शिमला।सुक्खू सरकार के सता में आने के तुरंत बाद प्रदेश की सुक्खू सरकार और अदाणी ग्रुप के अफसरों की बंद कमरे में बातचीत हुई थी। यह संगीन इल्जाम बिलासपुर सदर से भाजपा विधायक त्रिलोक जम्वाल ने लगाया हैं।
उन्होंने दावा किया है कि 12 दिसंबर 2022 को मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री बनने के बाद 13 व 14 दिसंबर को सुक्खू सरकार और अदाणी ग्रुप के अधिकारियों के बीच बंद कमरे में बातचीत हुई थी। इसके बाद 14 दिसंबर 2022 को अदाणी ग्रुप ने बरमाणा व दाडला में सीमेंट कारखाने अचानक बंद कर दिए।
याद रहे त्रिलोक जम्वाल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नडडा के बेहद करीबी है और अदाणी ग्रुप के अध्यक्ष गौतम अदाणी भाजपाइयों के बेहद करीबी है। ऐसे में सुक्खू सरकार व अदाणी समूह के अधिकारियों के बीच कोई बातचीत हुई होगी इसकी जानकारी निश्चित तौर नडडा व जम्वाल को होगी। जम्वाल ने सरकार से मांग की है कि बंद कमरे में क्या बातचीत हुई इसे सर्वाजनिक किया जाना चाहिए।चाहिए।हालांकि बंद कमरे में यह बातचीत कहां पर हुई हैं इसका जम्वाल ने कोई खुलासा नहीं किया हैं।
लेकिन बडा सवाल यह है कि क्या सच में सुक्खू सरकार ने अदाणी से कोई सांठगांठ कर ली होगी।अगर ऐसा है तो यह भाजपा के लिए बडा झटका हैं और सरकार की निष्ठा भी सवालों में हैं। इस बावत सरकार को अपना पक्ष जाहिर करना चाहिए।
जम्वाल ने यह भी इल्जाम लगाया कि मुख्यमंत्री सुक्खू ने 50 दिनों के बाद इस मामले में आपरेटरों से बातचीत की और जब से यह तालाबंदी हुई हैं तब से एक भी नोटिस अदाणी ग्रुप को नहीं दिया।न बिजली पानी काटा न खनन का लाइसेंस रदद किया।
बहरहाल, जम्वाल ने सीमेंट कारखानों के बंद होने के पीछे सरकार व अदाणी ग्रुप के बीच जो कुछ भी बातचीत हुई होगी उसी बातचीत में कुछ योजना बनी होगी , ऐसा संकेत देने की कोशिश की हैं। जबकि अदाणी ने जब ये कारखाने अचानक बंद किए थे तो कहा जा रहा था कि अदाणी के मार्फत मोदी –शाह ने हिमाचल में आपरेशन लोटस चला दिया हैं। राजनीतिक तौर पर नेता जिस तरफ भी इस मसले को भटकाने की कोशिश करे लेकिन असल प्रश्न यह है कि 6 से 7 हजार के करीब ट्रक आपरेटरों के अलावा हजारों लोगों की रोजी रोटी पर संकट आया हुआ हैं। यही मूल प्रश्न भी हैं।
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