भोरंज शिमला/ हमीरपुर। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के गृह जिला हमीरपुर के भोरंज विधानसभा हलके में हुए उप चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद वीरभद्र व मंत्री कौल सिंह की करीबी कांग्रेस प्रत्याशी प्रोमिला कुमारी चुनाव हार गई हैं। भाजपा ने भोरंज सीट अपने पास ही रखी है।पिछले साढ़े चार सालों में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व विरोधी खेमे के कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू की कमान में लड़े जाने वाला ये तीसरा चुनाव है जिसे कांग्रेस पार्टी हार गई है।अब विधानसभा चुनाव बचे हैं, उनमें क्या होगा ये फिलहाल इस उपचुनाव ने तय कर दिया है।
भाजपा के प्रत्याशी अनिल धीमान इस सीट से 8290 मतों से विजयी रहे हैं। वो पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं। यह सीट अनके पिता व पूर्व मंत्री ईश्वर दास धीमान के निधन के बाद खाली हुई थी।
भाजपा के अनिल धीमान को 24434 मत पड़े जबकि कांग्रेस प्रत्याशी प्रोमिला कुमारी को 16144 वोट पड़े। जबकि आजाद प्रत्याशी पवन कुमार को 4630, रमेश डोगरा को 974 और कुसुम आजाद को 403 मत पड़े।
ये सीट मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की प्रतिष्ठा का सवाल थी। इस जीत से पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल मजबूत हुए हैं हालांकि ईश्वर दास धीमान व अब उनके बेटे अनिल धीमान की जीत के अंतर में भारी कमी आई हैं बावजूद इसके धूमल इस सीट को निकलवाने में कामयाब रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी की प्रत्याशी प्रोमिला कुमारी के हारे जाने से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व सुक्खू संकट में आ सकते हैं। वो पहले ही सीबीआई और इडी के राडार पर हैं। अब इस हार से उन्हें सीएम पद से हटाने की पार्टी के भीतर मांग हो सकती हैं। आय से अधिक संपति मामले में सीबीआई की ओर से अदालत में चालान पेश कर देने के कारण प्रचार के दौरान भी वो दो दिन दिल्ली में रहे थे। इसके अलावा कांग्रेस के कई मंत्री नहीं चाहते थे कि कांग्रेस ये चुनाव जीते व कइयों ने ज्यादा काम भी नहीं किया। नतीजे की ऐसी ही उम्मीद थी।
उधर, कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष सुक्खू के लिए भी ये चुनाव मुश्किलें खड़ा कर सकते हैं। उनकी अध्यक्षता प्रदेशमें अब तक जितने भी चुनाव कांग्रेस पार्टी ने लड़े हैं ,वो सब हारे हैं। लोकसभा की चारों सीटें भाजपा जीत कर ले गई थी । इसके बाद हमीरपुर से उपचुनाव में नरेंद्र ठाकुर बीजेपी की सीट निकाल ले गए। और अब भाजपा के ही ही अनिल धीमान जीत गए हैं। वो पार्टी प्रत्याशियों को जीताने में नाकाम रहे हैं।जबकि मुख्यमंत्री के साढ़े चार साल के कारनामों के खिलाफ जनता ने ये मोहर लगा दी हैं।
ऐसे में सरकार के होते हुए किसी कांग्रेस अध्यक्ष के गृह जिला में दो दो उपचुनाव हार जाना उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता हैं। सुक्खू पर वैसे भी धूमल परिवार से सांठ गांठ करने के इल्जाम लगते रहे हैं।कांग्रेस पार्टी की हारें ऐसे में कई कुछ बयां करती हैं। ऐसे में अब कांग्रेस आलाकमान को सोचना होगा कि आामी विधानसभा चुनाव वीरभद्र सिंह व सुक्खू की कमान में लड़े जाने हैं या कोई फेरबदल करने की जरूरत हैं। हालांकि परिवहन मंत्री जी एस बाली परिवर्तन की मांग उठा चुके हैं।
ऐसे में अब देखना हैं कि कांग्रेस का कमजोर आलाकमान इन दोनों को हटाता हैं या फिर आगामी चुनाव भी इन्हीं की कमान में हारे जाते हैं।
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