शिमला । मंत्रियों व विधायकों की आय पर दिए जाने वाले आयकर का भुगतान सरकार की ओर से करने के एक मामले में सुनवाई करते हुए प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस बावत प्रदेश सकरार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने यशपाल राणा व अन्य की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के यह आदेश दिए । खंडपीठ ने सरकार छह हफतों के भीतर अपना जवाब दायर करने के आदेश दिए है।
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा था विधान सभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) अधिनियम, 1971, जिसके तहत विधान सभा के सदस्यों और मंत्रियों को उनकी ओर से अर्जित आय पर विभिन्न भत्तों और अनुलाभों के साथ आयकर का भुगतान करने से छूट दी गई है।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2017-18 में मंत्रियों और विधायकों की ओर से 1 करोड़ 11 लाख 87 हजार 863 रुपये, वर्ष 2018-19 में 1 करोड़ 79 लाख 30 हजार 873 रुपये का भुगतान किया है जबकि वर्ष 2019-20 में मंत्रियों और विधायकों की ओर से आयकर के तौर पर 1 करोड़ 78 लाख 12 हजार 311 रुपए का भुगतान जो कानून के विपरीत था।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि इन अधिनियमों के विभिन्न प्रावधानों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश सरकार इन अधिनियमों में प्रावधानों को शामिल करने की तिथि से विधायकों और मंत्रियों के आयकर का भुगतान कर रही है।
याचिकाकर्ता ने विधान सभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) अधिनियम, 1971, की धारा 66 ए जिसके तहत इस सब भुगतान को करने की छूट दी गई है को असंवैधानिक करार देने और इसे निरस्त करने का आग्रह अदालत से किया है।
याचिका कर्ता ने विधान सभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) अधिनियम, 2000 की धारा 12 को भी निरस्त करने का आग्रह किया है।
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