नई दिल्ली/शिमला। दिल्ली हाईकोर्ट से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के मनी लांड्रिग मामले में उनके पुत्र व प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह व उनकी विवाहिता पुत्री अपराजिता सिंह की दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से प्रोविजनल तौर पर अटैच की गई प्रापर्टी को बंधनमुक्त करने से इंकार कर दिया है।
हाईकोर्ट ने साथ ही इन दोनों को आंशिक राहत भी देेकर अटैैचमेंट के बाद इडी की ओर से शुरू की जाने वाली सभी कार्यवाहियों पर स्टे देकर इडी के हाथ बांध दिए है।अब इडी अगली सुनवााई तक कुछ नहीं कर सकती। मामले की अगली सुनवाई 15 जूलाई को लगी है।मामले की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट की मुख्यन्यायाधीश जी रोहणी की खंडपीठ हुई।
विक्रमादित्य और अपराजिता सिंह ने इडी की ओर से दिलली में उनकी प्रापर्टी अटैच किए जाने को अदालत में चुनौती दी थी ।इन दोनोंं ने दलील दी थी के जिस मामले में उनकी प्रापर्टी अटैच की गई है उसमें एफआईआर में उनका नाम ही नहीं है। इसलिए ये गैर कानूनी है। इसके अलावा इन दोनों ने अदालत से इडी की ओर से कीजानेवाली आगे की कार्यवाहियोंं पर भी स्टे मांगा था।
हाईकोर्ट ने आज इन इडी कीओर से प्रोविजनल तौर पर अटैच की गई प्रापर्टी को बंधनमुक्त करने से इंकार कर दिया। जबकि दूसरी दलील मान ली।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के परिवारों केे बीचसंपति को लेकर चल रही ये जंग अब आखिरी दौर में पहुंच रही है। समझा जा रहा है कि दोनोंं परिवारों में डील हो गई है और डील को अंतिम सिरे तक पहुंंचाने के लिए अब अदालत में दांवपेंच खेले जा रहेे हैै।
बीते दिनों जब भाजपा सांसद पूर्व मुख्यमंत्री के बड़ेे पुत्र अनुराग ठाकुर भारत पाक के बीच मैच को लेकर हिमाचल विधानसभा आकर मुख्यमंत्री से मिले थे तो भी कोई डील ही को लेकर बात हुई थी।लेकिन बताते है कि सब कुछ सिरे नहीं चढ़ा।
राष्ट्रीय एजेंसियोंं के सूत्रों की माने तो कहीं से दो हजार व तीन हजार करोड़ रुपए की आफरें भी इधर से उधर हुई हैं, लेकिन बीच में अड़ंगा पड़ जाने से अब प्रधाानमंत्री कार्यालय के दखल की कहानी बाहर आ रही है। लेकिन इन सब में कुछ भी आधिकारिक तौर पर पुष्ट करने को कोई राजी नहीं है।
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