शिमला। अपने पुत्र व युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रमादित्य को राजनीति में स्थापित करने केे लिए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपनी शिमला ग्रामीण सीट से अपने पुत्र विक्रमादित्य को चुनाव में उतार नेका फैसला किया हैं। उन्होने शिमला ग्रामीण से नए उम्मीदवार के तौर पर विक्रमादित्य के नाम का प्रस्ताव खुद किया।
उन्होंने ये एलान शुक्रवार को अपने सरकारी आवास ऑकोवर में शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के कर्मचारियों तथा पार्टी के पदाधिकारियों की एक जनसभा को संबोधित करते हुए किया। मुख्यमंत्री अपने लाडले को राजनीति में स्थापित करने केेलिए एक अरसे से जमीन आसमान एक किए हुए हैं।जिस तरह धूमल ने अपने-अपने लाडले अनुराग ठाकुर को राजनीति में स्थापित करने के लिए एड़ी चोटी एक कर दिया था बिलकुल उसी तरह वीरभद्र सिंह भी इसी काम में लगे हैं।
हालांकि उन्होंंने शिमला ग्रामीण से पैराशूट से शिमला ग्रामीण सीट पर उतार दिया हैं। लेकिन शिमला ग्रामीण से 2014 के लोकसभा चुनावोंं में कांग्रेस प्रत्याशी को बहुत कम लीड मिली थी। ऐसे में विक्रमादित्य जीत पाएंगे,ये बड़ा सवाल अभी से खड़ा हो गया हैैं ।
पिता की बैसाखी के सहारे और कुछ ठेकेदारों/नेताओं की जुंडली के दम पर जिनमें से कई तो पहले अवैध शराब के कारोबारी भी रह चुके हैं विक्रमादित्य की नैया पार लगना मुश्किल नजर आ रही हैं। वीरभद्र सिंह शिमला ग्रामीण में जिस विकास का डंका बजाकर अपने लाडलेे को वोटें हासिल करने की उम्मीद लगाएं हैं उसका हलका सा जवाब जनता लोकसभा चुनावों में दे चुकी हैं।चूंकि ये रोहड़़ू व रामपुरबुशहर नहीं हैं । इसके अलावा शिमला ग्रामीण कांग्रेस पर जिन नेताओं का कब्जा हैं ,उनसे जनता दूर रहना चाहती हैैं ।दो सचिव तो एक बार पहले भी संगठन से किनारा कर चुके हैं। अब देखना ये हैं कि वीरभद्र सिंह अपने लाडले के लिए किस किस के पांव दबाते हैं। अभी तक की राजनीति में वो पार्टी में अपने दुश्मनों को समानांतर प्रत्याशी खड़े कर हराते रहे हैं।खुद पहली बार फंसे हैं। बहरहाल,चुनावों को अभी कुछ महीने बचे हैं।
हिमाचल में वीरभद्र व धूमल परिवार राजनीति में अपना कब्जा जमाए रखना चाहते हैं।हमीरपुर में धूमल -अनुराग हैं। शायद इस बार अरुण धूमल भी हो। तो शिमला में शिमला वीरभद्र -प्रतिभा व विक्रमादित्य सिंह हो गए हैं।
मुख्यमंत्री ने अपनी सीट तो विक्रमादित्य को दे दी अब देखना हैं कि वो खुद क्या अर्की से लड़ते हैं या शिमला से। अर्की में वो कई कुनबों को हवा देते रहे हैं। पूर्व मंत्री हरिदास ठाकुर के एक पुत्र को वो गले से लगाए हुए हैं तो तो पूर्व डिप्टी स्पीकर धर्मपाल ठाकुर के पुत्र को भी वो बगल में रखते आएं हैं। कांंग्रेस के कई नेता उनके भक्त हैं।लेकिन वो अर्की की अनदेखी करते आएं हैं व अंबुजा सीमेंट के कारखानेे के कर्ताधर्ताओं से उनकी खुद की व उनकी पत्नी की लेनदेन की सीडी बज चुकी हैं।अर्की में सीमेंट के दो कारखाने लगे हैं,वीरभद्र सिंह ने कारखानेे वालों की ही तरफदारी की। लोगो की तरफ से उन्होंनेे व उनके भक्तों ने हमेशा ही आंखेंं मूंदी रखी।
उधर,पूर्व मंत्री हरिदास ठाकुर के दो बेटे भाजपा के साथ हैं तो एक वीरभद्र के पार्टी में राजनीतिक दुश्मन कौल सिंह के साथ हैंं।सचिवालय में कहा जाता हैं कि हरिदास के इसी बेटे को मंत्री कौल सिंह पूर्व विधायक केवलराम चाैैहान के बेटे संग सोनिया के दरबार में भेजा करते थे, व अपनी लिए पैरवी करवाया करते थे।
अब अर्की में उनके साथ क्या होगा ये विधानसभा चुनावों में पता चलेगा।अगर वो शिमला से खड़े होते हैं तो इस बार वामपंथी उनको संकट में डाल देंगे। इस बार प्रदेश की राजनीति में धूमल परिवार व वीरभद्र परिवार का ही बहुत कुछ दांव पर लगा हैं। कहीं ऐसा न हो जाए कि दोनों एक दूसरे क परिवारों को बचाने के लिए अंदरखाते एक हो जाए।
बहरहाल शुक्रवार को उन्होंने इच्छा जाहिर की कि उनकी इच्छा है कि वे उस सीट से चुनाव लड़े , जहां से कांग्रेस पार्टी कभी विजयी नहीं हुई , हालांकि यह सब प्रदेश की जनता पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि उन्हें शिमला ग्रामीण क्षेत्र के लोगों से अपार स्नेह प्राप्त हुआ है।
उन्होंने कहा कि लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि वे शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र छोड़ कर जा रहे हैं, बल्कि वे इस क्षेत्र की ओर भी समान रूप से ध्यान देना चाहते हैं।
उन्होने इस मौके शिमला ग्रामीण के लिए किए कामाों को भी गिनाया।
इस मौके पर राज्य युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी ग्रामीण शिमला के अध्यक्ष चन्द्रशेखर शर्मा, मुख्यमंत्री के विशेष सचिव राकेश शर्मा भी कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के बीच इस अवसर पर उपस्थित थे।
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