शिमला। चर्चित पुलिस भर्ती लिखित परीक्षा का प्रश्नयपत्र प्रिटिंग प्रेस के एक अंशकालीन मजदूर ने मार्च महीने में लीक किया था। मंडी पुलिस ने बिहार के अकबरपुर के सुधीर यादव नामक इस मजदूर को बीते रोज गिरफतार कर इस मामले को लगभग सुलझा ही लिया है। अभी तक यह पता नहीं चल रहा था कि आखिर यह प्रश्न पत्र लीक कहां से हुआ लेकिन पुलिस ने अब इस गुत्थीा को भी सुलझा लेने का दावा किया है। पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने दावा किया कि सुधीर यादव ने इस प्रश्नतपत्र को सुबोध सिंह, भारत यादव और अरविंद कुमार के निर्देश पर गोरे लाल यादव के जरिए एक गौतम कुमार भारती नामक व्यिक्ति को मुहैया कराया। गोरे लाल दिल्ली के ओखला में एक निजी कंपनी में सुरक्षा कर्मी के तौर पर काम करता हैं।
गोरे लाल और सुधीर यादव को 31 मई यानी बीते रोज मंडी पुलिस ने गिर फतार कर लिया था।
पुलिस महानिदेशक ने कहा कि गौतम कुमार भारती ने गोरे लाल से प्रश्नरपत्र लेकर इसे आगे अपने भाई भारत यादव को भेज दिया। इस बीच सुबोध कुमार ने सुधीर यादव, गोरे लाल भारत यादव व अरविंद कुमार के बीच प्रश्नइपत्र को लाने व ले जाने रूप में काम किया।
कुंडू ने दावा किया कि इस पूरे मामले में पूरा चक्रव्यूसह रचने में अरविंद कुमार मास्टतर माइंड है जबकि भारत यादव का भी उसे पूरा साथ मिला। कुंडू ने कहा कि गौतम कुमार भारती को भी मंडी पुलिस ने 31 मई को ही गिर फतार कर लिया था जबकि सुबोध कुमार को 27 व अरविंद कुमार को 28 मई को गिरफतार किया गया था। यह सभी आरोपी बिहार के नबादा जिला के रहने वाले हैं व सभी को मंडी पुलिस ने पकडा था। इन पांचों को मंडी की अदालत ने 14 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।
कुंडू ने दावा किया कि यह पांचों आरोपी पुलिस भर्ती लिखित परीक्षा का प्रश्नेपत्र लीक करने में मुख्य आरोपी हैं। इन सबने मिलकर प्रिंटिंग प्रेस से प्रश्नापत्र लीक किया।
कुंडू ने कहा कि इस मामले में अभी तक 121 लोगों गिर फतार किया गया हैं इनमें से 85 अभ्य र्थी हैं ,तीन अभ्यीर्थियों के अभिभावक हैं और 33 एजेंट हैं जिनमें से 18 हिमाचल से हैं जबकि 15 हिमाचल से बाहर के विभिन्नल राज्योंि के हैं।
अब क यह हुई जब्ती्
उन्हों ने कहा कि इस मामले में अब तक दस लाख 34 हजार नौ सौ रुपए नकदी, छह हजार नेपाली करंसी, छह कारें, 1 डीवीआर,दस हार्ड डिस्केंि, 1 पैन ड्राइव, 3 मेमरी कार्ड, 1 जियो फाई, इस कांढ में शमिल एजेंटों व से कोचिंग अभ्यआर्थियों के दसवीं व बारहवीं के छह मूल प्रमाणपत्र, दो बैंक की पासबुकें, दो चैकबुकें, आरटीजीएस के तहत किए लेनदेन से जुडे कागजात (18 पन्नेै), तीन पैन कार्ड, दो आधार कार्ड, सात एटीएम कार्ड, एक हाजिरी का रजिस्टार एक र फ रजिस्टमर 3 विजटर रजिस्टनर , एक विजटर रजिस्टतर की प्रतिकापी,हवाई टिकटों की प्रतिकापियां , वाटसएप चैट के स्क्रींन शॉट, एक डिजिटल घडी, रेंट एग्रीमेट के पन्नेक, दिशा कोचिंग सेंटर के साथ हुए समझौतें से जुडे दस्ताॉवेज इत्याकदि सामान जांच के दौरान कब्जेे में लिया गया है।
कुंडू ने कहा कि तीन कोचिंग सेंटर भी पुलिस की नजजर में हैं। उन्हों ने कहा कि इस पूरे मामले में बिहार, उतरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थाटन, पंजाब, दिल्लीं व हिमाचल की गैंग शामिल थी।
उधर, एसपी मंडी शालिनी अग्निहोत्री ने कहा कि पांच पकडे गए आरोपियों को 14 दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। अब इस मामले में मनी ट्रेल का पता लगाना बाकी रह गया है व दो तीन लोगों ने जिन्होंीने प्रश्न पत्र को इधर -उधर ले जाने में भूमिका निभाई उन्हेंा पकडा जाना बाकी है। इन्हें भी एक दो दिन में पकड लिया जाएगा।
कई प्रश्न अभी भी
हालांकि पुलिस ने इस मामले को सुलझा लेने का दावा किया है लेकिन सबसे बडा सवाल यही है कि आरोपियों को कैसे पता चला कि यह प्रश्न पत्र किस प्रिटिंग प्रेस में छप रहा है। जिस अंशकालीन मजदूर को पकडा गया है क्याक वह किसी गैंग का हिस्साट हैं । उसने कैसे बाकी लोगों तक यह प्रश्नोपत्र पहुंचाया। जो पेपर लीक हुआ वही अभ्य र्थियों में बांटा जाएगा यह इन शातिरों ने कैसे पता किया। पेपरों के तो कई सेट छपवाएं जाते हैं।
सबसे बडा सवाल यह है कि जब मार्च में यह प्रश्नपत्र लीक हो गया तो उसी समय इस मामले की जांच क्योंं नहीं की गई । क्योंा डेढ महीने बाद इस मामले में कांगडा में मामला दर्ज हुआ। क्याक कोई अंशकालीन मजूदर इतना बडा कांड कर सकता है यह अपने आप में बडा सवाल है। अभी तक इस मामले में पुलिस को पूरी तरह से क्लीयन चिट दे दी गई है।
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