शिमला। दो पूर्व राज्यपालों की ओर से कायदे कानूनों को दरकिनार कर राजभवन में की गई नियुक्ति व पदोन्नति को प्रदेश हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है न्यायमूर्ति तिरलोक सिंह चौहान ने ये आदेश राजभवन में तैनात बेलदार धर्म प्रकाश की याचिका को निपटाते हुए दिए। न्यायमूर्ति तिरलोक सिंह चौहान ने साथ ही आदेश दिए कि याचिकाकर्ता के नियमितिकरण पर विचार किया जाए और अगर वह पात्र पाया जाता है तो उसे 2015 से चपड़ासी के पद पर नियुक्त किया जाए और पिछल्ले सारे लाभ दिए जाए।
अदालत के फैसले के मुताबिक धर्म प्रकाश नवंबर 1993 में दैनिक भोगी मजदूर नियुक्त हुआ था और उसे दस साल की नौकरी पूरी करने के बाद 1 अक्तूबर 2003 को नियमित किया गया । जबकि रेखा जिसके पति की मौत 5 अक्तूबर 2009 को हो गई थी ,को राजभवन ने 1 दिसंबर 2009 को करूणामूलक आधार पर तत्कालीन राज्यपाल प्रभा राव की मंजूरी के बाद ठेके पर बेलदार नियुक्त कर दिया।
उसके बाद 16 दिसंबर 2010 को तत्कालीन राज्यपान उर्मिला सिंह ने रेखा को बतौर बेलदार नियमित कर दिया। इसके बाद अपना कार्याकाल पूरा होने के एक दिन पहले तत्कालीन राज्यपाल उर्मिला सिंह की मंजूरी के बाद रेखा को 23 जनवरी 2015 को चपनड़ासी नियुक्त कर दिया।
इस पर धर्मप्रकाश ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती दे दी। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि एच्छिक शक्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन ये शक्तियां प्रशासनिक या न्यायकि स्तर पर ही क्यों न हो, इन्हें एक तरफरफा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि राज्यपाल ने इन नियुक्तियों को करने में अपनी प्रशासनिक शक्तियों का इस्तेमाल किया है।
अदालत ने कहा कि एच्छिक शक्तियां कानून व तय नियमों के सिद्धांतों के तहत इस्तेमाल होनी चाहिए। यह अथारिटी के बूते इस्तेमाल नहीं होनी चाहिए।
अदालत ने कहा कि रेखा को ठेके पर बेलदार रखा गया उसके बाद उसे नियमित बेलदार किया गया। उसके बाद उसे चपड़ासी नियुक्त कर दिया । यहां भी वह पदोन्नति से नहीं पहुंची ये नए सिरे से की गई नियुक्ति थी। अदालत ने राजभवन से शपथपत्र मांगा था कि वह बताएं कि रेखा के सबसे कनिष्ठ बेलदार होने के बावजूद उसे पदोन्न्त कर नियमित बेलदार बना दिया और उसके बाद उसे चपड़ासी लगा दिया। अदालत ने राजभवन से कहा कि वह इसक ा औचित्य बताएं।
राजभवन से अदालत में कहा गया कि यह सब कुछ तत्कालीन राज्यपालों की मंजूरी के बाद हुआ है। याचिकाकर्ता धर्म प्रकाश ने अपनी याचिका में रेखा को चपड़ासी बनाए जाने के फैसले को चुनौती दी थी व कहा था कि वह सबसे वरिष्ठ बेलदार है व उसे रेखा कि नियुक्ति को निरस्त की जाए व उसे चपड़ासी बनाया जाए। साथ ही उसे 12 फीसद ब्याज समेत पिछल्ले तमाम लाभ दिए जाए। अदालत ने कहा कि राजभवन एकतरफा फै सले नहीं ले सकता और रेखा की बतौर चपड़ायी नियुक्ति कोनिरस्त कर दिया।
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