शिमला। 2009 से 2014 के बीच 35 हजार करोड़ के करों की छूट हासिल करने वाले उद्योगपतियों के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दिल्ली जाकर बजट से पहले खैरातें मांगी हैं। प्रदेश के नौकरशाहों ने उन्हें संभवत: यह नहीं बताया कि 2009 से 2014 के बीच जितने करो की छूट उद्योगपतियो ने हासिल की थी, उसकी एवज में प्रदेश के लोगों को रोजगार नहीं मिला था। यह कैग की रिपोर्ट की टिप्पणी हैं। कैग की रिपोर्ट में उपरोक्त अवधि के लिए करों की छूट बावत दिए आंकड़ों को सरकार के बाबू मानने को तैयार नहीं हैं। लेकिन केंद्रीय कर विभाग के बाबू कहते है कि ये आंकड़ा उनका अपना नहीं हैं। यह उद्योगों ने विभाग के पास रिटर्न फाइल की हैं,वहां का आंकड़ा हैं।
बहरहाल नौकरशाहों ने नए बने मुख्यमंत्री से दिल्ली में वित मंत्री के सामने कारोबारियों के मुनाफे के मसले उठवा दिए। जबकि भाजपा को प्रदेश में पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार से त्रस्त व उद्योग परस्त सरकार से मुक्ति पाने के लिए सता सौंपी थी। लेकिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अब तक के कदमों से यही संदेश जा रहा हैं कि यह सरकार वीरभद्र सरकार की तरह ही हैं।
बहरहाल , उद्योगपतिपरस्त मोदी सरकार से जयराम ठाकुर ने क्या क्या मांगा हैं इसका ब्योरा निम्न हैं-:
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने केंद्र सरकार से प्रदेश में नए लगने वाले उद्योगों में पहले पांच वर्षों के लिए कर में सौ फीसद और अगले पांच वर्षों के लिए 50 फीसद छूट प्रदान करने के मांग की हैं। इस छूट के मिलने से सरकार के खजाने को चोट लगेगी। प्रदेश सरकार को अधिकतर आय आय करो से होती हैं। इसके अलावा पर्वतीय राज्य में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सात वर्षों की अवधि के लिए ब्याज में सात प्रतिशत की छूट प्रदान करने का भी आग्रह किया। इसके तहत उद्योगपतियों के लिए लंबी अवधि के कर्जों और पूंजीगत कर्जों पर ब्याज में सात फीसद की राहत मांगी गई हैं। अमीरों के लिए ये राहतें मिलेगी या नहीं ये अलग मसला है लेकिन मुख्यमंत्री ने यह मांग कर यह जतलाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह प्रदेश के गरीबों के नाम पर अमीरों के ठाट कराने पर ज्यादा आमदा हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आज नई दिल्ली में केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली की अध्यक्षता में आयोजित राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के सभी वित्त मंत्रियों की बजट पूर्व बैठक में बोल रहे थे।
उन्होनें पर्यटन को बढ़ावा देने और आपदा प्रबंधन में सहायता के लिए उत्तर-पूर्वी राज्यों की तर्ज पर संचालित उड़ानों और हेली-टैक्सी सेवाओं के लिए सब्सिडी व व्यवहार्यता अन्तर निधि की मांग की। उतर पूर्वी राज्य में हैली टैक्सी व अन्य उड़ाने संचालित करने वाले आपरेटरों को किराए की दस फीसद हिस्सेदारी राज्य के खजाने से अदा की जाती हैं। लेकिन हिमाचल प्रदेश में यह बीस फीसद हैं। यह मांग भी अमीरपरस्त ही हैं। सैलानी मौज लेने आते हैं। यानि की मौज भी सरकारी पैसों से। बहरहाल उन्होंने कहा कि राज्य में पर्यटन गतिविधियों के विस्तार की व्यापक संभावनाएं हैं व यहां हवाई यातायात को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि केन्द्र सरकार को सभी राज्यों की राजधानियों में हवाई अड्डों के विस्तार के संबंध में केन्द्रीय बजट में घोषणा करनी चाहिए। उन्होंने पर्वतीय राज्य में हवाई अड्डों के विस्तार व निर्माण के लिए केन्द्र में बजट प्रावधान करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण राज्य की प्राथमिकता होनी चाहिए।
ठाकुर ने औद्योगिक विकास के लिए कापोर्रेट टैक्स कर को 20 प्रतिशत तक कम करने का सुझाव दिया। कारपोरट कर कम होगा तो सरकार के खजाने में कमी आएगी। जिससे जनता के सामाजिक सुरक्षा व बाकी कामों के लिए पैसा कम हो जाएगा। उन्होंने इस बैठक में कहा कि राज्य के उद्यमियों को मार्च, 2017 में समाप्त हुए पूंजी निवेश सब्सिडी के लाभों से वंचित किया गया है। उद्योगपतियों को औद्योगिक पैकेज के तहत यह सब्सिडी मार्च 2017 तक मिलती रही थीैं। उन्होंने कहा हालांकि, पर्वतीय राज्यों के लिए एक व्यापक औद्योगिक नीति तैयार करने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया था, लेकिन इस संबंध में अभी तक कोई भी घोषणा नहीं की गई है।
इसी के दृष्टिगत मुख्यमंत्री ने नई घोषणाओं तक राज्य को केन्द्रीय पूंजीगत निवेश सब्सिडी जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने किराया-भाड़ा
सब्सिडी योजना को दोबारा शुरू करने और 75 प्रतिशत की दर से लगभग पांच करोड़ रुपये की परिवहन लागत की प्रतिपूर्ति के लिए भी आग्रह किया। उन्होंने केन्द्रीय बजट 2018-19 में घोषित सेब पर आयात शुल्क को बढ़ाने का भी आग्रह किया ताकि हिमाचल के बागवानों के हितों की रक्षा की जा सके।
ठाकुर ने कनेक्टिविटी में सुधार के लिए राज्य में रेल नेटवर्क के विस्तार व सुधार के लिए प्राथमिकता प्रदान करने की मांग की व कहा कि भानुपल्ली-बिलासपुर-मनाली-लेह रेल लाईन के निर्माण के अलावा पठानकोट-जोगिन्द्रनगर रेल लाईन का भी विस्तार किया जाए। उन्होंने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इन परियोजनाओं को राष्ट्रीय परियोजनाएं घोषित करने का भी आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने अनावश्यक देरी से बचने के लिए 50 मैगावाट से अधिक की जल विद्युत परियोजनाओं को पर्यावरण स्वीकृतियां प्रदान करने के लिए
शक्तियों का हस्तांतरण राज्य सरकार को करने को कहा।
उन्होंने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत कार्यों में तेजी लाने के लिए एफसीए एक्ट-1980 के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा स्वीकृति प्रदान करने की शक्तियों को एक हैक्टेयर से बढ़ाकर पांच हैक्टेयर करने का आग्रह किया।
उन्होंने राज्य की अधिकांश आबादी को लाभान्वित करने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 100 से अधिक और 250 से कम की आबादी वाले क्षेत्रों को शामिल करने का भी आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने वर्ष 2017-18 में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में शामिल 111 सिंचाई परियोजनाओं के लिए 289 करोड़ रुपये की राशि जारी करने
की भी मांग की। उन्होंने कहा कि कुल 338 करोड़ रुपये में से अभी तक केवल 49 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए हैं। उन्होंने फिन्ना सिंह और नादौन सिचांई परियोजनाओं को मंत्रालय की प्राथमिकता वाली परियोजनाओं में शामिल करने का आग्रह किया ताकि इनका निर्माण दिसम्बर, 2019 तक पूरा किया जा सके।
उन्होंने मनरेगा के तहत कबाइली और गैर- कबाइली क्षेत्रों में मजदूरी दरों में असमानता को दूर करने का भी आग्रह किया। प्रदेश में कबाइली इलाकों में मनरेगा के तहत मजदूरी 224 रुपए हैं जबकि बाकी प्रदेश में यह 179 रुपए हैं। मनरेगा की सारी मजदूरी केंद्र की ओर से अदा की जाती हैं। ठाकुर ने राज्य के लिए वर्ष 2018-19 के केन्द्रीय बजट में आपदा निवारण निधि घोषित करने का आग्रह किया क्योंकि प्रदेश भूकंपीय क्षेत्र-4 व 5 के अंतर्गत आता है। इस मौके पर अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त श्रीकांत बाल्दी व मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव मनीषा नन्दा भी मौजूद रही।
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