शिमला। आजादी से पहले बने शानन पन बिजली परियोजना को हिमाचल को सौंपने और जनता को मुफत बिजली मुहैया कराने के एक मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र ,पंजाब,हरियाणा व पंजाब राज्य बिजली निगम को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब किया है।
मुख्यफ न्याीयाधीश न्यायमूर्ति लिंगप्पा नारायण स्वामी व न्यायमूर्ति अनूप चितकारा की खंडपीठ ने जिला मंडी के लक्षमेंदर सिंह की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के बाद ये नोटिस जारी किए।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में आजादी से पहले भारत की ब्रितानिया सरकार ने पंजाब को बिजली मुहैया कराने के लिए इस ऊहल नदी पन बिजली परियोजना के निर्माण का प्रस्ताोव किया था। इसके लिए तत्का लीन ब्रितानिया सरकार और मंडी के राजा के बीच इस पपरियोजना के निर्माण को लेकर एक समझौता किया गया था।
समझौते के मुताबिक यह तय हुआ था कि मंडी का राजा इस परियोजना के लिए जमीन और मजदूर और ऊहल नदी का पानी मुहैया कराएगा व इसकी एवज में परियोजना से मंडी रियासत को 500 किलोवाट बिजली मुफत महैया कराई जाएगी।यह भी तय हुआ कि परियोजना से मंडी रियासत तक हाई टेंशन लाइन बिछाई जाएगी और पावर हाउस का निर्माण भी किया जाएगा जिसका रखरखाव मंडी रियासत करेगी।
इसके बाद 26 दिसंबर 1935 को दोनों पक्षों के बीच मुफत बिजली मुहैया कराने को लेकर भी समझौता हुआ।
याचिका में कहा गया है कि 15 अगस्त 1947 तक यह परियोजना मंडी रियासत में रही व आजादी के बाद हिमाचल के मंडी में लगी इस परियोजना को 9 अप्रैल 1965 तक बिना किसी औचित्य के पंजाब ने कब्जा किए रखा। जबकि यह परियोजना हिमाचल का है हिमाचल की धरती पर थी व हिमाचल के पानी से चल रही है।याचिका में कहा गया है कह 1965 व 1975 में समझौते किए गए व इस परियोजना को एक अधिसूचना के तहतह पंजाब बिजली बोर्ड के हवाले कर दिया गया लेकिन केंद्र सरकार की ओर से हिमाचल व यहां की जनता के हितों पर कोई विचार नहीं किया गया जो कि कानूनग सही नहीं ठहरता।
याचिका में कहा गया है कि हिमाचल एक छोटा राज्य हैं व इसकी आय के सीमित साधन है व इस परियोजना से सालाना सौ करोड़ से ज्याादा की आय है।अगर इस परियोजना को हिमाचल को सौंप दिया जाता है तो इससे प्रदेश की आर्थिकी मजबूत होगी।
याचिकाकर्ता ने इन तमाम समझौतों को व केंद्र सरकार की ओर से पंजाब के पक्ष में जारी की गई अधिसूचना का रदद करने व इस परियोजना को प्रदेश को सौंपने का आग्रह किया है।
इसके अलावा मंडी कस्बे की जनता को मुफत बिजली मुहैया कराने व इस परियोजना से होने वाली तमाम आया को प्रदेश को मुहैया कराने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता की ओर से दलीलें सुनने के बाद अदालत ने केंद्र ,पंजाब व हिरयाणा सरकार और पंजाब बिजली निगम को चार सप्ताह के भीतर जवाब दायर करने के लिए नोटिस जारी किए है।
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