शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने पारिवारिक झगड़ों की वजह से एक महिला की ओर से आत्महत्या का प्रयास किए जाने पर पुलिस की ओर से उसके खिलाफ दर्ज एफआइआर और अदालत में दायर किए चालान को रदद करने के आदेश दिए है। अदालत नेमानसिक तनाव के दबाव में उठाए जाने वाले आत्महत्या के प्रयास जैसे कदमों पर पुलिस की ओर से एफआइआर दर्ज करने और चालान दायर करने पर चिंता जताते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह को आदेश दिए कि वह उपयुक्त कदम उठाने के लिए इस ऐसे मामलों को केंद्र सरकार के समक्ष उठाए।
इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि वह पुलिस को मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 के प्रावधानों का कड़ाई से पालने करने के निर्देश दे व आत्महत्या के प्रयास को अत्यंत तनाव में उठाया गया कदम मानें। इसके अलावा ऐसे लोगों के खिलाफ न तो एपआइआर दर्ज की जाए और न ही मुकदमा चलाया जाए।
प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायामूर्ति संदीप शर्मा ने एक महिला की ओर से इस बावत दायर याचिका की सुनवाई करतते हुए कहा कि इस मामले को आगे चलते रहना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोगा होगा।यह उल्लेखनीय है कि ये एफआइआर मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 के अस्तित्व में आने से पहले दर्ज किया था। अदालत ने कहा कि बेशक कानून बाद में आया लेकिन अब मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
पुलिस ने यह मामला याचिकाकार्त महिला के बयान पर दर्ज किया था जिसमें महिला ने कहा कि उसने तनाव में आकर फिनायल पी लिया था। उसका इंदिरा गांधी मेडिकल अस्पताल में इलाज हुआ था व वह बच गई थी। लेकिन पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के तहत उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि उसकी शादी 2010 में हुई थी लेकिन पति -पत्नी में अनबन हो गई और उसके पति ने तलाक की अर्जी दाचिखल कर दी लेनि सुप्रीम कोर्ट तक पति की याचिका खारिज होती गई। इसके अलावा भी दोनों ओर से कई मामले दर्ज हुए। वह मंडी में अलग से रहती थी। 14 दिसंबर 2016 को आउटसोर्स एजेंसी एनआइएनआइटी की ओर से नौकी के लिए रखे सारक्षात्कार में भाग लेने वह शिमला आई। साक्षात्कार देने के बाद वह अपने सुसराल चली गई। लेकिन सुसराल वालों ने उसे नहीं माना व उसे रात को गैलरी में सोना पड़ा। उस पर पहले ही तरह -तरह के लांछन लगे थे व वह टूटी हुई थी। ससुराल वालों व पति के इस रवैये से वह और आहत हो गई। उसने आहत हो की फिनायल पी लिया। इसके बाद उसे इंदिरा गांधी मेडिकल अस्पताल में ले जाया गया। बाद में पुलिस ने उसी के बयान पर उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज कर दी। बाद में राजधानी की निचली अदालत में चालान भी दायर कर दिया। महिला ने इस एफआइआ व चालान को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
(1)