शिमला। बजट चर्चा के दौरान कर्ज लेने , पीटीए, आउटसोर्स कर्मचारियों के मसले उठाने व आपातकाल में जेल में गए व्यक्तियों को 11 हजार रुपए देने के विरोध करने पर मुख्यमंत्री ने कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य को आड़ो हाथों लिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच सालों तक पूर्व सरकार का संचालन कैसे होता थ, पूरा प्रदेश जानता था। पीटीए, पैरा टीचर और आउटसोर्स कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर मंत्रियों के पास आते थे तो मंत्री उन्हें विक्रमादित्य सिंह के पास भेज देते थे। उन्होंने सरकार की व्यवस्था व अथारिटी का किस तरह इस्तेमाल किया ये किसी से छिपा नहीं हैं। विक्रमादित्य ने आउटसोर्स कर्मचारियों को पीटरहाफ में एकत्रित किया लेकिन उनके लिए किया कुछ नहीं । विक्रमादित्य युवा कांग्रेस के अध्यक्ष थे, युवाओं व बेरोजगारो के लिए नीति लाते । अब नसीहतें दे रहे है।
जबकि 2006 से इन शिक्षकों से ही कहा जा रहा है कि उन्हें कांग्रेस सरकार ने लगाया है व चुनावों के दौरान उन्हें पोलिंग बूथों पर खड़ा कर दिया जाता। मुख्यमंत्री ने कहा कि मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए उनकी सरकार ने पीटीए टीचरों को हटाया नहीं। उनका मानदेय बढ़ा दिया गया है जो 13 सौ के करीब छूटे हैं, उनके लिए औपचारिकताएं पूरी करके लाभ दिया जाएगा।
विक्रमादित्य की ओर से आपात काल में जेल गए लोगों को यह कहना कि इन्होंने कानून का उल्लंघन किया तो उन्हें समझ लेना चाहिए कि उन्होंने वो दौर देखा नहीं हैं। उन्हें इतिहास देखना चाहिए। सता में रहने के लिए कांग्रेस ने तब पूरे देश को जेल बना दिया था। 19-19 महीने तक लोगों को जेल में रखा गया। ऐसी यातनांए दी गई जिनकी तुलना अंग्रेजों के शासन से भी नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को ये 11 हजार रुपए की लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि हर महीने दी जाएगी । बजट में इस राशि सालाना देने का जिक्र था।
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