शिमला। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने केंद्र की मोदी सरकार की ओर से सांसदों के एक साल तक वेतन में 30 फीसद की कटौती के फैसले को उचित ठहराते हुए सांसद निधि को जारी रखने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा है कि सांसद निधि के बंद होने से सांसदों के अपने क्षेत्र में जारी विकास कार्य प्रभावित हो सकते हैं।
वीरभद्र सिंह ने देश में कोरोना महामारी के प्रति लोगों को सचेत करते हुए उन्हें इसकी रोकथाम के लिए सरकार को पूरा सहयोग देने का आहवान किया व कहा कि हिमाचल एक छोटा राज्य है, जिसमें लोगों की आर्थिकी बागवानी, खेतीबाड़ी, पर्यटन से जुड़ा व्यवसाय, होटल, छोटा-मोटा कारोबार व दुकानदारी आदि है।
आज देश व प्रदेश में बंदी की वजह से यह सब कारोबार बहुत प्रभावित हो गया है। कोरोना महामारी का असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी बहुत बुरे ढंग से पड़ा है। आने वाला समय और भी गंभीर चुनौती का हो सकता है इसलिए केंद्र व राज्य सरकार को अभी से कोई ऐसी दीर्घकालीन कार्य योजना पर विचार व कार्य योजना शुरू कर देनी चाहिए, जिससे आमजन के जीवन यापन में कोई बड़ी समस्या पैदा ना हो।
वीरभद्र सिंह ने प्रदेश के लोगों की समस्या की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि पर्यटन से जुड़ा व्यवसाय होटल कारोबारियों के साथ-साथ अन्य छोटे दुकानदारों का जिन्होंने बैंकों से कर्ज ले रखे हैं उनका इस समय का बैंक ब्याज माफ़ किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा है कि साथ ही इन लोगों को बिजली, पानी व अन्य टैक्स में भी छूट दी जानी चाहिए क्योंकि इन्हें व्यवसायिक दर पर इसका मूल्य चुकाना पड़ता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि प्रदेश में किसानों, बागवानों को भी पूरी राहत दी जानी चाहिए। प्रदेश में मुख्य व्यवसाय बागवानी व खेतीबाड़ी ही है। बंदी की वजह से किसान और न ही बागवान अपनी फसल की देख-रेख कर सके हैं। किसानों-बागवानों को भी कोई विशेष आर्थिक पैकज दिया जाना चाहिए’
पूर्णबंदी की वजह से सबसे ज्यादा कामगार श्रमिकों के दैनिक जीवन पर असर पड़ा है। उन्होंने प्रदेश सरकार से कहा है कि सार्वजिनक वितरण प्रणाली की व्यवस्था को सही ढंग से लागू कर गरीब लोगों को सस्ता राशन वितरित किया जाए। सब्जी उत्पादकों को विशेष सुविधा देते हुए इनकी सब्जियों को समय पर बाजार तक पहुंचाने की पूरी व्यवस्था की जानी चाहिए।
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