शिमला। जिला बिलासपुर में सगे चाचा की ओर से नाबालिग भतीजी को गर्भवती करने के मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने निचली अदालत की ओर से आरोपी को सुनाई उम्र कैद की सजा को दस साल के कारावास में बदल दिया है। हाईकोर्ट के न्यायामूर्ति धर्म चंद चौधरी और न्यायमूर्ति चंदर भूषण बारोवालिया की खंड पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि इस भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2) (एफ)व (एन) और पोक्सों अधिनियम की धारा 6 के तहत इस मामले को रेयरेस्ट आफ रेयर की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता जहां पर आरोपी के उम्र कैद की सजा का प्रावधान है।
खंडपीठ ने निचली अदालत की ओर से10 हजार रुपए के जुर्माने को बढ़ाकर उसे 50 हजार रुपए कर कर दिया व इस रकम को पीड़ित की मां को अदा करने के अदेश दिए है। मामला जिला बिलासुपर का है। जहां पर विशेष जज बिलासुपर ने 15 मार्च 2017 को आरोपी राजेंद्र सिंह को धारा 376(2) (एफ)व (एन) और पोक्सों अधिनियम की धारा 6 के तहत दोषी पाते हुए उम्र कैद की सजा व दस दस हजार रुपए की सजा सुनाई थी।
पुलिस चालान के मुताबिक यह मामला हिमाचल प्रदेश वाल्यंटरी हेल्थ एसोसिएशन लाइल्ड लाइन शिमला, भारत सरकार व लाइल्ड लाइन इडिया फाउंडेशन मुबंई की ओर से सरकारी मशीनरी को हरकत में लाने के बाद सामने आया।चाइल्ड शिमला की समन्वयक मिनाक्षी कंवर ने पुलिस को 7 जून 2014 को अर्जी दी कि चाइल्ड लाइन नंबर 1098 को 5 जून 2014 के एक शिकायत आईहै। जिसके तहत एक 14 साल की गर्भवती लड़की स्कूल नहीं जा रही है। कंवर ने पुलिस ने दखल देने का आग्रह किया। इस पर पुलिस लड़की के घर गई लेकिन लड़की की मां प दादी ने कहा कि लड़की घर पर नहीं है। इन दोनों ने दूसरे दिन उसे पुलिस स्अबेशन लाने का भरोसा दिया। दूसरे दिन लड़की की मांग ने पुलिस को बताया की उसके पति की मौत दस बारह साल पहले हो गई है और उसके तीन बच्चे है ।
इनमें दो जुड़वा है। पीड़ित लड़की दसवी ं में पढ़ती है। दस पंद्रह दिन पहले उसके पेट में दर्द हुआ । जब अल्ट्रा साउंड कराया तो पता चला कि वह गर्भवती है। पूछताछ में पीड़ित लड़की ने कहा किपांच छह महीने पहले जब वह स्कूल से लौअ रही थी तो अनजान लड़के ने रास्ते में उसे जबरन पकड़ा और झाड़ियों में उसके साथ दुष्कर्म किया । इसके बाद वह उस लड़के से कभी नहीं मिली व उसे जानती भी नहीं है। डर की वजह से उसने इस बावत किसी को कुछ नहीं बताया। लड़की ने 9 जून 2014 को मृत बच्चे को जन्म दिया था। पुलिस ने शक की बिना पर उसके चाचा के खून के नमून 19 जून 2014 को लिए जुन्गा जांच के लिए भेज दिया। फारेसिंक रिपोर्ट में पता चला कि मृत बच्चे का पिता पीड़िता का सगा चाचा ही है। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफतार कर लिया और पीड़िता व उसकी मां ने घर के उस कमरे की भी शिनाख्त कर ली जहां पर दोषी ने अपनी भतीजी के साथ तीन बार दुष्कर्म किया था।
जांच के बाद पुलिस ने अदालत में चालान पेश कर दिया व विशेषज्ञ जज बिलासपुर ने आरोपी राजेंद्र सिंह को उम्र कैद की सजा सुना दी। राजेंद्र कुमार ने इस सजा के खिलाफ हाईकोट में चुनौती दी व कहा कि पीड़िता 16 साल से ऊपर की है। उसकी उम्र सहमति देने की हो गई है व शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति देने में सक्षम थी। अदालत में यह भी सामने आया की लड़की के गर्भवती होने पर उसकी मां ने पुलिस में मामला दर्ज नहीं कराया था। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अपने फैसले में आरोपी की उम्र कैद की सजा को दस साल के कारावास में बदल दिया।
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