शिमला। प्रदेश की तमाम जेलों में कोरोना विषाणु के संक्रमण रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों की अनुपालना करते हुए हिमाचल प्रदेश विधि सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति ने प्रदेश की जेलों में कैद विचाराधीन कैदियों को अधिकतम तीन महीनें की अस्थाई जमानत पर रिहा करने का फैसले लिया गया है। यह जानकारी आज यहां सरकार के प्रवक्ता ने दी।
प्रवक्ता ने कहा कि समिति की बैठक में यह फैसले लिया गया है कि यह जमानत केवल प्रदेश के विचाराधीन कैदियों को ही दी जाएगी जो सात साल से कम का मुकदमा भुगत रहे हैं, पिछले तीन महीनों या इससे अधिक अवधि से जेल में हैं और पहली बार अपराध में शामिल हुए हैं।
विचारधीन कैदियों को अस्थाई जमानत का फैसला कोरोना विषाणु का संक्रमण रोकने और सामाजिक दूरी सुनिश्चित बनाने के लिए लिया गया है।
उन्होंने कहा कि जिला दण्डाधिकारी व पुलिस अधीक्षक जमानत पर छूटने वाले कैदियों को उनके घरों तक पहुंचाने का प्रबन्ध करेंगे। इन कैदियों को जेल अधिकारियों द्वारा उचित स्वास्थ्य जांच के उपरान्त ही जमानत पर छोड़ा जाएगा।
प्रवक्ता ने कहा कि न्यायालयों और सरकारी कार्यालयों में भीड़ कम करने के उददेश्य से अस्थाई जमानत के लिए प्रार्थना-पत्र आनलाइन द्वारा भी भरे जा सकते हैं। देश भर में जारी लॉकडाउन की स्थिति में विदेशी और बाहरी राज्यों के कैदियों को अस्थाई जमानत पर छोड़ने पर विचार नहीं किया जाएगा।
बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि जिन्हें सात साल तक की सजा हुई है, उन पात्र अपराधियों को पैरोल या फरलो पर भेजने के लिए सक्षम प्राधिकरण उनके प्रार्थना पत्रों पर त्वरित कार्रवाई करेगा। सक्षम प्राधिकरण सीआरपीसी की धारा 432 के तहत अपराधियों की रिहाई के मामलों पर भी शीघ्रता से कार्रवाई करेगा।
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