शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने मोबाइल टावर विकिरण किरणें नहीं छोडते है इस बावत तस्वीर साफ होने के बावजूद निचली अदालतों की ओर से ऐसे मामलों की जा रही सुनवाई का तमाम रिकार्ड तलब कर लिया है। प्रदेश के दुर्गम इलाकों में सिग्नल न होने की समस्या को लेकर दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायामूर्ति तिरलोक सिंह चौहान और चंदर भूषण बारोवालिया की खंड पीठ ने ये आदेश जारी किए।
खंडपीठ ने कहा कि मोबाइल टावर विकिरण किरणें नहीं छोडते है इस बावत 2015 में ही तस्वीर साफ हो चुकी है और इसी अदालत ने इस बावत दायर याचिकाओं का निपटारा किया था। इसके बावजूद निचलीअदालतों में मामलों में सुनवाई हो रही है यह हैरानी वाली बात है।सुनवाई के दौरान सामने आया कि सिविल कोर्ट ठियोग, बडसर, कुल्लू के अलावा एसडीएम कोर्ट कुल्लू और एसडीएम कोर्ट ठियोग में इस तरह के ममालों की सुनवाई चल रही है।
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने पाया कि दुर्गम इलाकों खास कर कबाइली इलाकों में सिग्नल की समस्या के पीछे बडी वजह कई -कई दिनों तक बिजली का न होना है। खंडपीठ ने कहा कि बेशक भारतीय संचार निगम की ओर से इन इलाकों में सौ ऊर्जा से अपने टावर चलाए जा रहे है लेकिन वह इसके लिए पुरानी हो चुकी तकनीक लीड एसिड बैटरी का इस्तेमाल कर रहे है।
अदालत ने बीएसएनएल को आदेश दिए कि इन बैटरियों को चरणबद्ध तरीक से लिथियम-निक्कल-कोबाल्ट-एल्युमिनियम, लिथियम-निक्कल-मैगनीज-
कोबाल्ट,लिथियम-आयरन- फास्फेट बैटरियों या अन्य नई तकनीक वाली बैटरियों में एक महीने में बदलकर अदालत को अनुपालना रिपोर्ट दें। खडपीठ ने बीएसएनएल को प्रदेश के बेहद दुर्गम इलाकों में लगाए गए 191 टावरों अत्याधुनिक सोलन पैनल लगाने के लिए रोडमैप तैयार करे व उसे एक महीने के भीतर संबधित एजेंसियों से मंजूर कराकर अदालत में रिपोर्ट पेश करें।
खंडपीठ के सामने आज बिजली बोर्ड के मुख्य अभियंता संजीव माडिया ने अदालत ने कहा कि इन इलाकों में बिजली की समस्या का मामला बोर्ड
ने अपने हाथ में ले लिया है और शीघ्र ही उपकेंद्रों का निर्माण की इस समस्या का समाधान निकाल लिया जाएगा। माडिया ने अदालत को बताया कि कर्मचारियों की कमी होने की वजह से काम नहीं हो पा रहे थे लेकिन अब 1800 सहायक लाइनमैनों को नियुक्ति पत्र भेज दिए गए है जबकि 250 कनिष्ठ अभियंताओं की नियुक्ति कर दी गई है। अदालत ने इस दिशा में की जाने वाली प्रगति रिपोर्ट अगली सुनवाई पर अदालत को पेश करने के निर्देश दिए है। अदालत ने इन इलाकों में दूरसंचार सुविधाएं मुहैया कराने वाले सेवा प्रदाताओं को भी पक्ष बनाने के आदेश दिए है। इनमें पंजाब की तीन कंपनियां शामिल है।
अदालत ने सुनवाई गे दौरान पाया कि प्रदेश में केबल बिछाने का काम देश भर में सबसे मंहगा है। प्रदेश में यह 16 सौ रुपए प्रति मीटर है। महाधिवक्ता ने इस बावत अदालत को सही स्थिति से अवगत कराने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा। खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई कां निर्धारित कर दी है।
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