शिमला। जिला शिमला में मौसम आधारित फसल बीमा योजना के तहत चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए है। बीमा कंपनियों ने साल 2016-17 और 2017-18 में 54 करोड़ 85 लाख 3हजार 814 रुपए का प्रीमियम एकत्रित किया और किसानों को केवल 16 करोड़ 35 लाख 9 हजार937 रुपए अदा किया । इस तरह दो साल में 38करोड़ 49 लाख93 हजार 877 रुपए मुनाफे के तौर पर बीमा कंपनियां की जेब में चला गया।
यह खुलासा सदन में प्रश्नकाल में वामपंथी माकपा विधायक राकेश सिंघा की ओर से पूछे प्रश्न पर बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के लिखित जवाब में हुआ है। यह तस्वीर केवल जिला शिमला की है। पूरे राज्य में क्या हुआ है इसका खुलासा अभी होना बाकी है।
मंत्री ने लिखित जवाब में कहा कि सेब की फसल के लिए 2016-17 में किसानों ने 13 करोड़ 88 लाख 23 हजार618 रुपए प्रीमियम बीमा कंपनियों को जमा कराया। इसके अलावा राज्य सरकार व केंद्र सरकार ने अपनी ओर बीमा कंपनियों को 13करोड़ 60 लाख47 हजार 146 रुपए का प्रीमियम जमा कराया। ऐसे में बीमा कंपनियों के पास इस साल 27 करोड़ 48 लाख 70 हजार 764 के प्रीमियम जमा हो गया। जबकि किसानों को कुल 11 करोड़ छह लाख 29 हजार 795 करोड़ ही अदा किए ।
2017-18 में बागवानों ने14 करोड़ 40 लाख17 हजार का प्रीमियम जमा कराया जबकि राज्य व केंद्र सरकार ने अपनी हिस्सेदारी का 12 करोड़ 96 लाख15 हजार 614 रुपए का प्रीमियम बीमा कंपनियों को जमा कराया । इस तरह बीमा कंपनियों को कुल 27 करोड़ 36 लाख 33 हजार और 50 रुपए प्रीमियम जमा हुआ व किसानों को बीमा कंपनियों ने कुल पांच करोड़ 28लाख 80हजार 142रुपए अदा किए है।
मंत्री ने जवाब में कहा कि 2016-17 व 2017-18 में क्रमश:39479 और 73808 किसानों ने मौसम आधारित फसल बीमा योजना को अपनाया। 2016-17 व2017-18 में क्रमश: 849 व 12011 किसानों ने ओलों से होने वाले नुकसान को भी बीमा के तहत जोड़ लिया । 2018-19 में 31 जुलाई तक 82844 किसान इस योजना के तहत आ गए थे।
इन दो सालों में ही एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी आफ इंडिया और मैसर्स इफको टोक्यो जनरल इंश्योरेंस कंपनी की जेब में ये रकम चली गई ।
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