शिमला। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कांग्रेस के घोषणा पत्र को झूठ का पुलिंदा करार दिया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि यह घोषणा पत्र छलावा एवं लोगों को भ्रमित करने वाला है जिसका एकमात्र उद्देश्य लोक लुभावने वायदे कर सत्ता हथियाना है क्योंकि कांग्रेस नेता सत्ता के बिना नहीं रह सकते और अब उनकी छटपटा साफ दिखाई दे रही है।
उन्होंने कहा कि देश के लोग कांग्रेस के इस झूठ के पुलिंदे से प्रभावित होने वाले नहीं हैं ।
जयराम व धूमल ने कहा कि गरीब लोगों को 72000 रुपए सलाना देने की घोषणा भी केवल मात्र चुनावी स्टंट है जो निर्धन लोगों को भ्रमित करने का प्रयास है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का पूरे देश में कोई अस्तित्व नहीं है और जिन दलों के साथ वे गठबंधन कर रहे हैं वे अपने-अपने राज्यों में अपना जनाधार खो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार वर्ष 2014 के अपने घोषणा पत्र में कांग्रेस पार्टी ने नारा दिया था कांग्रेस एकमात्र विकल्प लेकिन जनता ने कांग्रेस पार्टी को 44 सीटों का दल बना दिया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का वायदा किया गया है परन्तु वास्तविक यह है कि 60 वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद भी कांग्रेस पार्टी ने महिलाओं के कल्याण के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार 2030 तक गरीबी हटाने का वायदा भी अपने आप में हास्यास्पद है क्योंकि कांग्रेस पार्टी द्वारा यह नारा लगभग 45 वर्ष पहले दिया गया था।
धूमल ने घोषणा पत्र को बताया देश विरोधी
पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि इस बार प्रधान चौकीदार के नेतृत्व में देश के करोड़ों चौकीदार पूरी तरह से चौकन्ने है इसलिए चोरों का चोरी का ईरादा इस बार सफल नहीं होगा। धूमल ने कहा कि कांग्रेस ने देश विरोधी घोषणा पत्र तैयार किया है। कांग्रेस के घोषणा पत्र में किए गए वायदों से यह स्पष्ट हो गया है कि देश की एकता और अखण्डता के साथ होने के बजाए कांग्रेस का हाथ अब भारत तेरे टुकड़े होंगे गैंग के साथ दिख रहा है। कांग्रेस के लिए देशद्रोह अब अपराध नहीं रह गया है। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में अलगाववादियों को फायदा पहुंचाने वाले वायदे किए हैं।
उन्होनें कहा कि कांग्रेस ने वर्ष 2014 में भी महिलाओं को आरक्षण देने की बात अपने घोषणा पत्र में कही थी और अगर उनकी नीयत ठीक होती तो वह विपक्ष में रहते हुए भी महिलाओं के आरक्षण के लिए संसद में आवाज उठा सकते थे परन्तु पांच वर्षों तक चुप रहने के पश्चात अब घोषणा पत्र में झूठे वायदों के सहारे जनता को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है।
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