शिमला। मुबंई बम धमाकों के आरोपी अबु सलेम व एक अन्य को छदम तरीके से पासपोर्ट हासिल करने के आरोप में दोषी ठहरातें हुए सीबीआई मामलों के विशेष दंडाधिकारी लखनऊ ने तीन वर्ष की साधारण कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने कपटपूर्ण तरीके से पासपोर्ट प्राप्त करने से संबन्धित मामले में दोनों आरोपियों अबु सलेम एवं मोहम्मद परवेज आलम को यह सजा सुनाई हैं।
सीबीआई ने 16 अक्तूबर 1997 को अबू सलेम अब्दुल कयूम अंसारी और अन्यों के विरुद्ध मामला दर्ज किया। यह आरोप है कि वर्ष 1993 में बॉम्बे बम विस्फोट के बाद अबू सलेम फरार था और उसने देश से भागने के उद्देश से अकील अहमद आज़मी के नाम पर पासपोर्ट कार्यालय लखनऊ से धोखाधड़ी कर पासपोर्ट प्राप्त कर लिया। उनकी पत्नी समीरा जुमानी ने भी कपटपूर्ण तरीके से सबीना आजमी के नाम से पासपोर्ट प्राप्त कर लिया। पासपोर्ट एजेंट, मोहम्मद परवेज आलम के माध्यम से उक्त पासपोर्ट प्राप्त किया गया था। अबू सलेम एवं उनकी पत्नी समीरा जुमानी फरार थे।
जाँच के बाद एक जुलाई 1999 को विशेष न्यायिक दंडाधिकारीए सीबीआई लखनऊ के न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया।
अबू सलेम अब्दुल कयूम अंसारी बंबई बम विस्फोट से जुड़े एक अन्य मामले में भी फरार आरोपी था। विचारण अदालत ने उसे भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया था। उनके विरुद्ध गिरफ्तारी का गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया था। आई पी एस जी इंटरपोल ने अबू सलेम के विरुद्ध रेड कॉर्नर नोटिस कंट्रोल भी जारी किया था
18 सितंबर 2002 को अबू सलेम को लिस्बन पुर्तगाल में हिरासत में लिया गया । लिस्बन की अपीलीय न्यायालय व पुर्तगाल के संवैधानिक न्यायालय में चली लंबी कार्रवाही के बाद अबू सलेम के प्रत्यर्पण की अनुमति दी गई और उसकी हिरासत दिनाँक 10 नवंबर 2005 को भारतीय अधिकारियों को सौंप दी गई।
अबू सलेम को भारत लाया गया और दिनाँक 11 नवंबर 2005 को नामित अदालत, मुंबई के समक्ष पेश किया गया और उसके बाद विशेष दंडाधिकारीए सीबीआई लखनऊ के न्यायालय में पेश किया गया।
विचारण अदालत ने दोनों आरोपियों को कसूरवार पाया एवं उन्हे दोषी ठहराया।
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