शिमला। पिछले 40 सालों में पहली बार बिना पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के चेहरे व राजनीतिक चातुर्य के तीन विधानसभा हलकों और एक संसदीय हलके के उपचुनावों में उतरी कांग्रेस पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति बदलकर सता में पार्टी भाजपा को धराशायी करने की रणनीति बनाई है। वह अपने मंसूबे में कामयाब हो पाती है या नहीं यह दो नवंबर को आने वाले नतीजों से साफ हो पाएगा लेकिन अगर बदली चुनावी रणनीति में कांग्रेस कामयाब हो गई तो 2022 में सता को पाने के लिए उसका रास्ता साफ हो जाएगा। मंडी संसदीय और अर्की,जुब्बल- कोटखाई व फतेहपुर विधानसभा हलकों के हो रहे ये उपचुनाव भाजपा व कांग्रेस दोनों के लिए सेमीफाइनल सरीखे हैं।
पिछले 40 सालों में कांग्रेस पार्टी का यह पहला चुनाव है जिसमें पार्टी के मुख्य चेहरा रहे वीरभद्र सिंह नहीं है लेकिन कांग्रेस चुनाव प्रचार उन्हीं के नाम व कामों को आगे रख कर रही है। मंडी ही नहीं अर्की,फतेहपुर और जुब्बल कोटखाई में भी चुनावों में वीरभद्र सिंह का नाम लिया जा रहा है।
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि ऐसा नहीं है कि इन चुनावों में कांग्रेस को कोई चेहरा नहीं है। वीरभद्र सिंह ही चेहरा है लेकिन उनकी मौजूदगी नहीं है। मंडी में कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह के प्रचार में उतरी कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री आशा कुमारी ने कहा कि इन उपचुनावों में चेहरा तो वीरभद्र सिंह ही है लेकिन उनकी मौजूदगी नहीं है।
जाहिर है वीरभद्र के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी की नजर सहानुभूति मतों पर है और पार्टी इस दिशा में काम भी कर रही है। आशा कुमारी ने कहा कि उनके निधन से जो रिक्तता पैदा हुई है उसकी भरपाई नहीं हो सकती। लेकिन चूंकि चुनाव में है तो कांग्रेस पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति बदल दी है। पार्टी इन चुनावों में टीम वर्क और एकजुटता के साथ हर हलके में काम कर रही है। पिछले नगर निगम चुनावों में भी कांग्रेस ने यही रणनीति अपनाई थी व चार में से दो नगर निगमों पर कब्जा कर लिया था। एकजुटता व टीम वर्क के सहारे कांग्रेस इन उप चुनावों में भाजपा के सत्ता में रहने के बावजूद धूल चटाएगी और चारों सीटें जीतेंगी। मुख्यमंत्री जयराम सरकार की स्थिति तो उनके चुनाव हलके सिराज में ही खराब है वह रोज सिराज पहुंच जाते है जबकि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह नामांकन भरने व मतदान करने के अलावा अपने चुनावी हलके में कभी नहीं गए। यह तभी संभव होता था जब वह लोगों के काम करते थे।
कांग्रेस के नेताओं व कार्यकर्ताओं के दल हर हलके में घूम रहे है लेकिन जयराम फतेहपुर क्यों नहीं जा रहे है। भाजपा पूरी तरह से बिखर चुकी है।
आशा कुमारी ने कहा कि इन उप चुनावों में तो कांग्रेस के समक्ष मुख्यमंत्री कौन होगा ऐसा कोई मसला नहीं है लेकिन इन उपचुनावों के बाद जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री रहेंगे या नहीं यह संदेह तो भाजपा में ही उठ रहे है। कोई कह रहा है कि केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को मुख्यमंत्री के पद के लिए तैयार किया जा रहा है। कोई चाहता है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का खोया सम्मान बहाल किया जाए। एक खेमा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नडडा को ही मुख्यमत्री बनाने की वकालत कर रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में तो ऐसी कोई जंग ही नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि अब पार्टी काडर व नेताओं को दिशा व दिशा निर्देश देने वाला कोई नहीं है। आशा कुमारी ने राज खोला कि वीरभद्र सिंह के समय ऐसा कभी नहीं हुआ कि उन्होंने ऊपर से दिश निर्देश थोपे हो। वह पूरी तरह से लोकतांत्रिक नेता थे। हम फैसला मिल कर लेते थे । वह जो पार्टी में उनके समर्थक होते थे उनकी भी बात सुनते थे और जो उनके विरोध में भी होते थे उनकी भी बात सुनते थे। उसके बाद जो फैसला होता था उसके कार्यान्वयन पर जुट जाते थे। वह मोदी व शाह की तरह नहीं थे जो न किसी कि सुनते है और हमेशा अपने ही निर्देशों पर काम करते हैं।
यही नहीं सहानुभूति मतों पर नजर रखते हुए मंडी से उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह ने सोशल मीडिया के मंचों पर अपना नाम प्रतिभा वीरभद्र सिंह लिख रखा है। यही नहीं फतेहपुर , अर्की और जुब्ब्ल कोटखाई में वीरभद्र सिंह के नाम पर वोट मांगे जा रहे हैं।
पार्टी के सह प्रभारी संजय दत ने कहा कि वह फतेहपुर, मंडी व अर्की हलकों के दौरे कर चुके है हर जगह में लोगों का वीरभद्र सिंह के प्रति सम्मान देखने को मिला है। जाहिर है उपचुनावों में कांग्रेस को इसका फायदा मिलेगा।
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