शिमला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह के कार्यकलापों के खांचे में सही बैठ गए केंद्रीय वित राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने दो साल में ही तरक्की कर केबिनेट मंत्री के ओहदे पर छलांग लगाकर सभी को हैरान कर दिया है। हालांकि उन्हें पदोन्नत किया जाएगा इस बावत राजधानी में हुई भाजपा कोर समिति की बैठक में ही संकेत मिल गए थे। लेकिन तय नहीं था कि उन्हें किस तरह से पदोन्नत किया जाएगा। लेकिन आज शाम उन्हें केबिनेट मंत्री की शपथ दिला दी गई ।
इससे साफ है कि केंद्र सरकार और राष्ट्रीय भाजपा का अनुराग ठाकुर पर भरोसा बना हुआ है। दिलचस्प यह है कि अनुराग ठाकुर से भाजपा में कई वरिष्ठ सांसद मौजूद है लेकिन बावजूद इसके उन्हें केबिनेट मंत्री बनाया गया । जाहिर है कि मोदी और शाह को कुछ तो उनमें नजर आया होगा। अनुराग ठाकुर को दो साल मं ही पंख लगा दिए गए है और उन्हें केबिनेट मंत्री दिया गया है लेकिन उन्हें जमीन पर भी उतरना होगा और जमीन पर लोगों के बीच काम करना होगा।
केबिनेट मंत्री का ओहदा मिलना अनुराग ठाकुर और उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के लिए यह बडी उपलब्धि है। महज दो साल में राज्यमंत्री से सीधे केबिनेट मंत्री के पद तक छलांग लगाना निश्चित तौर पर बडी बात है। वह भी उस समय जब उनके कई वरिष्ठ सहयोगियों को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया हो। इससे अनुराग ठाकुर का रुतबा तो बढा ही है साथ ही प्रदेश को भी इसका लाभ मिलेगा। प्रदेश में अभी तीन उपचुनाव होने है और उसके बाद 2022 में विधानसभा के चुनाव है।
समझा जा रहा है कि मोदी व शाह ने बिखरी प्रदेश भाजपा को ध्यान में रखकर यह ताजपोशी की है। हालांकि पार्टी में किस कस कदर गदर मचता है यह अभी सामने आना बाकी है। लेकिन धूमल खेमे से संतुलन बिठाने की दिशा में तो यह अहम कदम माना जा रहा है।
प्रदेश में इससे पहले कांग्रेस सरकार में पंडित सुखराम,आनंद शर्मा और पूर्व मुख्यमत्री वीरभद्र सिंह जबकि एनडीए सरकार में शांता कुमार और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नडडा ही केबिनेट मंत्री रहे है। हालांकि चंद्रेश कुमारी भी केंद्र सरकार में केबिनेट मंत्री रही है लेकिन वह प्रदेश के कोटे से नहीं रही थी।
46 साल के अनुराग ठाकुर अब इन वरिष्ठ व कददावर नेताओं की कतार में आ गए है। वह 2008 में पहली बार हमीरपुर संसदीय हलके से लोकसभा सांसद बने थे। तब से लेकर उन्होंने पीछे मुडकर नहीं देखा है। यह दीगर है कि अनुराग को राजनीतिक जमीन व खाद उनके पिता धूमल ने मुहैया कराई और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली की बदौलत उन्होंने राजनीति के साथ -सााथ क्रिकेट में भी बुलंदिया छुई है। लेकिन अब गंभीर राजनीति करना उनके सामने बडी चुनौती है।
उन्हें अब जमीन पर सियासत करनी होगी अन्यथा राजनीति में औंधे मुंह गिरते देर नहीं लगती है।
जो भी हो अनुराग ठाकुर के केंद्र में केबिनेट मंत्री बनने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए तो चुनौती खडी हो ही गई है। हालांकि अभी भााजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नडडा भी कतार में है लेकिन प्रदेश में उनका जनाधार नहीं है। जबकि धूमल का प्रदेश में जनाधार अभी भी कायम है। अब देखना है कि अनुराग ठाकुर का केंद्र में केबिनेट मंत्री बनने से प्रदेश में भाजपा को आगामी उप चुनावों में कितना फायदा मिलता है। अनुराग के केबिनेट मंत्री बनने से अब यह साफ हो गया है कि प्रदेश्या में सरकार व संगठन की ओरसे अब तक हाशिए पर धकेले गए धूमल खेमे को जरूर कुछ पंख लग जाएंगे।
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