शिमला। तीन विधानसभा हलकों अर्की, जुब्बल कोटखाई व फतेहपुर और मंडी संसदीय हलकों के उपचुनावों में कांग्रेस पार्टी को चारों सीटों पर मिली जीत के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर और प्रदेश के सह प्रभारी संजय दत का पार्टी में कद बढ़ गया है। संजय दत और राठौर की जोड़ी ने जिस तरह से बिखरी कांग्रेस को इन चुनरवों के एकजुट कर दिया उसके पार्टी को जीत के रूप में नतीजा भी मिल गया व प्रदेश में सरकार होने के बावजूद भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा।
2014 के लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस के हारने का जो सिलसिला शुरू हुआ था उसे वीरभद्र सिंह-सुक्खू की जोड़ी से लेकर सुशील कुमार शिंदे और रजनी पाटिल जैसे कांग्रेस के दिग्गज प्रभारियों के रहते भी नहीं रोका जा सका। लेकिन राठौर व संजय दत ने भाजपा के इस विजय रथ को रोक दिया और चमत्कार कर चारों सीटें कांग्रेस की झोली में डाल दी।
अर्की और जुब्बल कोटखाई में अंदेशा था कि वीरभद्र सिंह खेमा भितरघात कर देगा लेकिन इन दोनों नेताओं ने इस तरह की कोशिशों को ज्यादा पनपने नहीं दिया। अर्की में तो वीरभद्र सिंह खेमे के मुखिया को ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। उस के साथ कोई सौदेबाजी भी नहीं की। इसका सीधा संदेश भी गया। इस खेमे में पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष धर्मपाल ठाकुर के से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं को बिलासपुर से कांग्रेस विधायक रामलाल ठाकुर ने पार्टी के साथ लगा दिया। हालांकि यह भी फैलाया गया कि हालीलाज से वाटसएप पर कोई संदेश दिया गया है। लेकिन ऐसा कहीं कोई वाटसएप संदेश सामने नहीं आया । इससे हालीलाज से जुड़े आधे से ज्यादा कांग्रेस प्रत्याशी को जीताने में जुट गए। मंडी दौरे के बाद पार्टी प्रभारी संजय दत अर्की आए । उन्होंने उसी दिन अर्की ब्लाक कांग्रेस के नेता व हालीलाज कांग्रेस के करीबी राजेंद्र ठाकुर को पार्टी से बाहर कर दिया।
यही नहीं अर्की ब्लाक कांग्रेस के नए बनाए गए अध्यक्ष सतीश कश्यप ने भी अवस्थी को जीताने में पूरा जोर लगाया। संजय दत और राठौर ने उनको पूरा सम्मान भी दिया जबकि वीरभद्र सिंह के जमाने में वह हाशिए पर ही रहते थे व जब पार्टी संकट में आती तो उन्हें जिम्मेदारी दे दी जाती। उनके पास ही अर्की कांग्रेस की सबसे ज्यादा बारीक जानकारियां हैं।
यही नहीं राठौर व सुक्खू ने शिमला ग्रामीण से विक्रमादित्य सिंह को 2017 के चुनावों में जीताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कसुम्प्टी विधानसभा के पूर्व विधायक सोहन लाल को भी प्रचार में उतारा। राठौर व संजय दत दोनों ने मंडी में भी वीरभद्र विरोधी खेमे को हावी नहीं होने दिया व सभी को एकजुट करके रखा। इसी तरह फतेहपुर में तमाम खेमों को एकजुट कर दिया।
जुब्बल कोटखाई में भितरघात का बड़ा खतरा था व कांग्रेस के नेता इसे भांप भी रहे थे। लेकिन यहां भी भितरघात से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ और बड़े अंतर से रोहित ठाकुर जीत गए। जयराम सरकार के विभिन्न मोर्चों पर विफलताएं और महंगाई जैसे मुददों को बेशक कांग्रेस लोगों के बीच ले गई हो लेकिन कांग्रेस की असल जीत की वजह उसकी एकजुटता और भाजपा का बिखराव ज्यादा रही। कांग्रेस के सह प्रभारी संजय दत ने कहा कि कांग्रेस इन उप चुनावों में एकजुट रही और टीम वर्क की तरह जमीन पर काम किया।
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