शिमला।15वें वित्तायोग ने 2020-21 के लिए प्रदेश को 19,309 करोड़ रुपये देने की सिफारिश की है। वित्तायोग ने इससे सम्बन्धित जानकारी भारत सरकार को भेज दी है।
उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने कहा कि इसमें 11431 करोड़ रुपये राजस्व घाटा अनुदान, 6833 करोड़ रुपये कर अदायगी, 636 करोड़ स्थानीय निकायों के लिए और 409 करोड़ रुपये राज्य आपदा राहत कोष को देने की सिफारिश की गई है।
14वें वित्त आयोग की तुलना में 15वें वित्त आयोग में राजस्व घाटा अनुदान में 40.69 फीसद, केंद्रीय कर अंशदान में 21.05 फीसद, ग्रामीण स्थानीय निकायों में 18.51 फीसद , शहरी निकायों में 417.50 फीसद और राज्य आपदा राहत कोष में 74.04 फीसद की वृद्धि की गई है। 14वें वित्त आयोग के दौरान 14,407 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे जबकि 34.03 फीसद वृद्धि के साथ 15वें आयोग में 2020-21 के लिए 19,309 करोड़ रुपये प्रस्तावित हैं।
उन्होंने कहा कि स्थानीय निकायों का अनुदान जिला परिषदों, पंचायत समितियों और राज्य के छावनी बोर्डों के अलावा नगर परिषदों,
नगरपालिकाओं, नगर पंचायतों और ग्राम पंचायतों को दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने इन क्षेत्रों को अधिक अनुदान प्रदान करने का मामला वित्तायोग से उठाया था। उनके ही प्रयासों का नतीजा है कि वित्तायोग ने इस बार राज्य के राजस्व घाटा अनुदान को बढ़ाया है।
मंत्री ने कहा कि 15वें वित्तायोग की सिफारिशों से राज्य सरकार को प्रदेश में विकासात्मक और अधोसंरचना गतिविधियों को बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी। इस अनुदान से समाज के सभी वर्ग विशेषकर कमजोर वर्ग लाभान्वित होंगे।
उन्होंने कहा कि 15वें वित्तायोग द्वारा अगले पांच साल, 2021-22 से 2025-25 के लिए सिफारिशें देना बाकी है। राज्य सरकार वित्तायोग के समक्ष हिमाचल प्रदेश के मामले उठाना जारी रखेगी, जिसकी रिपोर्ट अक्तूबर, 2020 में आना अपेक्षित है।
उद्योग मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार वित्तायोग के समक्ष अधिक अनुदान जारी करने की अपनी मांग को मनवाने में सफल रही है। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने स्वयं 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष से मिलकर अनुदान में वृद्धि का मामला उठाया। उनके प्रयासों के फलस्वरूप हिमाचल प्रदेश को केरल राज्य के बाद सर्वाधिक राजस्व घाटा अनुदान मिला है।
दूसरी ओर, पूर्व कांग्रेस सरकार ने वित्तीय सहायता के लिए कोई प्रयत्न नहीं किए। कांग्रेस सरकार वित्तायोग से अनुदान में वृद्धि करवाने में भी असफल रही, जिसके कारण राज्य में विकासात्मक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हुई।
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