शिमला। सुखराम की गुगली में जयराम सरकार व भारतीय जनता पार्टी ही नहीं कांग्रेस पार्टी में उनके विरोधी वीरभद्र सिंह भी फंस गए है। आला कमान की निगाहबानी में वीरभद्र सिंह इन चुनावों में मंडी में क्या गुल दिखाते है ये देखा जाने है। पिछल्ले दो दिनों से आय से अधिक संपति मामले में वीरभद्र सिंह व अन्य आरोपियों का दिल्ली की सीबीआइ अदालत में ट्रायल चल रहा है। वह क्या करेंगे ये उनके राजधानी लौटने के बाद पता चलेगा लेकिन मुख्यमंत्री जयराम अभी तक खामोश है पर भाजपा बिजली मंत्री अनिल शर्मा को लेकर अब हलचल में आने लगी है।
पार्टी को अब जाकर समझ में आया कि सुखराम व उनके परिवार ने भाजपा को किस तरह से फंसा दिया है। इसी कड़ी में अब पार्टी ने पहल करते हुए बिजली मंत्री अनिल शर्मा को साफ कर दिया है कि अगर वह पुत्र के साथ है तो अपने पद से इस्तीफा दें दे। लेकिन अनिल शर्मा से लिखित में कुछ नहीं कहा है।
पार्टी महासचिव चंद्रमोहन ठाकुर ने राजधानी में कहा कि अनिल शर्मा को प्रदेश की जनता को स्पष्ट करना चाहिए कि अगर वह पुत्र के साथ है तो वह इस्तीफा देकर पुत्र के लिए खुला प्रचार कर पिता का फर्ज निभाएं और अगर वह अपने आप को पार्टी सदस्य मानते है व जिसकी वजह से विधायक है और प्रदेश मंत्रिमंडल में मंत्री है तो उन्हें मंडी विधानसभा क्षेत्र में व मंडी विधानसभा क्षेत्र से बाहर भी भारतीय जनता पार्टी व उसके प्रत्याशियों के लिए खुला प्रचार करना चाहिए। धर्मसंकट बहुत देर तक चलने वाला नहीं है। उन्होंने अनिल शर्मा के पिता सुखराम के भाजपा में जाने को लेकर भी अपरोक्ष रूप से निशाना साधा व कहा कि ये आया राम -गया राम की संस्कृति प्रदेश की जनता ज्यादा देर तक बर्दाश्त करने वाली नहीं है।
अनिल शर्मा 31 मार्च को भाजपा के मैं भी चौकीदार हूं कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे। ठाकुर ने कहा कि इस बावत उन्हें बाकायदा चिटठी लिखकर न्यौता दिया गया था। वह नहीं आए। ये पूछे जाने पर कि क्या इस बावत पार्टी ने उनके कुछ जवाब तलब किया है, ठाकुर ने कहा कि इस बावत लिखित में कुछ नहीं दिया है। बीते रोज उनके पुत्र व कांग्रेस के मंडी संसदीय हलके से प्रत्याशी आश्रय शर्मा ने मीडिया में कहा था कि अनिल शर्मा उनके पिता है भाजपा के थोड़े ही न है। इसलिए पार्टी ने आज उनसे स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या इस बावत अनिल शर्मा को पार्टी की ओर से लिखित में कुछ दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं किया गया है।
भाजपा व सरकार कितनी देर तक अनिल शर्मा के इस्तीफे का इंतजार करेगी क्या कोई समय सीमा रखी गईहै। उन्होंने कहा कि अभी ऐसी कोई समय सीमा नहीं रखी गई है। उनके विवेक पर छोड़ा गया है कि वह जो भी फैसला करें जल्द करे। मंत्रिमंडल से बाहर करने को लेकर उन्होंने गेंद मुख्यमंत्री केपाले में डाल दी और कहा कि यह मुख्यमंत्री का विशेषधिकार है कि किसे मंत्रिमंडल में रखना है और निकालना है।
साफ है सुखराम व उनके परिवार की गुगली में जयराम सरकार और भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से ेफंस गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल भी कोई दखलनहीं दे रहे है। ये वरिष्ठ नेता जयराम मुख्यमंत्री जयराम पर निगाहें लगाए है कि वह क्या फैसला लेते हैं और कब लेते है। इस मसले को लेकर जयराम को आलाकमान ने दिल्ली भी तलब किया था। लेकिन आलाकमान की ओर से भी कोई साफ संकेत नहीं दिया गया। लेकिन पार्टी इस बात पर फंस गई है कि जनता के बीच कार्यकर्ता व बाकी लोग पार्टी से अनिल शर्मा को लेकर स्टैंड साफ करने का दबाव बना रहे है और पार्टी व सरकार कोई साफ स्टैंड नहीं ले पा रही है।
(0)