धर्मशाला।हिमाचल प्रदेश सेंट्रल यूनिवर्सिटी के अध्यापकों ने विवि के रजिस्ट्रार ब्रिगेडियर जे सी रांगड़ा के खिलाफ संगीन इल्जाम लगाते हुए दो सप्ताह के भीतर टीचरों की तमाम मांगों पर गौर करने का अल्टीमेंटम दिया हैं। उग्र हुए विवि के टीचरों ने रजिस्ट्रार का घेराव कर दिया व ऐलान किया कि अगर मांगों पर गौर नहीं हुआ तो दो सप्ताह के बाद सारे टीचर कैंपस में तंबू गाड़ कर हड़ताल पर चले जाएंगे।
घेराव करने वाले टीचरों ने रजिस्ट्रार से कहा कि अगर वो काम नहीं कर सकते तो बोरिया बिस्तर बांध कर जा सकते हैं।रजिस्ट्रार रांगड़ा की नियुक्ति पांच सालों के लिए हुई हैं व उनका तीन साल का कार्याकाल पूरा हो गया हैं व दो साल बाकी बचें हैं।
सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हिमाचल प्रदेश टीचर्स एसोसिएशन के बैनर तले हुए इस घेराव के बाद रजिस्ट्रार के कामकाज से गुस्साएं टीचरों ने उन पर वितीय अनियमितताओं बरतने के संगीन इल्जाम भी लगाएं हैं। मीडिया को जारी विज्ञप्ति में एसोसिएशन ने कैग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि रजिस्ट्रार ने पे स्केल को लेकर यूजीसी की स्पष्टीकरण आ जाने के बाद अतिरिक्त वेतन नहीं लौटाया।हाल ही में सेंट्रल ऑडिट टीम ने फिर आब्जेक्शन लगाया कि तीन लाख 24 हजार के करीब ये पैसा रिकवर क्यों नहीं हुआ। मामला अभी भी लंबित ही हैं।एसोसिएशन ने कहा कि ये वितीय अनियमितता का जीता जागता उदाहरण हैं।
एसोसिएशन के ट्रेजरार सचिन श्रीवास्तव ने कहा कि जनाब पिछले साल ही नॉन टीचिंग स्टाफ को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक वेतन दे दिया। जब मंत्रालय से फटकार लगी तो उसकी रिकवरी की गई।
एसोसिएशन ने रजिस्ट्रार पर अकादमिक काउंसिल की बैठक के मिनट्स के साथ छेडछाड़ करने का संगीन इल्जाम भी लगाया हैं।एसोसिएशन ने कहा कि अकादमिक काउंसिल के सदस्यों ने इस बावत रजिस्ट्रार को इमेल भी भेजी लेकिन कुछ नहीं हुआ।
यही नहीं शाहपुर से कई विभाग धर्मशाला को स्थानातंरित किए गए लेकिन किसी के भी स्थानांतरण आदेश जारी नहीं किए गए। दो महीनों में दस विभाग स्थानांतरित कर दिए हैं लेकिन स्थानातंरण आदेश किसी के पास नहीं हैं। जबकि कई चहेतों को स्थानातंरण के लाभ भी अदा कर दिए हैं। एसोसिएशन ने रजिस्ट्रार पर लिखित व मौखिक कम्यूनिकेशंस में अनुचित भाषा का इल्जाम लगाया।
यही नहीं एसोसिएशन ने कैंटीन, फोटो कापियर सेंटर व सुरक्षा जैसी सुविधाओं की एवज में केंद्रीय सरकार के नियमों की अवहेलना कर तीसरे पक्ष को लाभ पहुंचाया जा रहा हैं।
गुस्साए टीचरों का कहना हैं कि टीचरों ने विवि में सेमीनार व वर्कशॉप कराने बंद कर दिए हैं चूंकि वितीय सहायता या तो रोक दी जाती हैं या अड़ंगा लगा दिया जाता हैं। बहुत बार लंबे समय तक भुगतान नहीं होता।
यही नहीं एंबुलेंस का इंतजाम नहीं किया गया।केनरा बैंक ने एक ओमनी वैन दान की थी उसी पर एंबुलेंस लिख दिया।इसमें ऑकसीजन सिलेंडर और स्ट्रैचर के अलावा कुछ नहीं हैं। हैं।इस एंबुलेंस में न तो नियमित ड्राइवर का इंतजाम हैं और न हीं मेडिकल तकनीशियन हैं।जीवन रक्षक दवाएं व बुनियादी उपकरण भी नहीं हैं। पिछले साल एक छात्र की अस्पताल को जाते ही रास्ते में मौत हो गई थी। अगर किसी छात्र व शिक्षक की तबियत बिगड़ जाए तो फैकल्टी की गाड़ी में अस्पताल पहुंचाया जाता हैं। जबकि खुद वो केंद्र सरकार से मिलने वाली सभी स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं।
विवि की वेबसाइट पर महत्वपूण जानकारियां अपलोड़ ही नहीं की जाती। ग्रुप इंश्योरेंस लंबे समय तक लटका रहा ।कैशलेस मेडिकल सुविधा को लेकर भी विवि प्रशासन मामले को लटकाए हुए हैं।
एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी निम्माला करुणाकर ने कहा कि पिछले तीन सालों से रजिस्ट्रार ने केवल अड़गे ही डाले हैं व उनसे अगले दो सालों में भी ज्यादा उम्मीद नहीं हैं।
ट्रेजरार श्रीवास्तव ने कहा कि उन्होंने ये तमाम बिंदु कुलपति व मानव संसाधन मंत्रालय को भेज दिए हैं।
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