शिमला। ठियोग से चुनाव लड़ने से मुकरने के बाद 20 अक्तूबर को अर्की विधानसभा हलके से नामांकन भरने के बाद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अर्की चुनावी हलके से गायब हैं। 20 अक्तूबर को भी वो अपने लाव-लश्कर के साथ चंद घंटों तक अर्की में रहे व कोटली के मैदान में एक जनसभा कर शिमला को महंगी व चमचमाती गाडि़यों में फुर्र हो गए। उनके टूर प्रोग्राम के मुताबिक वो 27 तारीख तक भी अर्की नहीं आने वाले हैं। 26 को उनका प्रोग्राम रोहड़ू व 27 को वो सिरमौर के दौरे पर रहने वाले हैं।इस तरह नामांकन भरने के एक सप्ताह बाद तक वो अपने चुनावी हलके से गायब रहने वाले हैं।
वो भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों में से एकमात्र ऐसे प्रत्याशी हैं जो अपने चुनावी हलके से गायब हैं। जबकि नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल लगातार अपने नए चुनावी हलके सुजानपुर में प्रचार में जुटे हैं। दोनों ही सीएम पद के दावेदार हैं और दोनों ही नए चुनावी हलकों से चुनाव लड़ रहे हैं।
उनका इस तरह अपने चुनावी हलके से गायब रहना उन्हें मंहगा पड़ सकता हैं। वो कांग्रेस पार्टी की तरफ से अगले मुख्यमंत्री के चेहरे भी हैं। अगर वो ऐसे ही गायब रहे तो ऐसा न हो कि कांग्रेस का सीएम प्रत्याशी ही हार जाए।
धूमल की मर्जी के खिलाफ आलाकमान ने उनका चुनावी हलका बदला तो वीरभद्र सिंह ने अपने चुनावी हलके से अपने पुत्र को मैदान में उतारा हैं। ऐसे में वो मजबूरी में अर्की से चुनाव मैदान में उतरे थे। हालांकि उन्होंने पृष्ठभूमि बहुत पहले बांधनी शुरू कर दी थी और पूर्व मंत्री स्व. हरिदास ठाकुर के छोटे पुत्र राजेंद्र ठाकुर से अपने लिए अर्की चुनाव लड़ने की मांग भी उठवा दी थी। लेकिन अब उनका इस तरह गायब रहना स्थानीय कांग्रेसियों को पसोपेश में डाल रहा हैं ।
बहरहाल, उनकी पत्नी व पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह अर्की में डेेरा जमाए हुए हैं। लेकिन वो 2014का लोकसभा का चुनाव मंडी हलके से खुद हार चुकी हैं। उनके अलावा मुख्यमंत्री के बेहद वफादार स्टेट को- आप्रेटिव बैंक उपाध्यक्ष हर्ष महाजन भी अर्की में डेरा डाले हुए हैं। लेकिन प्रत्याशी को लगातार गायब रहना कई सवाल खड़े कर देता हैं कि जब ये हाल हैं तो जीतने के बाद क्या होगा। वैसे भी अर्की पिछले पांच सालों में सरकार की बेरूखी को शिकार रहा हैं।आलम ये रहा था कि अर्की के मशहूर मेले सायर में भी मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह न्यौते के बावजूद नदारद रहे थे। जबकि अर्की कांग्रेस के नेता उन्हें मनाने कई बार हॉली लॉज व सचिवालय में नाक रगड़ते रहे थे।
उधर, दिलचस्प ये है कि अर्की से उनके इस तरह गायब रहने पर भाजपा खामोश हैं। भाजपा कोई सवाल भी नहीं उठा रही हैं। मोदी व अमित शाह की जोड़ी ने इस बार अर्की से दो बार भाजपा विधायक रहे गोबिंद शर्मा का टिकट काटकर बिलकुल नया चेहरा रतन सिंह पाल को चुनावी मैदान में उतारा हैं। चूंकि सवाल भाजपा को उठाने हैं , ऐसे में उसकी चुप्पी कई सवाल खड़े रही हैं कि भाजपा क्या किन्हीं कारणों से अपने प्रत्याशी को हरावाना चाहती हैं या रणनीतिक समझ की कमी हैं।
बहरहाल ,अब देखना ये है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह कब अपने चुनावी हलके अर्की का रुख करते हैं और भाजपा व कांग्रेस के यहां सीधे दंगल में कौन – कौन क्या खेल खेलता हैं।
उधर, उनके ऐन मौके पर ठियोग से चुनाव से हटने का पैंतरा चलने के बाद ठियोग से विद्या स्टोक्स भी चुनाव से बाहर हो गई। पहले उन्होंने विद्यो स्टोक्स को ठियोग से अपनी सीट उन्हें छोड़ने के लिए मनवाया व जब विद्या स्टोक्स ने ऐसा किय तो वो वहां से चुनाव लड़ने से मुकर गए। इस धमाचौंकड़ी में ऐसा हुआ कि विद्या सटा सेक्स् की ओर से आनन फानन में भरे टिकट में कमियां रहगई और उनका नामांकन ही रदद हो गया। वो आज हाईकोर्ट भी पहुंची लेकिन शाम को याचिका वापस ले ली ।अब वो इन चुनावों से बाहर हैं।
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