शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य मानवाधिकार आयोग लोकायुक्त और लोकपाल को स्थापित करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लागू न करने को गंभीरता से लेते हुए जयराम सरकार से एक सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है। अदालत ने जयराम सरकार से इस बावत अपना स्टैंड स्पष्ट करने को कहा है। अदालत ने साथ ही निर्देश देते हुए आगाह किया है कि अगर अगर सरकार एक सप्ताह के भीतर जवाब देने में विफल रही तो अगली सुनवाई को हाईकोर्ट की ओर से आदेश पारित कर दिया जाएगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति धर्म चंद चौधरी और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ की ओर से नमिता मनिकताला की ओर से इस बावत दायर याचिका की सुनवाई करने हुए जारी किए। जयराम सरकार ने दुस्साहस दिखाते हुए इस मामले में अदालत की ओर से दो बार जवाब तलब करने के बाद भी जवाब दायर नहीं किया है। ये जयराम सरकार व उसके नौकरशाहों का बहुत बड़ा दुस्साहस है।
खंडपीठ ने जारी आदेश में कहा है कि जयराम सरकार को अदालत ने इस मामले में 29 अप्रैल को छह सप्ताह के भीतर यह जवाब देने के आदेश दिए थे कि राज्यमानवाधिकार आयोग ,लोकायुक्त या लोकपाल का गठन क्यों नहीं किया जा रहा है। लेकिन जयराम सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। इसके बाद 9 जुलाई को जवाब दायर करने के लिए और चार सप्ताह का समय दिया गया लेकिन इसके बावजूद भी जवाब दायर नहीं हुआ।
अदालत ने आज कहा कि इस तरह मामलों में राज्य सरकार का इस तरह का रवैया कतई भी सराहनीय नहीं है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही हिमाचल समेत तमाम राज्यों को राज्य मानवाधिकार आयोग और मानवाधिकार अदालतों के गठन को जरूरी करार दिया हुआ है।
नमिता मानिकताला ने अपनी याचिका में इल्जाम लगाया है कि प्रदेश में राज्य मानवाधिकार आयोग में 15 जुलाई 2005 से कोई नियुक्ति नहीं हुई है और न ही किसी मानवाधिकार अदालत का गठन किया गया।
अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में अपने एक फैसले में तमाम राज्यों को छह महीनों के भीतर मानवाधिकार आयोगों का गठन करने के निर्देश दिए थे। इस जजमेंट के आने के तीन साल भी सरकार ने प्रदेया में आयोग का गठन नहीं किया है। इस तरह सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट का पालन नहीं किया जा रहा है। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार की ओर से जजमेंट को लागू न करना गैरकानूनी तो है ही साथ ही अवमाननाजनक भी है।
ने याचिका में अदालत से आग्रह किया था कि सरकार को ओयाग व मानवाधिकार अदालत के गठन को लेकर आदेश दिए जाए।
इस पर आज खंडपीठ ने जयराम सरकार को जवाब दायर करने का आखिरी मौका दिया है। मामले की अगली सुनवाई सात नवंबर को निर्धारित कर दी है।
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