शिमला। हिंदुस्तान में एक ऐसी जगह भी हैं जहां पर लोग ही नहीं देवता भी तिरंगें को सलामी देता हैं। पावन मौका गणतंत्र दिवस का हो या आजादी का दिन 15 अगस्त का हिमाचल के जिला किन्नौर की रिब्बा पंचायत में
तिरंगे को वहां का स्थानीय देवता कासुराज अरसे से सलामी के लिए तिरंगे के आगे झुकता हैं। इन दो दिनों कासुराज देवता अपने मंदिर से बाहर लाया जाता हैं और देश के साथ देशभक्ति के इन उत्सवों में शामिल होता हैं।
पहले गांव वाले प्रभात फेरी निकालते हैं व उस के बाद कासुरात देवता के प्रांगण में सभी एकत्रित होकर समारोह को शु रू करने की इजाजत देवता से मांगते हैं। इजाजत मिलने के बाद देवता खुद बाहर आते हैं और तिरंगे को फहराया जाता हैं।
गांव रिब्बा में गणतंत्र दिवस के मौके पर कासुराज ने भी राष्ट्रीय ध्वज तिरंगें को सलामी दी। देवता ने तिरंगें की ओर झुक सलामी दी। देवताओं की धरती किन्नौर के रिब्बा गांव में पहले पंचायत प्रधान व बाकि पंचायत प्रतिनिधियों व गांव वालों ने प्रभात फेरी निकाली व बाद में बाद देवता को मंदिर में रख दिया व समारोह चलता रहा।
रिब्बा पंचायत के प्रधान प्रेम प्रकाश नेगी ने कहा कि उनके गांव में 26 जनवरी और 15 अगस्त को देशभक्ति के उत्सव के रूप में मनाया जाता हैं। इस गांव की आगादी करीब 21 सौ के करीब हैं। प्रेम प्रकाश नेगी बोले देवता ने तिरंगे झंडे को सलामी दी, ये अच्छी बात हैं। ये देशभक्ति की बात हैं। देवता भी देश भक्ति के उत्सव में शामिल हो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती हैं। देशभक्ति की इससे अच्छी मिसाल क्या हो सकती हैं। यह एक अरसे से चल रहा हैं।
इस पंचायत में अधिकांश आबादी बौद्व धर्म मानने वालों की हैं। लेकिन देवता को बौद्व व हिंदू दोनों ही धर्मों के लोग मानते हैं। नेगी ने कहा कि समारोह में युवक मंडल, मलिा मंडल ने भी शिरकत की। इसके सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया व प्रतिभाशाली छात्रों व छाज्ञाओं को पुरस्कृत भी किया गया।
उन्होंने कहा कि कासुराज देवता यहां बाकी स्थानीय देवताओं का मामा माना जाता हैं व इस देवता का अपना एक महत्व हैं।
हिमाचल प्रदेश विविधता और अनूठी परंपराओं के लिए देश भर में प्रसिद्व हैं व कबाइली जिलों की विविधताएं सबसे निराली हैं।
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