शिमला। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के शासनकाल में हुए फोन टेपिंग कांड को लेकर वीरभद्र सिंह सरकार के टॉप अफसरों कार्यकारी मुख्य सचिव पी मित्रा, एडीजीपी सीआईडी सीताराम मरढ़ी ,मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के प्रधान निजी सचिव सुभाष आहलुवालिया को इस कांड में चार्जशीट किए गए पूर्व डीजीपी आईडी भंडारी ने टारगेट पर ले लिया है।
रिटायरमेंट के बाद भंडारी की ओर से दी गई धाम में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, स्पीकर बी बी बुटेल,कांग्रेस विधायक आशा कुमारी व राजेश धर्माणी के शामिल होने के बाद भंडारी की ओर से किए इस हमले को वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री के पद से हटाने की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है। विभिन्न मामलों में फंसे पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व भाजपा एक अरसे से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को उनके पद से हटाने की मुहिम चलाए हुए है
भंडारी ने बुधवार को राजधानी में रिटायरमेंट के बाद आयोजित किए पहले संवाददाता सम्मेलन में कार्यकारी मुख्य सचिव पी मित्रा के खिलाफ कहा कि धूमल सरकार के दौरान जब वो वितायुक्त राजस्व थे तो उन पर 118 के तहत मंजूरियां देने के लिए रिश्वत मांगने का आरोप था। इस मामले में एफआईआर भी दर्ज हुई थी। इस मामले का क्या हुआ किसी को कुछ पता नहीं है। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री धूमल भी मित्रा पर इसी तरह के आरोप लगा चुके है।
भंडारी ने मित्रा के बाद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के प्रधान सचिव सुभाष आहलुवालिया को भ्रष्ट करार दिया और कहा कि वो उनके खिलाफ षडयंत्र रच रहे है। पूर्व धूमल सरकार में आहलुवालिया भ्रष्टाचार के मामले में पकड़े गए थे। भंडारी ने कहा कि वो उनसे बदला ले रहे है। वीरभद्र सिंह ने आईएएस अफसर आहलुवालिया को रिटायरमेंट के बाद अपना प्रधान निजी सचिव बनाया हुआ है। इस पद पर आज तक कभी भी कोई रिटायर अफसर तैनात नहीं हुआ है।
भंडारी ने एडीजीपी सीआईडी सीताराम मरढ़ी को भी निशाने पर लिया और कहा कि मरढ़ी इंस्पेक्टर मुकेश गुप्ता के साथ मिल कर उन्हें फंसाने की साजिश रच रहे है। धूमल सरकार में उन्होंने कभी भी वीरभद्र सिंह की चंडीगढ़ में बगिंग करने के आदेश नहीं दिए। राज्य सरकार की किसी और एजेंसी के किसी अफसरने दिए होंगे तो वह कुछ नहीं कह सकते। उन्होंने जो भी फोन टेप किए वो सारे कानून के मुताबिक किए है। भंडारी ने विजीलेंस में एसपी डी डीब्ल्यू नेगी के बारे में कहा कि इस अफसर को सनूपिंग,बगिंग और फोन टेपिंग में क्या अंतर है ये पता नहीं है। उन्हें ही दोषी ठहराना कतई सही नहीं है।उन्होंने एलान किया कि अगर उनके खिलाफ कोई एक भी आरोप साबित कर दे तो वो उसे एक लाख रुपएका ईनाम देंगे।
फोन टेपिंग कांडके सामने आने के बाद भंडारी को डीजीपी के पद से हटाकर होम गार्ड में तैनात कर दिया था । वो 30 अप्रैल को रिटायर हो गए है और उनके खिलाफ फोन टेपिंग मामले में चार्जशीट थमाई हुई है। भाजपा सरकारमें भंडारी सीआईडी चीफ हुआ करते थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने विजीलेंस को लोकायुक्त के तहत लाने की वकालत की थी। उन्हें भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ आवाज उठाने की सजा दी जा रही है वपुलिस अफसरों पर उन्हें घेरने के लिए दबाव नाया जा रहा है।
उन्हानें कहा कि वीरभद्र सिंह सरकार में भारी भ्रष्टाचार है लेकिन सरकार के लाडले अफसर इसे दबा रहे है।
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