शिमला। योगगुरु बाबा रामदेव की पतजंलि योगपीठ के अलावा डाबर समेत सैंकड़ों कंपनियों को प्रदेश सरकार जैवविविधता अधिनियम के तहत वसूली व पंजीकरण को लेकर नोटिस देंगी ।ये खुलासा अतिरिक्त मुख्य सचिव वन व पर्यावरण,विज्ञान व प्रोद्योगिकी तरुण कपूर ने जैवविविधता अधिनियम पर आयोजित कार्याशाला के दौरान मीडिया के सवालों के जवाब देते हुए किया । तरुण कपूर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं।ये नोटिस इन कंपनियों की ओर से प्रदेश से जैव संसाधनों का बतौर कच्चा माल इस्तेमाल करने की एवज में फीस वसूलने व पंजीकरण के लिए भेजे जाएंगे
कपूर ने कहा कि पतजंलि का 40 फीसद के करीब कच्चा माल प्रदेश से जाता है व सरकार को इसकी एवज में एक भी पाई नहीं मिल रही है,जबकि इन कंपनियों को एक तय फीस अदा करनी होती हैं।यही स्थिति डाबर जैसी कंपनियों की भी हैं। ये कंपनियां अनुचित लाभ हासिल कर हैं।लेकिन अब जैव विविधता के तहत कार्यवाही करने पर इन कंपनियों को प्रदेश को मोटी रकम देनी होगी।
कपूर ने कहा कि कच्चे माल के रूप में प्रदेश से जैव संसाधनों को इस्तेमाल करने वाले सभी उद्योगों व कंपनियों से पूछा जाएगा कि उन्होंने प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से कितना कच्चा माल लिया हैं। इसकी एवज में सरकार इन कंपनियों से उनके टर्नओवर से अधिनियम के प्रावधानों के हिसाब रकम वसूलेंगी।
इसके अलावा प्रदेश से कच्चा माल ले जाने वाली तमाम कंपनियों को अब जैवविविधता बोर्ड में पंजीकरण भी कराना होगा ।अब वह तभी कच्चे माल को प्रदेश से खरीद सकेंगी।
उन्होंने खुलासा किया कि प्रदेश जैवविविधता की आर्थिकी 10 हजार के करोड़ के करीब हैं व यहां जैव संसाधनों का दस्तावेजीकरण किया जाए तो ये आर्थिकी बढ़ सकती हैं।अभी तक ये किसी को भी पता नहीं हें कि प्रदेश में कितना जैव संसाधन हैं।
इस मौके पर राज्य जैव विविधता बोर्ड के संयुक्त सदस्य सचिव कुणाल सत्यार्थी ने जैव विविधता अधिनियम के प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कोई अधिनियम का उल्लंघन कर प्रदेश से कच्चे माल का कारोबार करेगा तो उसके खिलाफ पांच साल की जेल व दस लाख तक का जुर्माना हो सकता है।
उन्होंने कहा सभी जिलों के जनरल मैनेजर डीआइसी को कहा गया है कि वो जैव विविधता संसाधनों का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों की भी कार्यशाला आयोजित की जाएगी। उन्हें इस कानून के बारे में बताया जाएगा।अगर वो पंजीकरण कराते हैं तो ठीक हैं अन्यथा नोटिस भेजे जाएंगे। उन्होंने कहा कि अभी किसी को नोटिस नहीं भेजा गया हैं।
हरेक पंचायत में बायोलॉजिकल मैनेजमेंट कमेटियों का गठन का किया जाएगा जो अपने पंचायत की जैव विविधता का लेखा जोखा एक रजिस्टर में दर्ज करेगी।अभी 425 कमेटियों का गठन किया जा चुका हैं।हरेक कमेटी को कामकाज चलाने के लिए एक लाख रुपया दिया जाएगा। अभी तक 47 पंचायतों को 47 लाख रुपए अदा किए जा चुके है जबकि 50 और पंचायतों को 50 लाख दिया जा रहा हैं।
सत्यार्थी ने कहा कि जिन कंपनियों को जैव संसाधन चाहिए होंगे अपने टर्नओवर का तय फीसद बोर्ड को अदा करना होगा । डाबर से करीब तीस लाख रुपए सालाना वसूला जाएगा। इसका 95 फीसद उन कमेटियों को अदा किया जाएगा जहां से इन संसाधनों का दोहन किया गया हैं।इससे पंचायत स्तर पर आय होगी।
कुणाल सत्यार्थी ने खुलासा किया कि प्रदेश के चावल की जितनी प्रजातियां उगाई जाती थी, उनमें से आधी से ज्यादा लुप्त हो चुकी हैं।150 के करीब प्रजातियां प्रतिदिन लुप्त हो रही हैं। ऐसे में इन जैव विविधता का संरक्षण लाजिमी हैं। बोर्ड जैव संसाधनों का दस्तावेजीकरण तो करेगा ही साथ पारंपरिक ज्ञान को भी संरक्षित किया जाएगा। पंचायत स्तर पर जैव विविधता रजिस्टर तैयार करने के लिए विभिन्न विवि से सहयोग लिया जा रहा हैं।
उन्होंने कहा कि बोर्ड जैव संसाधनों के कारोबार से होने वाली आय का हितधारकों में उचित हिस्सेदारी सुनिश्चित करेगा। सत्यार्थी ने कहा कि प्रदेश में 3333 बायोलॉजिकल डॉयवर्सिटी मैनेजमेंट कमेटियां बनाई जाएगीजिसमें सभी पंचायती,सभी ब्लॉक और जिला परिषदें शामिल है।
इस मौके पर बोर्ड की सदस्य व पर्यावरण ,विज्ञान व प्रौद्योगिकी की निदेशक अर्चना शर्मा,बोर्ड के प्रधान साइंटिफिक अफसर काम राज कायस्थ ने भी अपने विचार रखे।
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