शिमला। छह से नौ हजार करोड़ के 960 मेगावाट के जंगी थोपन पन बिजली परियोजना को कथित तौर पर जाली दस्ताजवेजों के आधार पर प्रदेश विजीलेंस विभाग को हथियाने वाली नीदरलैंड की कंपनी ब्रेकल कारपोरेशन एनवी के तीसरे निदेशक निदेशक डीन गेस्टवरकैंप की तलाश में है। विजीलेंस को इस विदेशी शख्सी का अता पता नहीं मिल रहा है। विजीलेंस ने इस शख्सश को तलाशने के लिए अभी तक क्याि –क्या किया है इसकी भी किसी को भनक नहीं है।
इस मामले में पूर्व मुख्यामंत्री वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल के बाद अब मुख्यहमंत्री जयराम ठाकुर भी सवालों के घेरे में है। दिलचस्पभ तौर पर इस मसले पर सभी खामोश है।
विजीलेंस ने इस शख्सघ का अता पता बताने के लिए ब्रेकल के दो निदेशकों मनीष वहल और अनिल वहल में से अनिल वहल से भी पूछताछ की थी। अनिल वहल की जमानत का विरोध भी विजीलेंस ने अदालत में इसीलिए किया था कि अनिल वहल 420 के इस मामले में अन्यऔ सह-आरोपियों का अता-पता नहीं बता रहा है। लेकिन अदालत ने विजीलेंस की दलीलों को कमजोर मान कर अनिल वहल का जमानत दे दी ।
अब मुख्यनमंत्री जयराम ठाकुर की विजीलेंस के पास बड़ी चुनौती इस विदेशी नागिरक का अता-पता लगाने की है।हालांकि विजीलेंस के पास कानूनन अपराधियों के फोन टेप करने से लेकर कई अन्य शक्तियां मौजूद है। धूमल राज में टेप हुए फोनों की अस्सी हजार से ज्यादा फाइलें विजीलेंस के पास मौजूद है। दुनिया भर के अपराधियों को पकड़ने के लिए तमाम सरकारों के पास एक बड़ा तंत्र है।
यही नहीं मुख्यतमंत्री जयराम ठाकुर प्रदेश में उदयोगपितयों को उदयोग लगाने के लिए बुलाने को नीदरलैंड जा आए है।वह इस विदेशी नागरिक को लेकर भी बातचीत कर सकते थे। इस बावत कहीं कुछ हुआ है इस बावत कुछ मालूम नहीं है।याद रहे विजीलेंस महकमा मुख्येमंत्री जयराम ठाकुर के पास ही है।
मुख्य मंत्री जयराम ठाकुर चाहे तो वह पाताल से भी आरोपियों को ढूंढने की कुव्वयत रखते है। ये दावा उन्होंीने स्वाठस्य्ो विभाग में हुए कथित वेंटिलेटर घोटाले को लेकर किया था। उन्हों ने इस घोटाले बावत कहा था कि वेटिलेटर घोटाले को लेकर जिसने भी बेनामी चिटठी लिखी होगी उसे पाताल से ढूंढ कर लाएंगे। बाद में उनकी जांच एजेंसियों ने इस मामले में एक आरोपी को ढूंढ भी निकाला था।
डीन गेस्ट रकैंप तो धरती पर ही कहीं होगा। ऐसे में उनकी जांच एजेंसियां उसे ढूंढ निकाल पाती है ये इसका इंतजार है।
विजीलेंस ब्रेकल की ओर से किए गए फ्राड को ही जांच के दायरे में ला रही है जबकि इस मामले की जांच का दायरा अगसत 2019 तक जब इस मामले में एफआइआर हुई तक बढ़ाया जाना चाहिए। विजीलेंस व जयराम सरकार की फाइलों में सब कुछ पड़ा हुआ है।2008 के इस मामले में 2019 में एफआइआर क्योंर हुई ये ही जांच का मामला है।
अगस्त 2019 में भी एफआइआर तब हुई थी जब मौजूदा पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू सचिव विजीलेंस थे। अन्य था शायद इस मामले में अब तक भी एफआइआर नहीं होती।
याद रहे बीते दिनों विजीलेंस ने इस शख्सल का अता पता बताने के लिए ब्रेकल के दो निदेशकों मनीष वहल और अनिल वहल में से अनिल वहल से भी पूछताछ की थी। अनिल वहल की जमानत का विरोध भी विजीलेंस ने अदालत में इसीलिए किया था कि अनिल वहल 420 के इस मामले में अन्ये सह-आरोपियों का अता-पता नहीं बता रहा है। लेकिन अदालत ने विजीलेंस की दलीलों को कमजोर मान कर अनिल वहल का जमानत दे दी ।यह सह आरोपी डच नागरिक डीन ग्रेस्टरकैंप ही है।
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