शिमला। दो दिनों तक लगातार कई घटों मोदी सरकार की सीबीआई की ओर से भ्रष्टाचार के मामले में पूछताछ करने केे बाद रविवार को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पब्लिक में गए व कांगड़ा में सड़क सुरक्षा पर आयोजित मंत्रियों के सम्मेलन में पहुंचे ।इस मौकेे पर उन्होंंने कहा कि ट्रामाा केयर से मजबूत करने कीी जरूरत है ताकि कि हाादसों में घायल होने वाली जिंदगियों को बचाया जा सके।
मुख्यमंत्री आज कांगड़ा जिले के डा. राजेन्द्र प्रसाद मेडिकल कालेज एवं अस्पताल टाण्डा में सड़क सुरक्षा एवं सुविधाजनक परिवहन पर आयोजित मंत्रियों के समूहों की तीसरी बैठक में बोल रहे थे।
दिल्ली में मित्र मोदी की सीबीआई की पूछताछ के बाद वीरभद्र सिंह शनिवार दोपहर बाद को शिमला पहुंचे थे व रविवार को वो कांगड़ा गए । वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य में वर्ष 2014 के दौरान 1099 तथा वर्ष 2015 में 1096 लोगों ने सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जानें गवाईं, जबकि इस अवधि के दौरान क्रमशः 5576 व 5108 लोग घायल हुए। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्यों में लोग दुर्घटनाओं में पूरी जिन्दगी के लिए घायल हो जाते हैं तथा बहुत से घायल मृत्यु का शिकार हो जाते हैं, जिन्हें बाद में दुर्घटनाओं में हुई मौतों की श्रेणी में माना जाता है। उन्होंने कहा कि हालांकि हिमाचल प्रदेश देश की कुल आबादी का 0.54 प्रतिशत भाग है, लेकिन यह दुर्घटनाओं में मृत्यु दर में उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में आता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल सरकार ने चिन्हित ब्लैक स्पाॅट को हटाने के लिए वित्तीय वर्षों 2015-17 प्रत्येक के लिए 50 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है।
मुख्यमंत्री ने अधोसंरचना विकसित करने, पर्यटन को बढ़ावा देने तथा सड़क सुरक्षा मामलों का समाधान करने के उद्देश्य से राज्य के लिए नए राष्ट्रीय उच्च मार्गों की घोषणा के लिए केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गड़करी का धन्यवाद किया। उन्होंने 10000 यात्री कार इकाई से अधिक यातायात वाली सड़कों को फोर-लेन करने तथा 7000 किलोमीटर सड़कों को विकसित करने की भारत परिमाला योजना, भारत सेतु परियोजना तथा ओवर बृज रेल नीति के के्रन्द्र सरकार के कदम का स्वागत किया।
इस अवसर पर समारोह की अध्यक्षता कर रहे परिवहन मंत्री जी.एस. बाली ने पर्वतीय राज्यों की कठिन भौगोलिक स्थितियों तथा अन्य चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सड़क सुरक्षा कार्य योजना बनाते समय इन राज्यों के लिये विशेष प्राथमिकता प्रदान करने की मांग की। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा योजनाएं केवल राज्य तथा राष्ट्रीय उच्च मार्गों के लिए ही नहीं, बल्कि आपातकाल चिकित्सा प्रणाली सहित प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना तथा ग्रामीण सम्पर्क सड़कों के लिए भी बनाई जानी चाहिए।
बाली ने और अधिक पार्किंग क्षेत्रों को विकसित करने तथा फलाई ओवर पर वाहनों की पार्किंग को अपराध घोषित करने की आवश्यकता पर बल दिया, क्योंकि सड़क दुर्घटनाओं के मुख्य कारणों में इस प्रकार की पार्किंग भी शामिल है। उन्होंने सड़क सुरक्षा को स्कूल पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने का सुझाव दिया ताकि युवा नागरिकों में सड़क सुरक्षा एवं अनुशासन की भावना आरम्भ से ही उत्पन्न की जा सके।
राजस्थान के लोक निर्माण व परिवहन मंत्री यूनिस खान, जो सड़क सुरक्षा पर मंत्रियों के समूह के अध्यक्ष भी हैं, ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे। उन्होंने जी.एस. बाली की अध्यक्षता में एक उप-समिति गठित करने की घोषणा की। यह समिति सड़क सुरक्षा पर अपने सुझाव देगी तथा इसकी विस्तृत रिपोर्ट भारत सरकार को प्रस्तुत की जाएगी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव नरेन्द्र चौहान और तरूण श्रीधर ने सड़क सुरक्षा उपायों तथा हिमाचल प्रदेश में सड़कों की स्थिति पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी।
इस अवसर पर झारखण्ड, गोवा, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा, आन्ध्र प्रदेश, मेघालय, तेलंगाना, मिजोरम, बिहार, छत्तीसगढ़ राज्यों के परिवहन मंत्री, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष एवं विधायक रवि ठाकुर, केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय के सचिव संजय मित्रा, केन्द्रीय ग्रामीण विकास विभाग के सचिव जे.एस. माथुर, अतिरिक्त मुख्य सचिव (ऊर्जा एवं राजस्व) तरूण श्रीधर, मुख्य मंत्री के प्रधान सलाहकार टी.जी. नेगी, परिवहन विभाग के प्रधान सचिव संजय गुप्ता, पूर्व विधायक सुरिन्द्र काकू, केन्द्र व राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
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