शिमला। प्रदेश स्तर पर सरकार व संगठन की ओर से बार -बार सताए जाने के बाद भाजपा आलाकमान ने राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी को दूसरी बार बडा तोहफा थमा दिया है।आलाकमान ने इंदु गोस्वामी को राष्ट्रीय महिला मोर्चा का महासचिव नियुक्त कर दिया है। इससे पहले आलाकामन ने उन्हें तमाम विरोधों के बावजूद राज्यसभा सांसद बना दिया था। हालांकि वह प्रदेश भाजपा की अध्यक्ष बनना चाहती थी।लेकिन विरोध के कारण उन्हें यह पद नहीं दिया गया है। ऐसे में अब वह राष्ट्रीय स्तर पर मोर्चा की महासचिव बन गई हैं।
गौरतलब हो कि जयराम सरकार के सता में आने के बाद इंदु गोस्वामी को हर स्तर सताया जाताा रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाों में वह आलाकमान से टिक हासि哴僵㯸 करने मे कामयाब रही। लेकिन भाजपाइयों ने उन्हें हरा दिया। इसके बाद भी भाजपाइ उन्हें सताते रहे और उन्होंंनेप्रदेश मिहिला मोर्चा के पदाधिकारी के तौर पर अपने पद इस्तीफाा दे डाला। इसके बाादउन्हें सरकार व संगठन में धूमल की हाशिए पर डालने का खेल शुरू हो गया । उनके व उनके समर्थकों के काम नहीं किए जाते थे। स्थानीय स्तर पर उनके खिलाफ मुहिम छेड दी गई। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राजीव बिंदल के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनने की कोशिश लेकिन सरकार व संगठन के कुछ घटकों ने जबरदस्त विरोध किया। आहत इंदु गोस्वामी ने अपनी दास्तां आलाकमान को सुनाई तो आलाकमान ने उन्हें राज्यसभा भेजने के लिए प्रदेश की सरकार व संगठन को आदेश दे दिया।
विरोधियों को मुंह की खानी पडी और इंदु गोस्वामी को न चाहकर भी राज्यसभा भेजना पडा। इंदु गोस्वामी के विरोधियेां के लिए यह बडा झटका था। प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व उनके धडे के अलावा इंदु गोस्वामी को किसी का सहारा नहीं मिलता रहा है। लेकिन धूमल खुद ही हाशिए पर धकेल दिए गए थे।
इंदु गोस्वामी के राज्यसभा सांसद बनने के बाद प्रदेश में चार नगर निगमों के चुनाव हुए व उनमें से भाजपा दो हार गई। इसके बाद प्रदेश सरकार व संगठन में अंदरखाते बदलाव की मांग उठने लगी। है। इंदु गोस्स्वामी ने इस फेरबदल की संभावनाओ के बीच भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बनने की मुहिम चला दी लेकिन इस बीच उनके पालमपुर भाजपा मंडल से
मुख्यमंत्री को चिटिठयां भिजवा दी गई कि वह कांग्रेसियों के काम करवा रही है। इन चिटिठयों में पालमपुर नगर निगम चुनावों की हार का ठीकरा भी उन्हीं पर फोडने की कोशिश की गई।
इस बीच पिछले दिनों राजधानी में आगामी चुनावों को लेकर भाजपा का तीन दिवसीय मंथन शिविर शुरू हुआ। इस शिविर में सबसे बउे जिला कांगडा से लोक सभा सांसद किश्न कपूर और राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी पहुंचे ही नहीं। कहा तो जा रहा है कि इन्हें बुलाया ही नही गया। चूंकि जिन जिन पदाधिकारियों को इस मंथन शिविर में आना था उनमें ये दोनों शामिल ही नहीं थे। हालांकि विशेष आमंत्रितत सदस्यों में तो इन्हें बुलाया ही जा सकता था।
आगामी चुनावों को लेकर राज्य स्तरीय मंथन हो रहा हो और सबसे बडे जिला के दो सांसद नदारद रहे तो भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी अब चरम पर पहुंच चुकी है। लेकिन आलाकमान के आगे सरकार व संगठन नतमस्तक है।
बहरहाल,तीन दिवसीय इस मंथन शिविर के शुरू होने से पहले भी उनके खिलाफ अभियान चलाया गया ।उन्होंने इस शिविर में शिरकत नहीं की लेकिन शिविर के आखिरी दिन वह शाम को दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्ध्यक्ष जगत प्रकाश नडडा से मिल आई और शाम को उन्होंने इस मुलाकात की तस्वीरें अपने फेसबुक पर साझा कर दी। इससे उनके विरोधियों पर बिजली गिर गई व उन्हें लग गया था की इंदु गोस्वामी अब कोई बडा ओहदा हासिल करने वाली है। उनकी नियुक्ति हो भी गई है। सूत्रों के मुताबिक नडडा से मुलाकात के दौरान उन्होंने सरकार व संगठन के कुछ लोगों की शिकायत भी की कि वह खुद को आलाकमान समझने लगे है।
बहरहाल,अब इंदु गोस्वामी प्रदेश सरकार व संगठन में अपने विरोधियें से कैसे निपटती है यह देखना दिलचस्प होगा चूंकि उन्हें भाजपा आलाकमान ही नहीं प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी का भी वरदहस्त प्राप्त है। समझा जा रहा है कि अब वह प्रदेश में धूमल खेमे को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोडेगी ताकि यह खेमा जो उनका भी विरोधी है उनसे भिड सके। प्रदेश में भाजपा व सरकार में आगे दिलचस्प घमासान होने वाला है।
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