शिमला। प्रदेश उच्च न्यायालय ने जिला मंडी के नाचन में नेताओं को खुश करने के लिए घने जंगलों में से हरे पेडों को काट कर अवैध तौर पर सडकें निकालने के मामले में प्रदेश मुख्यप सचिव , प्रधान मुख्यस वन अरण्यकपाल, लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर इन चीफ,उवन अरण्यंपाल मंडी और वनमंडलाधिकारी नाचन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया हैं।
मुख्यं न्यांयाधीश न्यायमूर्ति ए ए सईद और न्यायमूर्ति ज्योंत्सना रेवाल दुआ की ख्ंयडपीठ ने ये नोटिस जारी किए है। खंडपीठ ने चैलचौक मंडी के राजू नामक व्य क्ति की ओर से मुख्यय न्याययाधीश को लिखे एक पत्र का स्वत: संज्ञान लिया । इस पत्र में इल्जाम लगाया गया कि नाचन के डीएफओ की शह पर नाचन वन मंडल में हजारों की तादाद में हरे पेड काट दिए गए हैं। यह डीएफओ एक ही जगह पर पांच से भी ज्या दा सालों से तैनात हैं।
राजू ने इस पत्र में आगे इल्जा म लगाए कि इस वन मंडल में बिना वन संरक्षण अधिनियम की मंजूरी हासिल किए घने जगलों में से सडकें निकाल दी गई हैं और इसके लिए पेड काट दिए गए हैं। यह भी इल्जाम लगाया गया कि वन मंडलाधिकारी ने विभाग के मातहत अधिकारियों व कर्मचारियों को डरा धमका कर यह सडकें निकाल दी हैं। इस बावत सरकार को कई शिकायतें की गई लेकिन कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई।
राजू ने यह भी इल्जांम लगाया कि नेताओं को खुश करने के लिए खच्चर रोड को जेसीबी मशीन का इस्ते्माल कर बना दिया गया। यह सब वन संरक्ष अधिनियम को ठेंगा दिखाते हुए किया गया हैं। शिकारी देवी –डेहर रोड के दस किलोमीटर के घेरे में अभ्यारण्यं इलाका होने के बावजूद जंगलों को तबाह कर दिया गया हैं। यही नहीं डीएफओ ही शह पर चैल चौक में एक मैदान बना दिया गया है जो विश्राम गृह से महज सौ मीटर दूर है और इसके लिए पांच सौ के करीब हरे पेड काट दिए गए हें।
राजू ने उच्च न्या यालय से इस मामले में जांच करने व मामला दर्ज करने की आग्रह किया हैं। उसने पिछले तीन चार सालों में नाचन में वन संरक्षण अधिनियम के नियमों का पालन किए बगैर बनाई गई सडकों की जांच करने की भी मांग की हैं। उसने डीएफओ के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने की मांग की हैं ताकि जंगलों को, पर्यावरण को और सरकारी पैसों को तबाह होने से बचाया जा सके। अदालत ने मामले की अगली तारीख तीन सप्ताह के बाद निर्धारित की हैं।
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