शिमला।राज्यपाल कल्याण सिंह ने प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार के गले में एक बार फिर फंदा डाल दिया है। जब से वीरभद्र सिंह के बेटे और युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह ने भाजपा मुख्यालय पर प्रदर्शन कर कांड किया है या वो भाजपाइयों के जाल में फंसे है तभी से, भाजपा की मोदी सरकार की ओर से तैनात राज्यपाल कल्याण वीरभद्र सिंह सरकार के गले में फंदा डालते रहे है।
नए आदेश में राज्यपाल ने शुक्रवार को भाजपा की ओर से भाजपा मुख्यालय पर हुए कांड पर उन्हें दिए ज्ञापन पर वीरभद्र सरकार से एक सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है। इस मामले में पुलिस पहले ही अपनी अंतरिम रिपोर्ट दे चुकी है।भाजपाई शुक्रवार को ही इस मामले पर राज्यपाल से मिले और राज्यपाल ने तुरंत कुछ घंटों के भीतर चीफ सेक्रेटरी पी मित्रा को आदेश दिए है कि वो एक सप्ताह के भीतर इस मामले में अब तक क्या हुआ है ,इसका सारा ब्योरा राजभवन पहुंचाए।राजनीतिक विशलेषकों की ओर से भाजपाइयों की राज्यपाल से हो रही बार-बार की मुलाकातों को लेकर किसी बड़े गेम प्लान का अंदेशा जताया जा रहा है।
उधर,पुलिस विभाग राज्यपाल की ओर से पहले की गई जवाब तलबी से बिफरा हुआ है। कल्याण सिंह इस कांड पर पहले ही डीजीपी संजय कुमार,तत्कालीन एडीजीपी सीआईडी सीताराम मरढ़ी और एसपी शिमला डी डब्ल्यू नेगी को तलब कर चुके है।इससे पुलिस विभाग बिफरा हुआ है। तत्कालीन एडीजीपी सीतीराम मरढ़ी से तो इसी मामले की आड़ में सीआईडी छीन भी लिया गया। हालांकि कहा जा रहा है कि वो अफसरों की चाल का शिकार हुए। पुलिस के अफसर अब अंदरखाते ये कहने लग पड़े है कि राज्यपाल धूमल व भाजपा के इशारे पर राजनीति कर रहे है।
उधर,भाजपा के नेताओं को राज्यपाल कल्याण सिंह में प्रदेश में अपना जनाधार खोजने की आस दीख रही है। भाजपा नेताओं की माने तो भाजपा मुख्यालय कांड तो वीरभद्र सिंह सरकार को राज्यपाल से दबोचने का एक छोटा सा जरिया मात्र है। असली गेम प्लान कुछ और है। संभवत: ये गेम प्लान आगामी दिनों में सामने आ भी जाएगा। कहते है कि इस गेम प्लान में वीरभद्र सिंह के करीबी अफसर भी शामिल है।
ये जगजाहिर है कि वीरभद्र सिंह सरकार ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह सरकार ने धूमल व उनके लाडलों समेत कई भाजपाइयों और आईएएस अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज कर रखे है। पूर्व आईपीएस अफसर एएन शर्मा मामले में तो तत्कालीन राज्यपाल उर्मिल सिंह ने वीरभद्र सिंह सरकार के अफसरों के खिलाफ मेजर पेनाल्टी लगाने आदेश दे रखे है। इससे धूमल के अलावा सरकार के चीफ सेक्रेटरी समेत कई अफसरों के सिर पर कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। अभी तक इस मामले में न तो उर्मिल सिंह के आदेशों पर कोई कार्रवाई हुई है और न ही चालान अदालत में पेश हुआ है।चीफ सेक्रेटरी पी मित्रा ने विजीलेंस से रिपोर्ट मांगी है। जबकि वो खुद इस मामले में घिरे हुए है।
बताते है कि अफसरों का गेम प्लान ही कुछ और था और इस गेम प्लान को अंजाम देने के लिए 20 जनवरी से लेकर अब तक अदालत में चालान ही पेश नहीं किया गया।
धूमल व भाजपा नेता भाजपा मुख्यालय पर हुए कांड को लेकर डेढ़ महीने में दूसरी बार राज्यपाल से मिल चुके है। सवाल उठ रहे है कि क्या मिलने की असल वजह भाजपा मुख्यालय पर हुए हमला है या इसकी आड़ में किसी और गेमप्लान को अंजाम दिया जा रहा है। क्या भाजपा के जिला शिमला के उपाध्यक्ष जिनकी इस कांड में एक आंख की रोशनी चली गई है, उनके आंख की कीमत पर कोई और सौदा हो रहा है या किन्हीं मामलों मेंराहत के लिए राज्यपाल से मदद के लिए सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है। समझा जा रहा है कि आगामी तीन चार दिनों में इस सारे गेमप्लान का भंडा फूट जाएगा।
(0)