शिमला। हिमाचल प्रदेश में ड्रग्स के धंधें में पकड़े जाने वाले 65 फीसद आरोपी अदालत से छूट कर आ रहे हैं।पहले 72 प्रतिशत आरोपियों के खिलाफ वीरभद्र सिंह सरकार की एजेंसियां व अभियोजन पकड़े गए आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित ही नहीं कर पाती थी।टॉप बाबू कहते हैं कि अब 35 प्रतिशत आरोपियों को पुलिस अदालत में सजा दिलाने में कामयाब हो रही हैं ।ऐसे में बाकी 65 प्रतिशत अदालत से छूट कर मुख्य धारा में आ रहे हैं।
ड्रग्स के धंधेें में कोई राजनीतिक आका शामिल हैं या नहीं ऐसा कोई भी सूराग वीरभद्र के टॉप बाबूओं को अभी तक नहीं मिला हैं। ड्रग्स के धंधे पर सरकार की संजीदगी से दुनिया जहान को रूबरू कराने केे लिए वीरभद्र सिंह सरकार के टॉप बाबू चीफ सेक्रेटरी वी सी फारका और डीजीपी संजय कुमार ने साझा संवाददाता सम्मेलन बुलाया व वहां ये खुलासा किया।
गौर हो हिमाचल के पड़ोसी राज्य पंजाब में विधानसभा चुनाव ड्रग्स के मसले पर ही लड़ा गया हें ऐसे में वीरभद्र सिंह हैं के प्रशासन में तैनात राजनीति का काम अंजाम देे रहे बाबू नई नई रणनीतियां सामने ला रहे हैं। येसबकों मालूम हैं कि प्रदेश के स्कूलों -कॉलेजों से लेकर गावों तक ड्रग्स माफिया ने अपने पांव पसार लिए हैं और 2016 में पुलिस ने केवल 929 मामले दर्ज किए हैं जबकि2015 में 622 केस दर्ज किए थे। इससे पहले साल में 644 केस दर्ज गए थे। डीजीपी संजय कुमार ने कहा कि पिछले 10 सालों में सजा दिलाने का फीसद 28.11 रहा हैं हालांकि 2015 में ये कुछ बढ़ा हैं और 35 फीसद तक पहुंचा हैं।
ये गंभीर मसला हैं कि पुलिस आरोपियों को सजा ही नहीं दिला पा रही हैं। वजह क्या हैं ये बड़ा सवाल हैं।क्या पुलिस झुठे केस बनाती हैं या कहीं बड़े स्तर पर क्रप्शन हो रहा हैं।डीजीपी ने कहा कि छोटे मामलों में ज्यादातर लोग छूट जाते हैं।
ये पूछे जाने पर कि ड्रग्स का धंधा चलाने वाले किंगपिन की पहचान हुई हैं। चीफ सेक्रेटरी वी सी फारका ने कहा कि ऐसा कुछ हाथ नहीं लगा हैं।लेकिन पुलिस व सरकार जो लोग पकड़े जा रहे हैं उनके आगे पीछे के सारे संपर्कों कीछानबीन कर रहीं हैं। इसके अलावा प्रापर्टी को अटैच करने का फैसला लिया गया हैं और कानूनों में संशोधन के लिए मोदी सरकार को प्रस्ताव भेजे गए हैैं।
फारका ने कहा कि सरकार भांग व अफीमकी खेती को उखड़ने के लिए एनजीओ,पंचायती राज संस्थाओं और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूूूूरो को शामिल कर बड़ा अभियान चलाने जा रही हैं।नारको सेल में अलग अलग रेंज में तीन डीएसपी तैनात कर दिए हैं इसके अलावा आईजी व डीआईजी के साथ भी डीएसपी तैनात किए जा रहे हैैं । अगर जरूरत पड़ी तो अलग से सेल खोलने का भी इरादा हैं।चुनावी साल में चीफ सेक्रेटरी फारका ने सरकार का इरादा साफ कर दिया हैं।चूंकि इस साल चुनाव होने हैं व विपक्षी पार्टी ड्रग्स के संवेदनशील मसले पर सरकार को न घेर दे इसलिए सरकार ने पहले ही अपने टॉप बाबू आगे कर दिए हैं।लेकिन इन टॉप बाबूओं का ज्यादा फोक्स भांगव अफीम की खेती तबाह करने में हैं। जबकि प्रदेश में बाकी ड्रगस पांव फैला चुकी हैं।
कुल्लू ,चंबा, किन्नौर जैसे दूरदराज इलाकों से पंजाब ,हरियाणा व उतरप्रदेश के युवक ड्रग्स के साथ पकड़े जा चुके हैं। ऐसे में किंग पिन का हाथ न आना कई सवाल खड़े करता हैं।
डीजीपी संजय कुमार कहते हैं कि 2015 व 2016 में छह -छह विदेशी ड्रग्स के साथ पकड़े गए हैं।उनके स्थानीय संपर्कों के साथ क्या हुआ ये पता नहीं हें। चूंकि ड्रग माफिया ने प्रदेश में जाल बिछाया हुआ हैं।निश्चित तौर पर ये पंजाब की तरह कहीं न कहीं से कंट्रोल जरूर हो रहा होगा। डीजीपी ने ही खुलासा किया कि इस साल कांगड़ा के नूरपुर में 45 केस दर्ज हुए हैैं।गगरेट में दवा के सौदागर का लाइसेंस रदद कर दिया गया हैं।
उन्होंने कहा कि 2016 में 377 किलो चरस,27 किलो अफीम और 90 किलो गांजा बरामद किया हैं। इस साल ड्रग्स के धंधे में 1079 लोग पकड़े गए हैं।जिनमें से 6 विदेशी हैं।उन्होंने कहा कि कुल्लू पुलिस ने हाल ही में नाइजीरिया के एक नागरिक से डेढ किलो हेरोइन बरामद की व अमरिकी नागरिक से 126किलो गांजा,10 किलो हशीश तेल और पौने तीन किलो ठोस हशीश तेल बरामद की हैं।
डीजीपी ने कहा कि अभी तक कोई राजनीतिक नेता जो ड्रग के धंधे में शामिल हो,ऐसा पुलिस की जांच में सामने नहीं आया हैं। पुलिस का काम तो जो पकड़ा गया हैं उसके ब्यान पर आगे बढ़ता हैं।उधर ,फारका ने कहा कि सरकार इस साल ड्रग्स केि खिलाफ बड़ा अभियान छेड़ेंगी। उन्होंने मीडिया व प्रदेश की जनता का आहवा किया कि अगर उनके नोटिस में कहीं ड्रग्स का मामला आता हैं तो पुलिस व उन्हें भी सीधे संपर्क किया जा सकता हैं। सरकार ड्रग्स के मसले पर बहुत गंभीर हैं।फारका ने कहा जिन कच्चे पद्धार्थों से ड्रग्स बनती हैं उनका भी आडिट किया जाएगा कितना माल कहां से आया व कहां पर इस्तेमाल हुआ।
(2)