शिमला। हिन्दी दिवस के मौके पर शनिवार को हिन्दी भाषा में श्रेष्ठ कार्य करने के लिए शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने जिला लोक संपर्क अधिकारी किन्नौर नरेंद्र शर्मा को सम्मानित किया है। उनको यह सम्मान सूचना एवं जन संपर्क विभाग में निदेशालय से लेकर विभिन्न पदों पर रहते हुए हिन्दी भाषा में किए गए कार्य के लिए प्रदान किया गया। उनको सम्मान स्वरुप शॉल एवं टोपी के साथ प्रशस्ति पत्र प्रदान करके सम्मानित किया गया। जिला लोक संपर्क अधिकारी किन्नौर के पद से पहले नरेंद्र शर्मा ने निदेशालय स्तर पर करीब एक दशक तक अपनी सेवाएं दी। नरेंद शर्मा सरकारी नौकरी में जाने से पहले पत्रकारिता में थे।
इस मौके परशिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि केवल एक ही दिन हिन्दी कार्य करना उचित नहीं बल्कि पूरे साल भर सभी कार्यालयों, स्कूलों व कालेजों में हिन्दी में कार्य किया जाना चाहिए।भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से गेयटी में आयोजित राज्य स्तरीय राजभाषा पुरस्कार वितरण समारोह के बाद मीडिया की ओर से ये पूछे जाने पर कि आइएएस व आइपीएस अधिकारी हिंदी में काम करे इस बावत सरकार कोई निर्देश देगी। भारद्वाज ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया व कहा कि देश के आजाद होने बाद से लेकर अब तक अंग्रेजी रुतबे की भाषा रही है व आज भी यह सिलसिला कम नहीं हुआ है। इस दिशा में काम करने की जरूरत है।
उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार का नाम लेते हुए कहा कि जब 1977 में वह मुख्यमंत्री थे तो उनके मुख्य सचिव जिन्हें हिंदी कतई नहीं आती थी वह भी हिंदी सीख गए थे।
उनकी सरकार ने फैसला लिया कि सभी कार्यालयों में हिन्दी भाषा में काम किया जाए जिसके बाद प्रदेश में हिन्दी को राजभाषा घोषित किया गया । इसके बाद मौजूदा जयराम सरकार ने संस्कृत को प्रदेश की द्वितीय राजभाषा घोषित की है। इस मौके पर 42 अधिकारियों व कर्मचारियों राज्य स्तरीय व जिला स्तरीय राजभाषा पुरस्कार प्रदान किए।
इस मौके पर उन्होंने सभी विभागों के अधिकारियों को ज्यादा से ज्यादा कार्य हिन्दी में कार्य करने का आहवान ताकि अंग्रेजी के प्रति बनी मानसिकता को खत्म किया जा सके। जितना अधिक हिन्दी का प्रयोग देश में किया जाएगा उससे राष्ट्र का स्वाभीमान और ज्यादा बढ़ जाता है।
इस अवसर पर उन्होंने भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से आयोजित भाषण, निबंध लेखन, कविता पाठ एवं प्रश्नोत्री प्रतियोगिताओं के 34 विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए। यह प्रतियोगिताएं अंतर विद्यालय एवं अंतर महाविद्यालय स्तर पर करवाई गई थी।
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