शिमला/दाड़ला। हिमाचल प्रदेश में भाजपा व कांग्रेस के बड़े नेताओं व नौकरशाहों के बूते सीमेंट के कारोबार की ‘किंग’बनी अंबुजा सीमेंट कपनी पिछले अढाई सालों से एक गरीब मनसाराम को तीन चार लाख रुपए के लिए तरसा रही है।आलम ये है कि वीरभद्र सिंह सरकार के बाबू एसडीएम अर्की के आदेशों को भी ये बड़े कारोबार वाली सीमेंट कंपनी भाव नहीं दे रही है। उनके 2015 से दिए जा रहे आदेश सिरे नहीं चढ़ पाए है। इसलिए अब मई 2016 में गरीब मनसा राम ने फिर एसडीएम को चिटठी लिख कर मुआवजे दिलाने की गुहार लगाई हैं।
मामला जिला सोलन अर्की के दाडलाघाट के गांव सुल्ली का है।जनवरी-फरवरी 2014 में अंबुजा कंपनी ने गांव सुल्ली में मनसाराम की गौशाला के समीप बिजली का डीजे सेट लगा दिया।ताकतवर डीजे सेट के चलने से कंपन हुई तो गौशाला में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई। ये डीजे सेट आज भी कई कई घंटे यहां चलता है।इससे ये गौशाला अनसेफ हो गई। गरीब मनसा राम फरियाद लेकर कभी अमीर अंबुजा कंपनी तो कभी एसडीएम अर्की के आगे फरियाद करते रहे कि उनकी गौशाला अंबुजा कंपनी के डीजे सेट की कंपन से अनसेफ हो गई है।चूंकि मनसाराम की अंबुजा कंपनी के मित्र मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व भाजपा नेताओं तक पहुंच नहीं थी तो उन्हें न मुआवजा मिला और न ही अंबुजा कंपनी ने गौशला ही बना कर दी।ये मुआवजा आज तक भी नहीं मिला है। फरियादें जारी है।
11 फरवरी 2014 को मनसा राम ने एसडीएम अर्की को ये चिटठी लिखी।यहां पढ़े पूरी चिटठी-:
इस चिटठी पर एसडीएम अर्की ने गौर किया और नायब तहसीलदार दाड़लाघाट को 22 फरवरी 2014 को ये चिटठी भेज कर इस मामले की छानबीन कर तथ्यों के साथ रिपोर्ट एसडीएम कार्यालय को भेजने के आदेश दिए। यहां से ये चिटठी 18 अप्रैल 2014 को निरीक्षण के लिए पटवारी को भेजी गई। फिर 3 जून 2014 को अर्की के तहसीलदार गिरीश एम सकलानी ने एसडीओ पीडब्ल्यूडी को लिखा कि नायब तहसीलदार दाडला ने छानबीन की जिसमें पाया गया है कि अंबुजा सीमेंट कंपनी के डीजे सेट से मनसा राम की गउशाला में बड़ी -बड़ी दरारें आ गई है। इसके अलावा घास व फसलों को भी नुकसान हुआ है।
तहसीलदार ने एसडीओ पी डब्ल्यूडी दाड़लाघाट को आदेश दिए कि वो नुकसान की आकलन रिपोर्ट तैयार कर तहसीलदार के आफस को भेजें।नायब तहसील दार ने ये रिपोर्ट तैयार कर इसकी प्रति एसडीएम व अंबुजा कंपनी को भी भेजी । नुकसान के आकलन की रिपोर्ट की प्रति रिपोर्टर्स आइ डॉट कॉम के पास मौजूद है। अंबुजा कंपनी ने मनासाराम को नुकसान की एवज में कोई मुआवजा नहीं दिया।
गरीब मनसाराम की गौशाला को क्या नुकसान हुआ है उसकी एक- दो तस्वीरें यहां दी जा रही है ताकि पाठक भी समझ सके कि प्रदेश केे औद्योगिक घराने प्रदेश के गरीबों के साथ क्या गुल खिलाते रहते है।ये रही तस्वीरें-:
अर्की प्रशासन ने 14 मई 2015को नुकसान की आकलन रिपोर्ट बनाकर एसडीएम अर्की को दे दी । ये नुकसान करीब तीन लाख रुपए का बना। हालांकि इसमें घासनी को होने वाले नुकसान को शामिल नहीं किया गया था। लेकिन नायब तहसीलदार की रिपोर्ट में साफ लिखा है कि घासनी बर्बाद हो गई है।
आकलन रिपोर्ट आने के बाद एसडीएम अर्की ने 8जून 2015 को अंबुजा कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट को लिखा की मनसा को अंबुजा कंपनी की ओर से हुए नुकसान की आकलन रिपोर्ट उन्हें भेज रहे है।एसडीएम ने इस मसले पर उचित कार्रवाई करने केे आदेश दिए। लेकिन ताकतवर इस कंपनी ने एसडीएम की आदेशोंं को ठेंगा दिया। इसके बाद एसडीएम ने 10दिसंबर 2015 को फिर कार्रवाई करने के आदेश दे दिए। लेकिन अंबुजा कंपनी प्रबंधन ने एसडीएम के आदेशोंं को कोई कोई भाव नहीं दिया।
चूंकि मनसा राम की भाजपा , कांग्रेस व वामपंथियोंं में से किसी तक भी कोई पहुंच नहीं थी सो आरटीआई व वकील का सहारा लिया गया। एसडीएम कार्यालय अर्की से खूब सारा पत्राचार हुआ लेकिन कहीं कुछ नहीं हुआ। अर्की में भाजपा ,कांंग्रेस के एक से एक दिग्गज नेता हैजिनमें वीरभद्र सिंह से लेकर धूमल तक केआगे वो पलक- पावंड़े बिछाने को हर दम तैयार रहते है। लेकिन जब जेपी व अंबुजा जैसी कंपनियां मजदूरोंं व स्थानीय गरीब लोगों को मनसाराम की तरह सताते हैंं तो ये सारे नेता दुबक जाते है। ऐसे में एसडीएम की चिटिठयां ये कारोबारी घ्ाराने क्या जाने।
यहां पढ़े एसडीएम अर्की की ओर से मनसा राम को मुआवजा दिलाने बारे अंबुजा कंपनी के वाइस प्रेसिडेंड को लिखी ये चिटठी-:
रिपोर्टर्स आइ डॉट कॉम ने मनसाराम से बात की तो उन्होंने चौंकाने वाला सच बताया ।उन्होंने कहा कि कंपनी का वाइस प्रेसिडेंट संजय वशिष्ठ न तो उनसे बात करता है और न ही फोन उठाता है। उन्होंने आरोप जड़ा कि जिनकी राजनैतिक सिफारिशें होती हैै कंपनी उन्हीं को भाव देती है। वो गरीब आदमी है उनकी कोई नहीं सुनता।ये मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की सरकार पर आम व गरीब किसान की तीखी टिप्पणी है।ऐसा नहीं है कि धूमल के राज में ऐसा नहीं होता हो ।
उन्होंने कहा कि उनके पास कुल तीन बीघा के करीब जमीन है। जिसमें से पौने दो बीघा पर ये गउशाला व घासनी है। गउशाला कंपनी के डीजे सेट की कंपन से अनसेफ हो गई है।जबकि यहां पर क्लीकंर यार्ड होने की वजह से घास पर धूल ही धूल होती है।उसे मवेशी भी नहीं खाते है। कंपनी हर तरह से नुकसान कर रही है,ऐसे में आज भी वो इस गौौशाला में एक गाय और भैंस बांधने का मजबूर है।कंपनी के छोटे कारिंदे आते है और पांच हजार देने की बात कहते है। जाहिर है तीन बीघा जमीन के टुकड़े का मालिक कोई भी किसान अंबुजा जैसी किंग कंपनी से जंग नहीं लड़ सकता। ये बात तो वीरभद्र सिंह के बाबूओं को निश्चित तौर पर मालूम होगी।
रिपोर्टर्स आइ डॉट कॉम ने कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट संजय वशिष्ठ बात करनी चाही।लेकिनउन्होंने फोन नहीं उठााया। कंपनी के एचआर हैड अश्वनी वर्मा ने कहा कि वो इस मसले पर कुछ भी कहने को अधिकृत नहीं है।संजय वशिष्ठ चंडीगढ़़ गए है। उनके आने पर ही बात हो पाएगी।
मनसा राम की फरियाद पर एसडीएम अर्की लायक राम वर्मा ने कहा कि इस मसले पर वो अंबुजा कंपनी से जवाब तलब करेंगे और मनसाराम को मुअाावजा सुनिश्चित कराया जाएगा।हालांकि वो इस बावत क्या कर पाते हैं ये देखनाा दिलचस्प रहेगा।
बताते है कि अंबुजा कंपनी को हिमाचल में भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार लाए थे। बाद में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के साथ भी कंपनी के लोगों की यारी हो गई। तब से लेकर अब तक ये दोस्ताना रिश्ते जारी है। बताते है कि जब इस फैक्टरी के लिए जमीन अधिग्रहित की थी तो अर्की के एक पटवारी ने जमीन की औसत कीमत रिकार्ड में कम दर्शा दी थी। अधिग्रहण का अवाार्ड इसी कीमत पर हुआ था।बाद में ये पटवारी अंबुजा कंपनी में मुलाजिम हो गया।इस मामले में एफआईआर दर्ज हुई लेकिन मजे की बात है कि अंबुजा कंपनी के किसी भी कर्ताधर्ता को एफआईआर में शामिल नहीं किया गया।आखिर कोई शामिल होता भी कैसे दूसरी ओर तो सीडी कांड जैसे कारनामें हो रहे थे। अब मुकदमा अदालत में हैै। इसी औसत कीमत की वजह से यहां के किसानों को उनकी जमीन की कीमत कम मिली थी।
यहां ये महत्वपूर्ण है कि प्रदेश में अंबुजा व जेपी कंपनी जैसे औद्योगिक घरानों को केंद्र व प्रदेश सरकार ने 2009 से 2014 के बीच 36 हजार करोड़ रुपएकी सबसिडी व कर रियायतेंं दी थ्ाी। बीते दिनोंं सीआईआई की रीजनल काउसिंल के अध्यक्ष संजय खुराना ने मीडिया को बताया था कि उद्योगों के लिए सरकार से उन्हें और रियायतें चाहिए। लेकिन मनसाराम जैसे गरीबों के लिए इन कंपनियों के खजाने क्यों बंद हो जाते हैं ये अमीरों केे माइंडसेट को उदघाटित करने के काफी है।
(3)