शिमला।दो दिन पहले जिला सिरमौर के शिलाई के गांव बकरास के दलित नेता केदार सिंह जिंदान की दिन दहाड़े स्कार्पियों के नीचे कुचल कर जघन्य हत्या कर देने से गुस्साए दलित समाज और जिंदान के रिश्तेदारों ने राजधानी शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर लाश के साथ रात भर प्रदर्शन किया और जयराम ठाकुर सरकार व पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।इस मौके पर जिंदान की पत्नी हेमलता और उनकी दोनों बेटियां भी लाश के साथ रिज पर बैठी रही। हालांकि बाद में उन्हें लक्कड़ बाजार में कार में बिठा दिया गया ।
सिरमौर पुलिस पर समय रहते कार्रवाई न करने का आरोप लगाते हुए लोगों ने कहा कि सिरमौर पुलिस पर उनको कतई भरोसा नहीं हैं। प्रदेश के इतिहास में यह पहली बार है कि किसी शख्स के कत्ल के मामले में लाश को लेकर लोगों ने ऐतिहासिक रिज पर रात भर प्रदर्शन किया। गुस्साएं लोगों का कहना है कि कुख्यात हो चुकी प्रदेश पुलिस ने प्रदेश के लोगों के लिए यह दिन भी दिखा दिया है। गुडिया मामले से पुलिस की छवि पहले ही देश व विदेश में खराब हो चुकी है। इसके बाद कसौली कांड में भी वह देशभर में बदनाम हो चुकी हैं।
पुलिस के रवैये से गुस्साए लोग बीती रात को पहले इंदिरा गांधी मेडिकल अस्पताल में नारेबाजी करते रहे व रात को जिंदान की लाश का पोस्टमार्टम हो जाने के बाद ये लोग लाश के साथ मुख्यमंत्री आवास ओकओवर की ओर कूच कर गए। वह इस बात से नाराज थे कि पुलिस लाश को परिजनों को बिना बताए ले जा रही है।इस दौरान पीड़ित परिवार के साथ न तो कांग्रेस पार्टी और न ही सता में पार्टी भाजपा का कोई नुमाइंदा खड़ा हुआ। आखिर में वामपंथियों ने विधायक राकेश सिंघा की कमान ने मोर्चा संभाला।
पहले आइजीएमसी में हंगामा होता रहा लेकिन स्थिति को संभालने की डीजीपी सीताराम मरड़ी व एडीजीपी अनुराग गर्ग ने जरूरत नहीं समझी। बाद में डीआइजी आसिफ जलाल को मौके पर भेजा गया। इससे पहले डीसी शिमला, एसपी शिमला, एसपी सिरमौर व बाकी छोटे अधिकारी गुस्साए लोगों से वार्ता करते रहे ।आसिफ जलाल के आने के बाद भी दोनों पक्षों में कोई समझौता नहीं हो पाया। लेकिन कई दौर की वार्ताएं टूटती गई। आखिर में पुलिस ने चार पांच जगह बैरिकेड लगा दिए जिससे लोग और गुस्सा गए। आखिर में लोगों ने सभी बैरिकेडों को तोड़ कर लाश के साथ रिज की ओर कूच कर दिया। यह लोग मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच कर रहे थे। लेकिन पुलिस ने उन्हें रिज पर रोक दिया।पुलिस ने दलील दी कि मुख्यमंत्री ओकओवर में नहीं हैं। प्रदर्शनकारी लाश को ओकओवर में लाश रखने की जिद कर रहे थे। गुस्साए लोगों ने रिज पर ही आंदोलन शुरू कर दिया। सिंघा ने अधिकारियों को साफ साफ बता दिया कि अगर उनकी मांग नहीं मांगी गई तो सुबह मुख्यमंत्री आवास के बाहर लाश रख दी जाएगी और प्रदर्शन तब तक चलता रहेगा जब तक मांगे नहीं मानी जाती।
सिंघा ने कहा कि जिंदान की दो बेटिया हैं। उनकी बीती के खाते मे एक भी पैसा नहीं है। कमाने वाला कोई नहीं हैं। जबकि जिंदान अपनी जान को खतरे को लेकर 34 लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत कर रखी थी। लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया जिससे आरोपियों के हौसले बुलंद हो गए और उन्होंने दिन दहाड़े जिंदान की नृशंस हत्या कर दी। आरोपियों के खिलाफ इतना बड़ा कांड होने के बाद भी पुलिस का रवैया आम मामले की तरह ही रहा।
आखिर में सुबह साढ़े पांच बजे के करीब जयराम ठाकुर सरकार के शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज रिज पर पहुंचे और उन्होंने जिंदान की पत्नी को 20 लाख रुपए राहत राशि , सरकारी नौकरी और बेटियों की सरकारी खर्चें पर पढ़ाई कराने का भरोसा दिया।हालांकि इसबावत सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। उसके बाद प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन समाप्त किया और छह बजे पुलिस पहरे के बीच लाश के साथ शिलाई की ओर चल पड़े। जिंदान की पत्नी हेमलता व उनकी बेटियों को डीएसपी राजगढ़ दुष्यंत सरपाल के साथ पुलिस पहरे में भेजा गया।
उधर, देर सांय पुलिस पहरे में शिलाई पहुंची जिंदान की लाश का पुलिस पहरे में अंतिम संस्कार कर दिया। वामपंथी विधायक राकेश सिंघा अंतिम संस्कार तक शिलाई में रहे। इस हत्या कांड ने प्रदेशकी जयराम सरकार को बुरी तरह से कटघरे में खड़ा कर दिया है।
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