शिमला। माता पिता की नशाखोरी मूक बधिर बच्चों के पैदा होने का सबसे बड़ा कारण हैं। यह दावा फोर्टिस अस्पताल के इएनटी विशेषज्ञ डाक्टर अशोक गुप्ता ने राजधानी में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में किया। डाक्टर गुप्ता ने कहा कि दस साल की उम्र तक के शिशुओं में काकलियर इम्प्लांट सर्जरी कर उनके सुनने व बोलने की क्षमता को विकसति किया जा सकता हैं। अगर आठ महीने से दो साल की उम्र के बीच यह सर्जरी हो जाए तो बच्चा सामान्य बच्चें की तरह जिंदगी जी सकता हैं व स्कूल जा सकता । लेकिन देरी से ज्यादा लाभ नहीं मिलता और दस साल की उम्र के बाद इलाज संभव नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि देश में हजार नवजात शिशुओं में चौथा बच्चा मूक व बधिर पैदा हो रहा हैं व जिस तरह से नशा खोरी का दौर चल रहा है उससे 2020 में यह स्थिति और भयंकर होने वाली हैं। उन्होंने कहा कि अगर घर में पिता बीड़ी सिगरेट पीता है और मांग गर्भवती हैं तो बच्चे पर जरूरी असर पड़ेगा। बेशक मां बीड़ी सिगरेट नहीं पीती हो। उन्होंने कहा कि जिन घरों में गर्भवती महिला हो वहां पर बीड़ी सिगरेट पीने पर पूर्ण पाबंदी होनी चाहिए। इसके अलावा शराब, तबांकू चियुंगम समेत तमाम नशे गर्भ में बच्चे के विकास पर असर डालते हैं। दुनिया में यह समस्या भारत में सबसे ज्यादा हैं।
डाक्टर गुप्ता ने कहा कि देश में एक करोड़ के करीब लोग मूक व बधिर है जिनमें से 80 लाख दस साल की उम्र से ज्यादा हैं व इनका कोई इलाज नहीं हैं। लेकिन जो 20 लाख भी है उनमें से अधिकांश के माता पिता को पता ही नहीं हैं कि उनके बच्च्े की सर्जरी हो सकती है व वह सुन व बोल सकता हैं। डाक्टर गुप्ता ने कहा कि दो साल तक के बच्चे में कोकलियर इम्प्लांट करने का खर्च साढ़े पांच लाख रुपए क करीब है और इसका पूरा खर्च सरकार देती हैं।
ेउन्होंने कहा कि बच्चों की लगातार स्क्रीनिंग की जानी चाहिए। इस बावत केंद्र सरकार की योजना भी है लेकिन यह सही तरीके से लागू नहीं हो पा रही हैं।
अब तक 400 से अधिक बच्चों की सफल कॉकलियर इमप्लांट सजर्री कर चुके डा. गुप्ता ने कहा कि जो बच्चे जन्म के बाद देरी के साथ रोते हैं, उन बच्चों में इस बीमार का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे बच्चों के आॅडियोमेटरी टेस्टों की जरूरत होती है। इस के बाद सिटी स्केन व कनपटी की हड्डी की एम.आर.आइ द्वारा यह पता लगाया जाता है कि बच्चे के कान में घोंगे जैसा सुनने वाला कुदरती यंत्र है भी या नहीं।
उन्होंने प्रदेश के ऐसे माता पिता जिनके दो साल की उम्र तक के बच्चे गूंगे व बहरे हैं उन्हें अस्पताल तक लाने का आहवान किया व कहा कि इन बच्चों को वो मुफत इलाज करेंगे । अगर उन्हें इसके लिए अपनी टीम के साथ हिमाचल भी आना पड़ेगा तो जरूर आएंगे। गुप्ता शिमला में जन्में हैं व 28 साल तक उन्होंने पीजीआइ चंडीगढ़ में सेवाएं दी हैं।
(5)