शिमला।ब्रिटिशराज की राजधानी शिमला के हजारों घरों पर मंडराए खतरे से निपटने के लिए प्रदेशकी वीरभद्र सिंह सरकार की ओर से लाए गए रिटेंशन बिल को शहर के लोगों ने नकार दिया है।सरकार ने बिल लाया है कि अपने अवैध भवनों को नियमित करने लिए फीस देंं चूंकि ये फीस लाखों रुपए बन रही है तो लोगों ने सरकार केखिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भाजपा,कांग्रेस व वामपंथियोंं की गठजोड़ वाली अप नगरीय जनकल्याण समन्वय समिति नाम संस्था ने आज शहर के लोगोंं काआहवाान किया कि वो बहरीवीरभद्र सिंह सरकार के कानों तक अपनी आवाज पहुंचाने के 1 अगस्त को बुलाई गई ध्यानाकर्षण रैली में बड़ी तादाद में शिरक्त करे।
समिति के महासचिव गोबिंद चतरांटा ने आज तीन प्रस्ताव पास किए । इन प्रस्तावों में ध्यानाकर्षण रैली के अलावा राज्यपाल और सीएम को ज्ञापन देने और इसके बाद भी अगर बिल में जरूरी संशोधन नहीं किए गए तो 23 अगस्त को मार्च टू विधानसभा का एलान कर दिया है।चतरांटा वामपंथीविचारधारा से जुड़े हैं।
आज बुलाए गए खास अधिवेशन में भाजपा सेे जुड़े चंद्र पाल मेहता ने वीरभद्र्र सिंह सरकार पर हमला कियाकिकेबिनेट के पास एक साधु की जमीन को नियमित करने के मसले पर विचार करने का समय है लेकिन हजारों लोगों की समस्या का समाधान निकालने की नीयत नहीं हैं।गौरतलब हो कि बीते दिनोंं हुईकेबिनेट में तीन मंत्रियोंं ने कंडाघाट मेंअवैध कब्जा कर बनाए आश्रम को नियमित करने केलिए केबिनेट पर दबाव बनाया था लेकिन ये काम सिरे नहीं चढ़ा।
समिति ने कहा कि अध्यादेश को निरस्त करके एकमुश्त राहत के तौर पर जैसा है-जहां है के आधार पर भवनों को नियमित किया जाए तथा भावी समय के लिए ठोस नीति बनाई जाये।
समिति ने वीरभद्र सिंह सरकार के रवैये पर भी सवाल उठाया कि यदि सरकार की मंशा साफ होती तो यह मामला केबिनेट की बैठक में लाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नही हुआ। इसलिये लोगों ने इस पर अपना विरोध दर्ज किया तथा भवन मालिकों तथा टी.सी.पी. एक्ट के तहत प्रस्तावित क्षेत्रों व पंचायतों के नुमाईंदों को लामबंद करके संघर्ष किया जायेगा। अधिवेशन में मौजूद विभिन्न रेजिडेंट वेल्फेयर सभाओं के प्रतिनिधियों ने सरकार के रवैये पर हैरानी जतायी कि एक साधू बाबा को जमीन देने के मामले पर केबिनेट में खूब चर्चा होती है परन्तु 30000 भवन मालिकों तथा लाखों की संख्या में प्रभावित आम जनता के लिए इस अध्यादेश पर चर्चा के लिए समय नहीं है।
इस अधिवेशन के अवसर पर समन्वय समिति के महासचिव, गोविन्द चतरांटा ने पिछले 22 सालों से समिति के संघर्षों के इतिहास पर चर्चा करते हुए बताया कि 2014 तक लोगों को टैक्स से बचाया गया तथा आज भी समिति की पहल पर व्यापक लामबंदी हुई है। हमें उम्मीद है कि लोगों का संघर्ष रंग लायेगा और जनता सरकार को इस अध्यादेश को बदलने के लिए मजबूर कर देगी।
शिमला नागरिक सभा के संस्थापक अध्यक्ष एवं हिमाचल किसान सभा के राज्य अध्यक्ष डाॅ. कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि सरकार नेइस जन विरोधी अध्यादेश को जिसमें कि पहले तो लोगों की सहमति के बगैर गांव के लोगों को सीधे ही शहर में मिला दिया तथा अब बिना भवनों को नियमित किये टैक्स थोपा गया। अब भी बिना किसी ठोस नीति के पंचायतों के क्षेत्रों को टी.सी.पी. एक्ट के तहत मिलाया जाना है जिसका किसान सभा अन्य संगठनों के साथ मिलकर विरोध करेगी।
समिति के अध्यक्ष चन्द्रपाल मेहता ने सभी संगठनों, सभाओं तथा प्रतिभागियों का आहवान किया के भवन मालिक इस समय एकताबद्ध होकर इस संघर्ष को व्यापकता प्रदान करें ताकि लोगों को एकमुश्त राहत के तौर पर भवनों को नियमित किया जा सके। अन्यथा आगामी चुनावों में सरकार को इसके गम्भीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। मेहता ने बताया कि अगस्त महीने के पहले पखवाड़े में अलग-अलग क्षेत्रों में बैठकें व सभाएं करके संगठन को मजबूत किया जाएगा। तथा यदि सरकार नहीं मानी तो 23 अगस्त के लिए विधानसभा सत्र में महा-धरने की तैयारी की जायेगी।
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