शिमला। पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार में 2003 से 2006 के बीच सिंचाई व जन स्वास्थ्य महकमे में एक करोड़ 94 लाख की खरीद व बिना नियमों के कांम आवंटित करने में मचाई गई धांधली के मामले में प्रदेश विजीलेंस ने सिंचाई व जन स्वास्थ्य विभाग के छह अधिकारियों और चार कारोबारियों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया है। इन छह अधिकारियों में एक अधिशासी अभियंता और एक एसडीओ और चार कनिष्ठ अभियंता शामिल है।
इन धांधलियों को लेकर पूर्व की धूमल सरकार में 2009 में शिमला में मामला दर्ज किया गया था।मामले दर्ज करने से पहले इस मामले की आइपीएच विभाग के अधीक्षण अभियंता से जांच कराई गई थी जिसमें धोखाधड़ी, जालसाजी,सरकारी पैसे के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ था। इस जांच रिपोर्ट के आधार पर विजीलेंस ने मामला दर्ज किया था।
एफआइआर में आरोप लगाया गया था कि आइपीएच की मैकेनिक्ल डिविजन में 2003 से 2006 के बीच निर्धारित कायदे कानूनों के एक करोड़ 94 लाख रुपए की खरीद गैर कानूनी तरीके से की गई।विजीललेंस की जांच में सामने आया कि विभाग के एक अधिशासी अभियंता,एक एसडीओ और चार कनिष्ठज अभियंता और चार आपूर्तिकर्ताओं ने साजिश रची व खरीद की । बिना निविदाएं मंगवाएं खरीद आर्डर दिए गए । जाली दस्तावेज बनाए गए। खरीद कई खेपों में की गई ताकि खरीद अधिशासी अभियंता की शक्तियों के तहत ही रहे। कई खरीद ऐसे फर्मों से कर दी गई जो अस्तिात्वक में ही नहीं थी। कई ऐसी फर्में दिखा दी गई जो मदें खरीदी गई, उनका इन फर्मों से कोई वास्ता नहीं था।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विजीलेंस अनुराग गर्ग ने कहा कि जांच के दौरान दस्तावेज एकत्रितकिए गए और फोरेंसिंक जांच के लिए भेजे गए । जांच पूरी होने के बाद सरकार से अभियोजन मंजूरी ली गई और आज राजधानी में विशेष जज वन की अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है।
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