शिमला। भारतीय उद्योग परिसंघ ने एक बार फिर से हिमाचल की ट्रक यूनियनों को कटघरे में खड़ा किया हैं। परिसंघ ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि ट्रक यूनियन के एकाधिकार तथा मार्केट से ज्यादा चार्ज करने के खिलाफ कार्रवाई की जाए। सी आई आई ने सरकार से मांग की हैं कि उद्योगों को ढुलाई के लिए अपने वाहनों का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए।
सीआईआई हिमाचल प्रदेश स्टेट काउंसिल के चेयरमैन संजय खुराना ने कहा कि ढुलाई के लिए कुछ क्षेत्रों में मार्केट रेट से 30 से 40 फीसद अधिक की वसूली की जा रही है। इसके चलते निर्यातक राज्य में बुरी स्थिति में हैं। उन्होंने राज्य में कानून व्यवस्था स्थापित करने वाली एजेंसियों पर भी सवाल उठाया हैं व कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था स्थापित करने वाली एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ट्रक यूनियन द्वारा उद्योगों को परेशान ना किया जाए।
सीआईआई की उतरी क्षेत्र की कारपोरेट कम्यूनिकेशंस की मुखिया अनुराधा शुक्ला की ओर से जारी विज्ञप्ति के हवाले से खुराना ने कहा कि ट्रक यूनियन गैर सदस्यों को ढुलाई करने की अनुमति नहीं देती हैं जिसके कारण राज्य में उद्योगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जो घाटे का कारण बन रहा है। राज्य के बाहर की ट्रक यूनियन के वाहनों को खाली वापस जाने को मजबूर किया जाता है जिससे प्रतिस्पर्धा प्रभावित हो रही है तथा बड़े स्तर पर संसाधन व्यर्थ हो रहे हैं।
उन्होंने सरकार से मांग की कि ऐसी व्यवस्था हो कि कंपनी के वाहनों को राज्य में वह राज्य के बाहर अपने वाहनों के माध्यम से सम्मान भेजकर मंगवा सकें।उन्होंने अनुरोध किया कि जो उद्योग अपने वाहन लगाकर इनके माध्यम से काम लेना चाहते हैं उन्हें इसमें दिक्कत न आए। वे अपने कार्य को आसानी से कर सकें और इसमें कोई यूनियन बाधा न डाले।
व्यापारियों को अपने बेहतर के लिए सही माध्यम चुनने की अनुमति यदि नहीं होगी तो यह फ्री मार्केट इकोनॉमी के खिलाफ होगा और उसका बुरा प्रभाव उद्योगों तथा राज्य की अर्थव्यवस्था को झेलना पड़ेगा। सीआईआई की ओर से कहा गया कि राज्य में ट्रक यूनियन के एकाधिकार के कारण राज्य में निवेश तेजी से गिरा है तथा व्यापार को आसान बनाने वाले राज्यों की रैंकिंग में हिमाचल नीचे आता दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि सीआईआई स्थानीय लोगों के आर्थिक विकास तथा वृद्धि के लिए समर्पित है।
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