शिमला।सड़क हादसों में होने वाली मौतों को कम करने के सुप्रीम कोर्ट व केंंद्र सरकार के आदेशों को प्रदेश की अब तक सरकारों व अफसरों ने ठेंगे पर रखा हुआ है जिसकी वजह से पूरे देश में हिमाचल प्रदेश सड़क हादसों में खलनायक बन कर उभरा है।अकेले 2014 में प्रदेश में सड़क हादसों में 1403 मौतें हो गई हैं(ये नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्योरो का आंकड़ा है)।2015 का आंकड़ा सरकार जारी नहीं कर पा रही है। पिछले 48 घंटों में ही 22 से ज्यादा लोगों की मौेंतें सड़क हादसें में हो गई है।आलम ये है कि अगर रात के अंधेरे में कोई किसी को कुचल के भाग जाए तो उसेे पकड़ने वाला कोई नहीं है।
उस पर तूर्रा ये है कि सरकार के मंत्री व नौकरशाह मजे ले रहे हैं ।उन्हें ये मौतें कैसे रोकी जाए इसकी कोई परवाह ही नहीं है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से लेकर परिवहन मंत्री जी एस बाली ब्यानबाजियों के फर्रें उड़ाने और सोशल मीडिया में आगामी चुनावों के मद्देनजर अपनी छवियां चमकाने में लगे है। इसके लिए बाकायदा लोगों को जिम्मा दे रखा है। लेकिन सड़क हादसों में होने वाली मौतें कैसे रुकेगी इस बारे में कोई ब्लूू प्रिंट सामने नहीं आया है।
आज ही राजधानी शिमला में मोदी सरकार के सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य कमलजीत सोई ने मीडिया से कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे रखा है कि सड़क हादसों में मौतों की संख्या कम करने के कमर्शियल वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाए जाएं।इस बावत उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से 21 अगस्त 2009 को लिखी चिटठी भी जारी की है जिसमें उन्होंने बतौर मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्पीड गवर्नर लगाने के लिए सभी राज्यों सेे इस बावत कदम उठाने को कहा है। लेकिन प्रदेश सरकार ने इस बावत कुछ नहीं किया।
कमलजीत ने दावा किया कि सड़क हादसों में सबसे ज्यादा लोग हिमाचल में ही मरते है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक सभी कमर्शियल वाहनों में स्पीड गवर्नर लगने चाहिए। बाकी सरकारों की तरह हिमाचल सरकार भी इस आदेश की पालना कराने के लिए समय मांगती रही है और अब सरकारने 30 जुलाई तक का समय मांगा है।हालांकि लगता नहीं है कि ये आदेश लागू हो पाएगा।
कमलजीत ने दावा किया कि वो इस बावत प्रधान सचिव परिवहन संजयगुपता से मिले व उन्हाेंेंने उन्हें भरोसा दिया है कि वो इस दिशा में काम करेंगे।संजय गुप्ता को हाल ही में प्रधान सचिव परिवहन का जिम्मा दिया गया है । इससे पहले अतिरिक्त मुख्य सचिव अजय मितल इके पास ये जिम्मा था। उन्होंने इस दिशा में क्या कियाा, इसकी पड़ताल नहीं की जा सकी है।
कमलजीत ने कहा कि अगर वाहनों में स्पीड गवर्नर लगा दिए जा तो स्पीड एक सीमा से ज्यादा नहीं बढ़ पाएगी। इससे हादसे कम होंगे और 20 से 25 फीसद तक मौतें कम की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि कमर्शियल वाहनों के चालको की स्थिति सबसे ज्यादा बदहाल है। सड़क पर चलते हुए उन्हेंं भ्रष्टाचार का शिकार होना पड़ता है। उन्होंने माना कि कानून की अनुपालना सबसे महत्वपूर्ण है लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पा रहा ।उन्होंने कहा कि सड़क हादसों में होने वाली कुल मौतों की 40 प्रतिशत कमर्शियल वाहनों की वजह से होती है।उन्होंने कहा कि हिमाचल में पब्लिक ट्रांसपोर्ट यात्रा के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है।
उन्होंने सलाह दी कि सरकार को स्पीड गवर्नर लगाने वाली कंपनियोंं का पैनल बनाना चाहिए व उनसे पांच साल की गारंटी लेनी चाहिए ताकि वाहन मालिक भ्रष्टाचार का शिकार न हो।
अभी तक परिवहन मंत्री जी एस बाली दावा ठोकतें रहे हैं कि बदहाल सड़कें सड़क हादसों के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा वो ये भी कहते रहे हैंं कि कानून का पालन कराना पुलिस का काम है व पुलिस सीएम के सुपुर्द है।
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