शिमला। वामपंथी पार्टी माकपा ने विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से सरकार के सबसे ताकतवर जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह को विधानसभा से बर्खास्त करने की मांग की दी है।
बीते दिनों करसोग दौरे के दौरान महेंद्र सिंह ठाकुर से मिलने आए एक प्रतिनिधिमंडल से उन्होंने कहा थाा कि अगर उनके बीच कोई कामरेड है तो वह उनके काम नहीं करेंगे। इस बावत एक वीडियो वायरल हो गया। इस वीडियो में प्रतिनिधिमंडल में आए लोग कह रहे है कि उनके बीच कोई कामरेड नहीं है। इसके बाद भी एक जगह महेंद्र सिंह ठाकुर ने वामपंथियों से ज्ञापन लेने से इंकार कर दिया था। इससे गुस्साए वामपंथियों ने अब महेंद्र सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
माकपा के राज्य सचिव और सचिवालय के सदस्य कुलदीप तनवर महेंद्र सिंह की इस बयानबाजी को संवैधानिक नियमोंके खिलाफ करा दिया व कहा कि यह पद और गोपनीयता की शपथ का सीधा-सीधा उल्लंघन है। शाद ने कहा कि सरकार और विधानसभा अध्यक्ष की संवैधानिक और नैतिक ज़िम्मेदारी बनती है कि ऐसे व्यक्ति को विधानसभा से तुरंत बर्खास्त करे।
शाद ने दावा किया कि कुल्लू ज़िला के आनी निरमंड क्षेत्र के दौरे के दौरान महेन्द्र सिंह ने सार्वजनिक तौर पर कृषक संघ का मांगपत्र लेने से इनकार करते हुए कहा था कि अगर वे कामरेड और विशेष तौर पर माकपा के लोग हैं तो उनके क्षेत्र में काम नहीं होगा।शाद ने कहा कि विकास के लिए दिया जाने वाला धन न तो मंत्री की जेब का है और न ही उनके घर की बपौती। यह जनता का पैसा है और जनता का हक़ है। अगर विकास के लिए पैसा नहीं देंगे तो जनता अपना हक छीन कर भी लेना जानती है।
शाद व तपवर ने कहा कि जयराम सरकार के इस मंत्री की तानाशाही इस कदर बढ़ चुकी है कि उन्होंने जनमंच को अधिकारियों को अपमानित करने का मंच बना लिया है औ रअब तो नौबत यहां तक आ गई कि प्रदेश के सबसे आला अधिकारी तक से अशिष्टता से पेश आ रहे हैं।
माकपा ने कहा कि मुख्य सचिव एक ईमानदार और पारदर्शिता से काम करने वाले अधिकारी हैं। मंत्री का यह रवैया स्पष्ट दर्शाता है कि वे किसी भी अधिकारी को ईमानदारी से काम करने नहीं देना चाहते।
इन दोनों वामपंथी नेताओं ने कहा कि जलशक्ति मिशन का 50 फीसदी हिस्सा केवल अपने चुनाव क्षेत्र में खर्च करने के बाद अब मंत्री चाहते हैं कि एनडीआरएफ का पैसा भी अपने चुनावी क्षेत्र पर ही खर्च करें ताकि वहाँ अपने चहेतों और ठेकेदारों को फायदा पहुंचा सके जो आगे चलकर उनके चुनाव में धन और गैर संसदीय तरीके से उनकी मदद करे।
उन्होंने भाजपा नीत की सरकारों पर आरोप लगाया है कि ऊपर से नीचे तक सरकार की समझ है कि किसानों की बात न सुनी जाए। देश के
किसान 7 महीने से बॉर्डर पर बैठे हैं लेकिन केंद्र सरकार अड़ियल रवैये के चलते उनकी मांगें मानने के लिए तैयार नहीं है। वहीं एक तरफ मंत्री का किसानों के मांगपत्र को लेने से इंकार और कुल्लू में फोरलेन प्रभावित किसानों को केंद्रीय मंत्री से मिलने से रोकने की कोशिशें साफ़तौर पर बताती हैं कि भाजपा नीत की सरकारें और उनके नुमाइंदे किसान विरोधी हैं।
माकपा ने चेतावनी दी कि सरकार इस मंत्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे वरना 26 और 27 जून को पार्टी की राज्य कमेटी की बैठक में मंत्री और सरकार का विरोध करने के लिए राज्यव्यापी रणनीति तैयार की जाएगी।
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