहेगा कि इनको लोक निर्माण विभाग की ओर से बनाया जाए। वीरेंद्र कंवर ने कहा कि जहां पंचायतें सक्षम नहीं होंगी वहां निर्माण का काम लोक निर्माएा विभाग को दिया जाएगा।
भाजपा विधायक रमेश ध्वाला की ओर पूछे गए प्रश्न के जवाब में परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार में 2016-17 में 498 परिचालकों की भर्ती में बरती गई धांधली की जांच की जाएगी । ध्वाला ने मंत्री से पूछा था कि इन परिचालकों में से आधे एक ही विधानसभा हलके से थे। गोबिंद सिंह ठाकुर ने कहा कि इस मामले की जांच करने पर अगर कोई अधिकारी दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ निश्चित तौर कानून के मुताबिक जो भी कार्रवाई बनेगी, की जाएगी।
नेता प्रतिपक्ष ने पूरक सवाल किया कि दो ऐसे लोग भर्ती हो गए है जिन्होंने परीक्षा ही नहीं दी थी। गोबिंद ठाकुर ने कहा कि इसकी जांच परिवहन आयुक्त से करवाई गई थी, जांच में पाया गया कि आचार संहिता लगने की वजह से 38 लोगों की परीक्षाओं की तिथि बदलनी पड़ीं थी। इन लोगों ने जून में परीक्षा दी व इसकी वीडियोग्राफी की गई है। उन्होंने कहा कि चालको व परिचालकों की आगे जितनी भी भीर्तियां होगी उनकी लिखित परीक्षा एचआरटीसी नहीं लेगी बल्कि प्रदेश विश्वविद्यालय या शिक्षा बोर्ड की ओर से आयोजित कराया जाएगा।
प्रश्नकाल में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा भाजपा सरकार के पौने दो सालों के कार्याकाल में सीमेंट की बोरी का दाम सौ रुपए तक बढ़ गया है। प्रश्न का जवाब देते हुए उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने कहा कि सीमेंट के दामों इतनी बढ़ोतरी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि खुले बाजार में सीमेंट की प्रति बोरी में पांच से चालीस रुपए तक की बढ़ोतरी हुई । जबकि उना में 8 से 15 रुपए प्रति बोरी की बढ़ोतरी हुई है। बिक्रम सिंह ने कहा कि सरकार सीमेंट कंपनियों से वार्ता करेगी और सीमेंट के दामों को कम करने का प्रयास करेगी। इस बावत नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने सुझाव दिया था। बीच में हर्षवर्धन ने पूछा कि उना में 8 से 15 रुपए की बढ़ोतरी व बाकी जगह ज्यादा बढ़ोतरी क्यों है। बिक्रम सिंह ने कहा कि यह किराए भाड़े की वजह से है।
प्रश्न काल समाप्त के तुरंत बाद नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने सदन में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिंदंबरम की गिरफतारी का मामला उठाया। मुकेश ने कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है। इस बीच दखल देते हुए विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल ने कहा कि बिना नोटिस दिए इस तरह चर्चा नहीं हो सकती।लेकिन मुकेश बोलते रहे और तमाम कांग्रेस विधायक उनके साथ सदन में खड़े हो गए। इस पर सता पक्ष के विधायक भी अपनी सीटों पर खड़े हो गए व सदन में शोरगुल शुरू हो गया।
मुकेश अग्निहोत्री ने इल्जाम लगाया कि सीबीआई व इडी का दुरुपयोग हो रहा है। इस पर सदन में हंगामा शुरू हो गया। भाजपा विधायकों ने कहा कि एक -एक भ्रष्टाचारी जेल जाएंगे। बीच में संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहना शुरू किया लेकिन हंगामें के बीच सब कुछ अनसुना हो गया। कांग्रेस व भाजपा विधायक नारेबाजी करते रहे। विधानसभा अध्यक्ष बिंदल ने कहा कि वह विपक्ष को इस मसले पर बोलने की इजाजत नहीं देंगे व सदन की कार्यवाही आगे चला दी। इससे नाराज विपक्ष ने नारेबाजी करते हुए सदन से वाकआउट कर दिया।
कांग्रेस विधायकों के इस तरह वाकआउट करने की निंदा करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि यह गंभीर मामला था। इसे सहजता से नहीं लिया जा सकता। यह एक दो करोड़ नहीं पांच सौ करोड़ से ज्यादा के घोटाले का मामला है। अदालत ने चिदंबरम की अंतरिम जमानत खारिज कर दी थी। जांच चल रही अगर उन्होंने कुछ नहीं किया है तो वह दोषमुक्त हो जाएंगे। जयराम ने कहा कि कांग्रेस विधायकों का यह वाकआउट उनकी राजनीति का हिस्सा है। यह न्यायापालिका पर भी टिप्पणी है। वह इसकी निंदा करते है। बाद में कांग्रेस विधायक सदन में लौट आए और उन्होंने सदन की कार्यवाही में हिस्सा लिया।
स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार ने इंदिरा गांधी मेडिकल अस्पताल में 12 अगस्त को सफल गुर्दाप्रत्योरोपण पर डाक्टरों बधाई दी व कहा कि यह सरकार की प्रतिबद्वता थी जिसे पूरा कर लिया हे। उनहोंने कहा कि यह हिमाचल प्रदेश के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय है और दोनों मरीज अस्पताल में डाक्टरों की निगरानी में पूरी ठीक। परमार ने कहा कि हिमाचल में तीन सौ के करीब ग्रर्दा प्रत्यारोपण के मामले है। अब इन्हें पीजीआइ व एम्स नहीं जाना पड़ेगा।
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने सदन में भाजपा विधायक कर्नल इंद्र सिंह की ओर से सभी स्कूलों में निशुल्क कम्प्यूटर शिक्षा मुहैया कराने को लेकर सदन में लाए संकल्प का जवाब देते हुए भरोसा दिया कि इस साल के आखिर तक प्रदेश के सभी राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालों में आइसीटी प्रयोगशालाएं खोल दी जाएगी ताकि नौवीं से बारहवीं तक कंप्यूटर शिक्षा शुरू की जा सके। इसके अलावा जैसे जैसे साधन मुहैया होते रहेंगे प्रदेश के बाकी स्कूलों मे भी कंप्यूटर शिक्षा देने की कोशिश की जाएगी।
कर्नल इंद्र सिंह ने सदन में संकल्प रखते हुए कहा कि पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ में छठीं कक्षा से 12वीं तक निशुल्क व बहुत कम फीस में स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा दी जा रही है जबकि हिमाचल में नौवीं से बारहवीं कक्षा तक कंप्यूटर का विषय ऐच्छिक तौर पर पढ़ाया जा रहा है और फीस भी 110 रुपए वसूली जा रही है। इस संकल्प पर चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कंप्यूटर क्रांति को लाने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दिया। दस हजार मेधावी छात्रों को पिछले दो सालों से लैपटाप न देने पर निशने पर लिया व कहा कि टेंडर बुलाए गए थे । सरकार ने यह तय किया 60 फीसद एक कंपनी व 40 फीसद दूसरी कंपनी इन लैपटाप को मुहेया कराने के आदेश दिए। सरकार की ऐसा करने में क्या रुचि थी ये वही जाने । अब फाइल मंत्री के पास है। उन्होंने कहा कि इस पर तुरंत फैसला लिया जाए ताकि छात्रों को तुरंत लैपटाप मिले।
चर्चा में भाग लेते हुए विधायक राजेंद्र गर्ग ने कहा कि कंप्यूटर शिक्षा में निजी,सरकारी व केंद्रीय स्कूलों में समरुपता लाई जानी चाहिए। सुरेश भरद्वाज ने कहा कि हर स्कूल में अगर कंप्यूटर शिक्षा देनी है तो कम से कम तीन कंप्यूटर की जरूरत होगी। एक आइसीटी प्रयोगशाला चाहिए। नेटवर्क होना चाहिए और एक अध्यापक की जरूरत होंगी। प्रदेश में 1800 वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाएं है।उच्च व माध्यमिक पाठशालों की संख्या दस हजार है। प्रदेश में इस समय 18 हजार स्कूल है। ऐसे में साधनों की कमी की वजह सभी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा संभव नहीं है।
शिमला। सदन में पंचायतों में फैले भंष्टाचार पर सभी विधायकों ने चिंता व्यक्त की व कहा कि सरकार को इस दिशा में कदम उठाने चाहिए। चिंतपूर्णी से विधायक बलबीर सिंह की ओर से नियम 101 के तहत पंचायतों में विकास कार्यों में आवंटित धनराशि के सदुपयोग व भ्रष्टाचार रोकने के लिए विभाग की जवाबदेही बावत ठोस नीति बनाने की मांग को लेकर लाए गए संकल्प के जवाब में ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने सदन भरोसा दिया कि पंचायतों में होने वाले भ्रष्टाचार के मामलों में गाज पंचायत प्रधानों,उपप्रधानों ही नहीं पंचायत सचिवों व तकनीकी सहायकों पर भी गिरेगी। इनसे रिकवरी तो होगी ही साथ ही इनके खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही भी की जाएगी। कंवर ने साथ ही जोड़ा कि पंचायतों में भ्रष्टाचार को लेकर आने वाली शिकायत पर पंद्रह दिनों में संज्ञान लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि पंचायतों में भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार पंचायत प्रधान और पंचायत सहायक नहीं है इसके लिए सता में अब तक रही सरकारें जिम्मेदार हैं। पंचायतों पर काम का बोझ बढ़ा दिया लेकिन निगरानी तंत्र व स्टाफ की कमी को पूरा नहीं किया।
उन्होंने कहा कि सरकार पंचायतों में 2163 तकनीकी सहायकों,203 कनिष्ठ अभियंताओं,16 अधिशासी अभियंताओं,तीन अधीक्षण अभियंताओं के पद सृजित करने पर विचार कर रही है।
सदन में संकल्प पेश करते हुए विधायक बलबीर सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार पंचायत सचिव,तकनीकी सहायक व कनिष्ठ अभियंता करते है और गाज प्रधानों पर गिर जाती है। उन्होंने पंचायतों में हो रहे भ्रष्टाचार के कई संगीन मामलों का जिक्र भी किया व कहा कि इन कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा विधायक रमेश ध्वाला ने कहा कि 14वें वितायोग से पंचायती राज विभाग को मिला सात सौ करोड़ रुपया खर्च नहीं हुआ है। उन्होंने सुझाव दिया किया पंचायतों में होने वाले काम की गुणवता निश्चित करने के लिए खंड स्तर पर टेस्टिंग लैब स्थापित की जानी चाहिए व निगरानी तंत्र को मजबूत किया जाना चाहिए। कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि तकनीकी सहायक के जिम्मे चार-चार पंचायतें है जबकि एक तकनीकी सहायक के अधीन एक पंचायत होनी चाहिए।
विधायक सुखराम चौधरी ने मनरेगा के तहत कराए जाने वाले कामों में फर्जी हाजरियों का जिक्र किया जबकि विधायक रामलाल ठाकुर ने कहा कि भ्रष्टचार में शामिल प्रधानों व कर्मचारियों के खिलाफ विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जाती। उन्होंने इस तरह के कई उदाहरणों को भी जिक्र किया। विधायक जगत ने कहा कि पक्ष व विपक्ष की ओर से भ्रष्टाचार के दर्जनों मामलों का जिक्र सदन में हुआ है, ऐसे में इन तमाम मामलों की जांच तीन महीने के भीतर की जानी चाहिए। सदन में इस तरह पंचायती राज विभाग में फैले भ्रष्टाचार के मामलों का जिक्र होने पर पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि पंचायतों ने बेहतरीन काम किए है लेकिन यहां ऐसा रंग दिया जा रहा है कि पंचायतों में भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है। उन्होंने कहा कि अगर पिछले डेढ सालों में कुछ हुआ है तो विभाग के नोटिस में लाए, कार्रवाई होगी।
इस पर नेताप्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि यह मंत्री पर आक्षेप नहीं है। तंत्र की बात हो रही है। सुक्खू ने मनरेगा में काम किया ही नहीं और पैसा लोगों के खातों में चले जाने का जिक्र किया व कहा कि जांच भी हुई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिनके खाते में पैसा गया उन्होंने ही कहा कि हमने तो काम ही नहीं किया है, ऐसे में ये पैसा उनके खाते में कहां से आ गया। चर्चा का जवाब देते हुए पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि पहले विभाग पंचायतों में होने कामों के लिए सीमेंट की खरीद बाजार से करता था लेकिन इसमं बदलाव किया व अब सीमेंट सरकार देती है और विभाग ने सीमेंट खरीद मामले में ही एक हजार रुपएकी बचत की है। स्थानीय निकायों के मजबूत होने की वकालत करते वीरेंद्र कंवर ने कहा कि केंद्र सरकार की जितनी भी योजनाएं है वह पंचायतों के जरिए ही लागू होती है। उन्होंने कहा कि पंचायत में पैसा पहुंचने के बाद अगर एक महीने के भीतर काम शुरू नहीं होता है तो खंड विकास अधिकारी के कार्यालय से पंचायत को नोटिस चला जाएगा और बीडीओ सतर पर काम किया जाएगा। सरकार अब छह पंचायतों पर एक कनिष्ठ अभियंता तैनात करेगी और सहायक अभियंताओं को ब्लाक के बजाय सेक्शन स्तर पर बिठाया जाएगा। एक अधिशासी अभियंता के अधीन अब दो जिलें होंगे। इसी तरह निर्माण सामाग्री के मामले में लोक निर्माण के मैन्यूल को अपनाया जाएगा। स्ट्रीटों में लगाई जाने वाली सौर लाइटों में की जाने वाली धांधली को रोकने के लिए हिम उर्जा के साथ एमओयू साइन किया है। इसके तहत अब ठेकेदार को पांच साल की गारंटी देनी होगी।
वीरेंद्र कंवर ने कहा कि पंचायतों में भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा व विधानसभा सदस्यों के सुझावों पर गौर करने के बाद अगर पंचायती राज अधिनियम में बदलाव की जरूरत हुई तो,बदलाव भी किया जाएगा।
आखिर में विधानसभा उपाध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही कल के लिए स्थगित कर दी।
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