शिमला।मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार धूमल व उनके दोनों पुत्रों के खिलाफ शिमला की सीजेएम की अदालत में दायर मानहानि के मामले के खिलाफ जिला अदालत में दायर अर्जी पर 21 जनवरी को फैसला आएगा।13 जनवरी शुकवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए जिला जज वीरेंद्र सिंह इस मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को निर्धारित कर दी हैैं।
यह है मामला
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ अब केंद्रीय वित मंत्री अरुण जेटली,पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल,उनके पुत्र अनुराग ठाकुर और अरुण धूमल के खिलाफ शिमला की सीजेएम अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर किया था।
अरुण जेटली ने दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन कर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए थे। जेटली ने कहा कि वीरभद्र सिंह ने स्कूटर पर सेब ढोए हैं व आयकर रिटर्न को रिवाइज कर भ्रष्टाचार से कमाए पैसों को एलआईसी पॉलिसी में निवेश सफेद किया है।इसके अलावा वक्कामूला के साथ हुए लेनदेन के मामले को भी उजागर करते हुए भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए थे। इसके अलावा वीबीएस रिश्वत कांड में भी रिश्वत लेने के आरोप लगाए थे।
वीबीएस रिश्वत कांड को जेटली के करीबी व वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण दिल्ली हाईकोर्टमें ले गए थे। लेकिन बाद में वीरभद्र सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट में दलीलें दी कि प्रशांत भूषण के खिलाफ हिमाचल सरकार ने कांगड़ा में भूषण परिवार को 118 के तहत दी गई जमीन का मुकदमा दायर कर रखा हैं । चूंकि 118 की इजाजत जिस उददेश्य को लेकर दी गई थी जमीन का इस्तेमाल उस उददेश्य के लिए नहीं किया गया। इसलिए उसे वापस सरकार में लेनेकी कार्यवाही चलाई गई हैं। बाद में सरकार ने ये जमीन वापस ले भी लीं।
इन दलीलों पर प्रशांत भूषण केस से हट गए व अदालत ने इस मामले में कोर्ट मित्र को नियुक्त कर दिया था।
उपरोक्त आरोपों को अलग अलग समय पर धूमल व उने बेटों ने भी मीडिया में दोहराए । जिस पर वीरभद्र सिंह ने इन आरोपों को लेकर जेटली समेत धूमल व उनके पुत्रों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया।
इस बीच केंद्र में मोदी सरकार सता में आ गई और मानहानि के मुकदमे में मुख्य आरोपी बनाए गए अरुण जेटली वित मंत्री बन गए। समय की नजाकत को देखते हुए वीरभद्र सिंह ने मुकदमें से अरुण जेटली का नाम डिलीट कर दिया जबकि धूमल व उनके पुत्रों के खिलाफ मुकदमा जारी रखा।
इस बीच मुकदमें की कार्यवाही को आगे बढ़ाते हुए धूमल व उनके पुत्रों को सम्मन जारी कर दिए।ये सम्मन धूमल को सर्व भी हो गए तो उन्होंने सम्मन को जिला अदालत में चुनौती दे दी।धूमल की ओर से दलीलें दी गई कि जब मुकदमें से मुख्य आरोपी (जेटली) का नाम ही वापस ले लिया गया है तो फिर बाकियों पर मुकदमा चल ही नहीं सकता। इस पर सीजेएम की अदालत की कार्यवाही रुक गई व जिला अदालत में धूमल की अर्जी पर सुनवाई शुरू हो गई।
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