शिमला। देश के शीर्ष उद्योगपतियों में शुमार गौतम अदाणी समूह की कंपनी मैसर्स अदाणी पावर लिमिटेड ने प्रदेश की जयराम सरकार के खिलाफ 960 मेगावाट की विवादित जंगी थोपन जल विद्युत परियोजना मेंनीदरलैंड की कंपनी ब्रेकल कारपोरेशन एन वी की ओर से अपफ्रंट मनी के रूप में जमा कराए 280 करोड़ रुपए को 18 फीसद ब्याज के साथ लौटाने के लिए प्रदेश हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया है।
मैसर्स अदाणी पावर लिमिटेड ने इस बावत दायर याचिका में अदालत से आग्रह किया है कि उसने दससाल पहले 2008 में यह रकम जमा कराई थी व तब से ही अठारह फीसद ब्याज के साथ इस रकम को लौटाया जाए। इस याचिका से जयराम सरकार के लिए नई मुश्किलें खड़ी हो गई है व सचिवालय में हड़कंप मच गया है।
2015 में तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार ने इस अपफ्रट मनी को अदाणी पावर लिमिटेड को लौटाने काफैसला मंत्रिमंडल में लिया था साथ ही इस परियोजना को अंबाणी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को देने का भी फैसला लिया गया था। मंत्रिमंडल ने फैसला लिया था कि यह रकम रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर से मिलने वाली अपफ्रंट मनी में लौटाई जाएगी। लेकिन 2016 में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने इस परियोजना को लेने से इंकार कर दिया। जिसकी वजह से मामला लटक गया।
इस बीच वीरभद्र सिंह सरकार में ही 26 अक्तूबर 2017 को अदाणी पावर को चिटठी लिख कर कहा कि सरकार ने 4 सितबंर 2015 को अपफ्रंट मनी लौटाने का जो फैसला लिया था उसे लागू करने का फैसला लिया है। यह चिटठी तत्कालीन विशेष सचिव अजय शर्मा की ओर से लिखी गई थी।इस चिटठी के जवाब में अदाणी पावर की ओर 27 अक्तूबर 2017 को सरकार को चिटठी लिख कर कहा गया कि वह इसके लिए आभार जताती है लेकिन रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर से से अपफं्रट मनी मिलने के बाद उन्हें लौटाया जाएगा इसका कोई लिंक नहीं है।
वीरभद्र सिंह सरकार में 26 अक्तूबर 2017 को अदाणी पावर को लिखी यह चिटठी पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व उनके लाडले नोकरशाहों को कटघरे में खड़ा करती है। इस चिटठी से पहले कैग ने वीरभद्र सिंह सरकार से 4 सितंबर 2015 के अपफ्रंट मनी को लौटाने को लेकर लिए फैसले पर सवाल उठा दिया था।
कैग ने कहा था कि ब्रेकल को दिए ठेके के मुताबिक प्री इंप्लीमेंटेशन एग्रीमेंट और इंप्लीमेंटेंशन एग्रीमेंट के तहत यह 280 करोड़ रुपए की रकम जब्त कर ली जानी चाहिए थी व मंत्रिमंडल की ओर से इस रकम को लौटाने का मतलब होगा सरकार के खजाने को चपत लगाना।
बावजूद इसके वीरभद्र सिंह सरकार ने 26 अक्तूबर 2017 को यह रकम लौटाने की चिटठी लिख कर अदाणी को अदालत जाने का रास्ता साफ कर दिया। यह चिटठी तब लिखी गई थी जब प्रदेश में विधानसभा चुनावों को लेकर आचार संहिता लग चुकी थी। जयराम सरकार को इस मामले की जांच करानी चाहिए थी लेकिन सवा साल में इस बावत कहीं कुछ नहीं हुआ।
जब इस चिटठी पर हल्ला मचा तो वीरभद्र सिंह सरकार में ही सात दिसंबर 2017 को तब के अतिरिक्त मुख्य सचिव बिजली ने अदाणी पावर को चिटठी लिखी व कहा कि विभिन्न कानूनी जटिलताओं और ठेके की शर्तों की दिक्कतों की वजह से मंत्रिमंडल ने चार सितंबर 2015 को अपफ्रंट लौटाने का जो फैसला लिया था उसे वापस ले लिए लिया है। ऐसे में 26 अक्तूबर 2017 को अपफ्रंट के फैसले को लागू करने बावत जो चिटठी अदाणी पावर को भेजी गई थी,उसे वापस लिया जा रहा है। अदाणी पावर ने इस फैसले के खिलाफ अब एक साल बाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
याद रहे पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार में 2006 में 960 मेगावाट के जंगी थोपन पावर प्रोजेक्ट को नीदरलैंड की कंपनी ब्रेकल कारपोरेशन एनवी को आवंटित किया गया था। बोली में दूसरे नंबर पर अंबाणी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर थी। लेकिन ब्रेकल ने ठेके की शर्तो के मुताबिक अपफ्रंट मनी जमा नहीं कराया तो रिलायंस ने हाईकोर्ट में याचिका दर्ज की थी । इसे बाद ब्रेकल की ओर से अदाणी की कंपनी ने य रकम जमा कीथी। इस बीच दिसंबर 2007 में प्रदेश में सरकार बदल गई और भाजपा की सरकार बन गई। धूमल ने इस मामले की विजीलेंस, आयकर विभाग से जांच कराईथी व ब्रेकल की ओर से बोली मे किए गए कई दावों को झूठा करार पाया था। इस बीच धूमल सरकार ने ब्रेकल को किए आवंटन को रदद करने का फैसला लिया । लेकिन इससे पहले प्रदेश के पांच शीर्ष आइएएस अधिकारियों की एक कमेटी बनाकर रिपोर्ट देने को कहा। आश्चर्यजनक तौर पर इस कमेटी ने कहा कि इस समय इस आवंटन के रदद क रना ठीक नहीं होगा। धूमल ने तब इसे रदद नहीं किया। यहां पर भी एफआइआर बनती थी लेकिन धूमल व वीरभद्र सिंह दोनों की इस मामले में एक धरातल पर पहुंच गए थे तो कुछ नहीं हुआ।
आवंन को धूमल सरकार की ओर से रदद न करने पर रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया और अदालत ने तीखरी टिप्पणियों के साथ इस आवंटन को रदद कर दिया। जिसके खिलाफ ब्रेकल व रिलायंस दोनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया। 2014 में ब्रेकल ने अपनी याचिका वापस ले ली। इसी याचिका में अदाणी पावर ने अर्जी दायर कर अपफ्रंट मनी लौटाने की बाद की थी। लेकिन जब ब्रेकल की याचिका वापस हो गई तो ये अर्जी भी वापस हो गई।
इसके बाद अदाणी पावर ने वीरभद्र सरकार को इस रकम को लौटाने के लिए कई बार लिखा व चार सिंतबर 2015 को वीरभद्र सिंह सरकार ने इस रकम को लौटाने का फैसला ले लिया। जब वीरभद्र सिंह सरकार ने यह फैसला लिया था तब वीरभद्र सिंह सीबीआइ के शिकंजे में थे व इस फैसले के कुछ दिनों बाद ही उनके ठिकानों पर तब छापेमारी हुई थी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश दौरे पर थे। कहा जाता है कि ये छापोमरी वित मंत्री अरुण जेटली के ईशारे पर मारे गए थे। क्यों कि वीरभद्र सिंह ने एचपीसीए की जमीन हउÞपने के मामले में जेटली के करीबी भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर व उनके पिता धूमल के खिलाफ मामले दर्ज कर रखे थे।
यहां यह महत्वपूर्ण है कि अदाणी पावर कभी भी ब्रेकल के साथ कन्सोरटियम में नहीं रहे। उनकी अर्जी को सरकार ने रदद कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार ने कहा था कि उसने क भी भी अदाणी पावर से अपफ्रंट मनी नही लिया। सरकार का अदाणी पावर के साथ कोई लेना देना नहीं है। साफ है कि ये अदाणी पावर व ब्रेकल कारपोरेशन एनवी के बीच का मामला है। कानूनविदों का मानना है कि अदाणी के ये रकम ब्रेकल से मांगनी चाहिए। बहरहाल,अब इस मामले में जयराम सरकार का इम्तिहान शुरू हो चुका है कि वह अदालत में क्या स्टैंड लेती है। उधर जयराम सरकार में बिजली मंत्री अनिल शर्मा कहते है कि ये रकम जब्त की जा चुकी है।
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