हमीरपुर ।हमीरपुर जिला के पट्टा क्षेत्र के लडवीं गांव के गोरख राम अब नहीं रहे। क्षेत्र के सबसे बुजुर्ग गोरख राम ने 114 साल उम्र में अपने प्राण त्याग दिए। इतनी उम्र होने के बावजूद गोरख राम ने न तो कभी वोट डालने का सिलसिला तोड़ा और न ही सुबह की सैर छोड़ी।
आखिरी सांस तक वह बिना ऐनक के पढ़ने लिखने में सक्षम रहे । आजाद भारत के हर चुनाव में वोट डालने वाले गोरख राम अब फिर अगामी विस चुनाव में मतदान के लिए तैयार थे लेकिन इनका यह सपना पूरा न हो सका। उन्होंने अपने परिवार की पांचवी पीढ़ी को भी देख लिया है। आसपास के गांवों में सबसे उम्र-दराज बुर्जुग गोरख राम 114 साल की उम्र में भी इतने जागरूक थे कि उन्हें यह जानकारी थी कि अभी चुनाव होने वाले हैं। पेशे से किसान एवं समाजसेवा को अपना धर्म मानने वाले गोरख राम के चार बेटों में से दो पहले ही मौत हो चुकी हैं।
इनकी सबसे बड़ी बेटी विशम्बरी देवी 82 साल, निर्मला देवी 60 साल व मनोरमा 52 साल अपने पिता के देहांत पर गमगीन हैं। इनके दो बेटे जुल्फी राम 65 साल व गीका राम 75 साल के अलावा पोते प्रीतम, राजेश,विनोद,कंवरजीत,दीपक एवं पोतियां अर्चना एवं रमना कई पुरानी बातों को सांझा कर रहे हैं।
विनोद कुमार के अनुसार एक बार जब कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी रोड शो करते हुए पट्टा से जा रही थी तो वाहन से उतर कर बुर्जुग गोरख राम के गले में हार डाला था। गोरख राम को हरे रंग की टोपी से प्यार था। इसीलिए अंतिम विदाई के वक्त भी उनके सिर पर हरी टोपी पहनाई गई।
वह कई बार शिमला पैदल ही चले जाते थे। उम्र के इस पड़ाव में भी वह प्रतिदिन एक किलोमीटर पैदल चलकर अपने आप को स्वस्थ रखने की कोशिश करते। वह कम तेल.मसाले वाले भोजन लेते और साथ ही दूध पीना वह नहीं भूलते। अपनी दिनचर्या में गोरख राम किसी की मदद नहीं लेते। एक लाठी के सहारे दिनभर आराम से घूमते.फिरते ।
गोरख राम बेशक अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन तनाव रहित जिंदगी के साथ लंबी उम्र जीने का एक संदेश वह समाज को दे गए हैं।
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